A Psychologist’s Golden Rule to Fix Relationships | Friend or Foe – Episode 29

रिश्तों को बचाने का Golden Mantra 🪄

Jain Media
By Jain Media 8 Min Read

एक पत्नी की हैरान कर देनेवाली Complaint
प्रस्तुत है Friend or Foe का Episode 29

Foreign का एक किस्सा 

Return to Religion नामक पुस्तक में एक विदेशी Psychologist ने एक किस्सा-सत्यघटना लिखी है. वह खुद Psychiatrist भी था, इसलिए कई Cases उसके पास आते थे. जो Patients बाकी जगह पर जाकर थक जाते थे, वे इस Psychiatrist के पास आते. 

Human Brain को लेकर यह Psychologist बहुत Expert हो चुके थे. इसलिए बड़े से बड़े रोग इसके Suggestions से, सलाह से काफी Control में आ जाते. 

एक  बार एक महिला उसके रूम में आई. चेहरे से पता चल गया कि तनाव ज्यादा है और समस्या ज्यादा है. ‘Talk Therapy’ के दौरान महिला ने अपनी समस्या बताई. उसकी Complaint थी कि 

मैं हर तरह पति की सेवा करती हूँ, पति के सिवाय और किसी पुरुष को मन से भी चाहती नहीं हूँ, रूपरंग में भी सुंदर हूँ फिर भी पति मुझे चाहता नहीं है. पति मुझे प्रेम से बुलाता नहीं है. छुट्टी के दिनों में घर में या बाहर मेरे साथ आधा एक घंटा भी बिताता नहीं है और खुद अकेला ही बाहर घूमने चला जाता है. 

यह तो था Psychiatrist, अनुभव भी इतना. इसे पता चल गया कि कहीं न कहीं कुछ तो गड़बड़ी है.

उसने उस स्त्री के मन को गहराई से समझने के लिए छोटे छोटे प्रश्न पूछने शुरू कर दिए. Psychiatrist ने पूछा कि ‘सुबह आप पहले उठती है या पति? चाय-नाश्ता आप तैयार करती है या आप के पति को तैयार करना पड़ता है? 

रसोई आपकी मनपसंद बनती है या पति की मनपसंद? हर बात में अपनी Choice को आप महत्त्व देती है या पति की Choice को? Office जाते समय पति की तैयारी में आप सहाय करती है या नहीं? उनके Office कार्य में आप दखल तो नहीं करती? शाम को Office से थक कर जब पति घर पर आते हैं तब आप दिन भर की Complaints तो सुना नहीं देती?’ 

तीन घंटों तक प्रश्नोत्तर चलते रहे और फिर इस Psychiatrist उस स्त्री की एक ऐसी गड़बड़ ढूंढ निकाली कि Problem का Solution बहुत आसान हो गया. कमज़ोरी यह थी कि इस महिला को एक बहुत बुरी आदत थी. 

पति कोई भूल कर बैठे तो उसे यह कडवे शब्द सुनाए बिना वह नहीं रह सकती थी कि ‘यह तो मैं हूँ इसलिए सब कुछ सह लेती हूँ, दूसरी कोई होती तो कभी की भाग गई होती.’ बस, डॉक्टर ने उसे सलाह दी, और दवाई में 2 Points कहे कि 

देखो बहन, कोई और चिंता करने की ज़रूरत नहीं है, आपको सिर्फ दो कार्य करने हैं.

1. पति की भूल के वक्त यह जो आए दिन आप सुनाती रहती थी उसे बंद करना होगा. Ignore करना होगा.

2. जब भी आपकी भूल हो उस वक्त पति को यूं कहना ‘पतिदेव. यह तो आप है इसलिए मेरी ऐसी भूलों को आप सह लेते है और कोई होता तो मुझे अपने जीवन से कबका अलग कर दिया होता.

बस, इतना आप करो और ठीक आज से एक महीने के बाद पुनः मिलना.

इस महिला को तो हर हालत में पति का प्रेम हासिल करना था. इसलिए ये Points तुरंत Follow करने शुरू कर दिए. फिर तो महीने की भी क्या जरूरत थी? पंद्रह दिन बीते होंगे और वह सन्नारी बहुत खुश होकर Doctor को Congratulations देने आई कि  

Doctor साहब. अभिनंदन, अभिनंदन, आपकी सुनहरी सलाह मैंने स्वीकारी और मेरे जीवन में गज़ब का चमत्कार हो गया. अब तो मेरे पति मुझे इतना चाहते हैं कि वे Office से सीधे घर पर ही आते हैं. छुट्टी के दिनों में या तो घर में ही रहते हैं या बाहर मुझे भी घूमने साथ ले जाते हैं.

पूज्य श्री पूछते हैं कि क्या आप लोकप्रिय बनना चाहते हैं? क्या आप अपने आसपास वालों का प्रेम जीतना चाहते हैं? तो लीजिए Diary और इस Golden सूत्र को Note Down कर लीजिए

“खुद की गलती को बिंदास, बेझिझक किसी भी प्रकार के If But किए, बिना किसी भी तरह का बचाव किए Accept कर लीजिए और सामनेवाले की भूल को, गलती को कभी याद नहीं करना है, सुनाना नहीं है, या फिर उसकी गलती को उसके द्वारा Accept करवाने की कोशिश नहीं करनी है”

सुनने में बहुत आसान लगता है लेकिन यह काम बहुत कठिन है. जी हाँ. यह बात सच है क्योंकि हमने आजतक इससे Opposite ही किया है. किसी की भी भूल देखी नहीं कि हमारे मन में उसकी Recording हो जाती है. 

फिर तो जब जब उस व्यक्ति का के बारे में कुछ कहना हो तो वही Recording Play होती जाती है. किसी की भूल को, बुरे बर्ताव को भूल जाना चाहिए, लेकिन उसे बार-बार याद किया जाता है, उसका कथन किया जाता है और फिर उससे वैर की गाँठ दृढ़ बंधती जाती है.

किसी की भूल को जब हम नहीं भूलते तो परिणाम क्या हो सकते हैं जानना हो तो एक बार Episode 26 अवश्य देखिएगा.

थोडा-सा भुलक्कड़ बनें 

किसी चिंतक ने कहा है कि ‘हम यदि अमनचैन से, शांति से जीना चाहते हैं तो थोडासा भूलना भी सीखें. 

  • अन्य का बुरा बर्ताव
  • अन्य के द्वारा किया गया अपमान
  • अन्य के द्वारा दिया गया कष्ट

इस अर्थ में भुलक्कड़ बनना अच्छा है. 

शरीर में खून बहता रहे तो ही स्वास्थ्य बना रहेगा. जो वह बहता नहीं रहे और एक ही जगह जमा हो जाए तो उसमें गाँठ बंध जाती है, Blood Clotting हो जाता है जिससे संपूर्ण शरीर में खलबली मच जाती है. Brain में Clotting होता है तो आदमी सीधा Coma में भी चला जाता है, Paralysis का शिकार भी बन जाता है. गाँठ बंधी नहीं कि Health बिगडनी Fix. 

ठीक उसी तरह

पूज्य श्री कहते हैं कि सामनेवाला व्यक्ति भूल करता रहेगा और हमारी नज़र उस पर जाती रहेगी मगर उस भूल पर हमारी नज़र टिकनी नहीं चाहिए. भूल की उस घटना को बहते रहने दो तो ही स्वस्थता रहेगी. इससे विपरीत यदि ऐसा कोई भी प्रसंग बहने के बदले टिका रहे और दिल में जमा हो जाए, तो वह बार-बार याद आएगा. 

अन्य के भूल की बार-बार याद वैर की गाँठ का रूप धारण कर लेती है और उससे तो आत्मा में कई प्रकार की Problems खड़ी हो जाती है. इन Problems से बचना हो और आदरपात्र बनना हो तो इस भूलों को, गलतियों को याद रखने की आदत छोडनी पड़ेगी. 

यदि नहीं छोड़ी गई, तो बना हुआ प्रेम संबंध रिश्ता-नाता टूटे बिना नहीं रहेगा और शत्रुता शीघ्र ही पैदा हो सकती है और यह आदत यदि छुट गई तो टूटे हुए संबंध भी जुड़ जाते हैं, प्रेम-रिश्ता हो जाता है और टिका भी रहता है. 

कई Couples के मन में यह प्रश्न हमेशा रहता है कि शादी के पहले सब Colourful लगता था और शादी के बाद Black & White ऐसा क्यों? इसका सुंदर उत्तर अगले Episode में मिलेगा.

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