Husband – Wife’s Thrilling Story | Friend or Foe – Episode 26

पति-पत्नी की ऐसी कहानी जिसकी Ending बहुत भयानक है 😮

Jain Media
By Jain Media 84 Views 27 Min Read

एक Husband Wife की ज़बरदस्त कहानी.
प्रस्तुत है Friend or Foe Book का Episode 26

शास्त्रों में एक कहानी आती है. एक लड़के की शादी छोटी उम्र में ही हो गई थी. लड़की पासवाले गाँव की थी. लड़के की जब अठारह साल के करीब उम्र हुई, तब माँ-बाप ने उसे अपनी पत्नी को लेने के लिए भेजा. लड़का अपने ससुराल पहुँचा यानी लड़की के घर पहुंचा. 

वह लड़की एकदम डर गई कि ‘अरे बाप रे अभी से ससुराल में जा बैठना, सासु के कडवे वचन सुनने पड़ेंगे, ननदों के तानें सुनने पड़ेंगे, Freedom नहीं रहेगी, सहेलियों के साथ के मौजमज़े भी ख़त्म, नहीं नहीं यह तो नहीं चलेगा.’

लड़की ने निर्णय कर लिया कि कुछ भी हो जाए ससुराल तो नहीं जाना है, लेकिन वो मना कर नहीं पाई. आखिरकार उसे अपने पति के साथ रावाना होना पड़ा. बीच में जंगल आया और वहां एक कुआं दिखा. नववधू का मन Active हो गया और उसने पतिदेव से विनंती करते हुए कहा कि ‘पतिदेव. मुझे बहुत प्यास लगी है. इस कुएं में एक बार देखिए ना, पानी मिल जाए तो थोड़ी प्यास बुझ जाए.’

पति कुएं में देखने लगा कि बेवफा पत्नी ने पीछे से धक्का मारा और पति अंदर गिर गया. पत्नी ने सोचा कि ‘हाश! अब Tension Free. अब ससुराल नहीं जाना पड़ेगा. ऐसा सोचकर वह अपने मायके लौट आई. बेटी को अकेली इस तरह लौटते हुए देखकर लड़की के माँ-बाप ने कारण पूछा. 

तो लड़की ने मनगढ़ंत कहानी तैयार रखी थी कि हम दोनों गाँव के बाहर गए और एक के बाद एक अपशकुनों को, Negative Incidents को होते देखा तो पतिदेव ने कहा कि ‘आज मुहूर्त कुछ अच्छा नहीं लग रहा है, इसलिए तुम वापिस अपने घर लौट जाओ. मैं फिर से तुम्हेँ लेने के लिए कोई अच्छा मुहूर्त देख कर आऊँगा.’ 

Coincidentally बेटी की यह झूठी बात, उसके माता-पिता ने मान ली. दूसरी तरफ जो लड़का कुएं में गिरा था उसका आयुष्य बलवान था, पुण्य भी ज़बरदस्त था. वो ऐसे भाग पर गिरा था जिससे वह बच गया और ज्यादा लगी नहीं. उसने चैन की साँस ली और खड़े-खड़े नवकार महामंत्र स्मरण करने लगा. 

Luckily दूसरे ही दिन कोई अजनबी वहां से गुज़र रहा था. उस अजनबी को प्यास लगी थी और वह कुएं के तट पर आया और उसने लड़के को बाहर निकाल दिया. उस अजनबी ने पूछा कि ‘भाईसाहब अंदर कैसे गिर गए?’ वह लड़का गंभीर था, घटनाओं को Digest करना जानता था. 

उसने अपनी पत्नी की कोई बात नहीं कही और कह दिया कि ‘पानी ढूँढने आया था और पैर फिसल गया.’

लड़का अपने घर पर पहुंचा और पुत्रवधू के बिना आया था तो देखकर माँ-बाप ने पूछा कि पुत्रवधू कहाँ है?

यह लड़का समझदार था कर्मसिद्धांत को समझता था. पत्नी की सच्चाई बताकर माँ-बाप के मन में, या खुद के मन में भी अपनी पत्नी के प्रति ख़राब भाव पैदा हो यह उसे मान्य नहीं था. 

उसने मन में ऐसा ही सोचा था कि ‘मेरे ही कोई पहले के बुरे कर्म होंगे, जिससे पत्नी को मुझे कुएं में गिरा देने की इच्छा जगी हो.’ पत्नी की बेइज्जती न हो इस उद्देश्य ने लड़के ने अपने माँ-बाप को मनगढ़ंत जवाब दिया कि ‘मेरे सास-श्वसुर ने हमें विदा तो बहुत अच्छी ढंग से किया लेकिन गाँव के बाहर निकलते-निकलते एक के बाद एक अपशकुन होने लगे. तब मैंने उसे फिर से लौट जाने को कहा और साथ ही यह भी कहा कि कोई सुंदर मुहूर्त दिखाकर फिर से लेने आऊँगा.’ 

पत्नी और पति, दोनों ने एक जैसा ही मनगढ़ंत जवाब दिया लेकिन फिर भी दोनों में जमीन-आसमान जितना अंतर था. एक ने खुद की भूल छुपाने के लिए तो दूसरे ने अन्य की भूल छुपाने के लिए जवाब दिया था. एक ने अपने बचाव के लिए तो दूसरे ने अन्य का बचाव करने के लिए ऐसा जवाब दिया था. 

लड़के के माता-पिता को भी अपने पुत्र के जवाब से संतोष हो गया. उन्होंने कहा ‘बेटा. चार महीने के बाद किसी सुंदर मुहूर्त में जाना.’ अब युवक के मन में तो Fix हो गया था कि ‘कुछ भी कारण हो, लेकिन जब वह मेरे साथ आने से खुश नहीं है तो यहाँ लाने के लिए क्यों उस पर जोर-जबरदस्ती की जाए?’ 

इसलिए जब जब माँ-बाप उसे बहू को लाने की बात करते तो वह कोई-न-कोई बहाना ढूँढ़ ही निकालता. इस तरह से दो साल बीत गए. एक बार फिर लड़के की माता ने बहू को लाने की बात की और लड़के ने बात Avoid करने की कोशिश की लेकिन इस बार उस लड़के की नहीं चली. 

माँ ने कह दिया कि कुछ भी कारण हो, अभी अगर तू लेने नहीं जाएगा तो बहू के माता-पिता को और बहू को भी कितना बुरा लगेगा? बहू भी तेरा Wait करते करते कितनी दुखी हो रही होगी इसलिए अब तो तू जा ही’

आखिरकार उसे अपने ससुराल की ओर निकलना पड़ा. उसने अपने मन में निश्चय कर लिया कि ‘कैसी भी परिस्थिति क्यों न आ जाए, पत्नी की उस बात को मैं कहूँगा तो नहीं.’

लड़का ससुराल पहुंचा. पत्नी ने उसे देखा तो वो Shocked रह गई. काटो तो खून की एक बूँद भी नहीं मिले ऐसी Situation. उसके मन में भयानक विचारों का तूफ़ान शुरू हो गया कि ‘अरे बाप रे, ये जिंदा है, अब क्या होगा, मैंने जो धक्का दिया था उसका बदला लेने आया होगा, घर पर सच बता देगा तो.. अरे सत्यानाश हो जाएगा, मेरा भांडा फूट जाएगा, चारों तरफ मेरी थू-थू हो जाएगी’ लड़की कांपने लगी. 

जमाई सा का स्वागत-सत्कार किया गया. लड़के के सासूजी यानी लड़की की माँ ने कहा कि उस दिन तो बहुत अपशकुन हुए थे इसलिए आपने बेटी को वापस भेज दी लेकिन उसके बाद हम तो रोज़ आपका Wait कर रहे थे कि आज आएंगे कल आएंगे. उस लड़की को तो मानो सांप सूंघ गया. 

वह लड़की भयभीत हो उठी कि अब पतिदेव धमाका करेंगे कि ‘Hello कौनसा अपशकुन और कैसी बात, मैंने इसे कहाँ वापस जाने को कहा, आप अपनी ही बेटी से पूछ लीजिए कि उसके कैसा महान काम किया था’ लड़की सोच रही थी कि ऐसा कुछ अभी पतिदेव बोलेंगे. 

लड़का बुद्धिमान था, वो अपनी सासुजी की बात सुनकर समझ गया कि ‘पत्नी ने भी इधर मेरे जैसी ही बात बनाई थी, अब जो भी हो उस घटना को उसके और मेरे सिवाय और कोई जानता नहीं है तो फ़ालतू में हकीकत क्यों बतानी?’ यह लड़का ऐसा सोच सकता था कि ‘रुक तूने मुझे कुएं में पटक दिया था ना, तेरी क्या हालत करता हूँ देखना’ लेकिन लड़के ने ऐसा कुछ भी विचार नहीं किया. 

जैसे को तैसा, Tit For Tat, ईंट का जवाब पत्थर से, एक के बदले चार, Flower नहीं Fire, Rebel बनने का.. यह सब Calculations उस लड़के की Dictionary में नहीं थे. 

‘अबे कुत्ते! तू मुझे भौंकता है, तो चल, मैं भी तुझे भौंकुंगा और मैं कुत्ता बनूँगा.’ अथवा ‘गधे! तेरी यह हिंमत कि तू मुझे लात मारे. ले, मैं भी तुझे लात मारूँगा और गधे की औलाद बन जाऊँगा.’ अथवा ‘ओय पत्थर! तू मुझसे टकराया तो मैं भी तुझसे टकराऊँगा.’ यह Calculations मूर्खों की Textbooks में मिलते हैं. यह मूर्खों का गणित उस लड़के को मंज़ूर नहीं था. 

लड़की कांपते हुए देख रही थी कि पतिदेव क्या बोलेंगे. लड़के के अपने सासुजी को संबोधित करते हुए कहा कि ‘आपकी बात सच्ची है, अपशकुनों के कारण मुझे अपनी पत्नी को वापस लौटने के लिए कहना पड़ा, फिर उसके बाद तो कई बार आकर पत्नी को ले जाने की बातें होती लेकिन कोई न कोई विघ्न आ रहा था इसलिए मैं यहाँ नहीं आ पा रहा था’ 

अरे आपकी महान बेटी ने कुएं में धक्का मारा था इस बात की भनक तक नहीं लगने दी. उसकी वह पत्नी, जिसको आज तक कभी अपने पति पर प्रेम नहीं जगा था, उसके दिल में पति के मुंह से निकले इन शब्दों से कैसी शांति पैदा हुई होगी? 

उस लड़की के दिल में अपने इस पति के लिए Respect, प्रेम, सद्भाव कितना बढ़ गया होगा उसे शब्दों में कहना Impossible है. पत्नी के दिल में पति के प्रति अत्यन्त आदर के साथ-साथ अपार पश्चात्ताप हुआ.

लड़की सोचती है कि मैं कैसी पागल हूँ ऐसे देवता जैसे पति को पहचान नहीं पाई, ऐसे पवित्र मनवाले पति को मैंने मारने की कोशिश की, मैं कैसी अधम और वे कैसे उत्तम. उस लड़के का अपने ससुराल में 4-5 दिन रुकना हुआ लेकिन कुएं को लेकर एक शब्द नहीं कहा. 

पत्नी बार बार यही सोच रही थी कि भले सबके सामने नहीं कहा लेकिन अकेले में पतिदेव कुछ न कुछ अवश्य कहेंगे कि ‘तुमने यह क्या किया? उस वक्त मैं क्या जवाब दूंगी’ उस लड़की को खुद पर शर्म आ रही थी. 

लड़का तत्त्वज्ञान को, कर्मसिद्धांत को पाया हुआ था, किसी का मन Hurt हो यह उसे मंज़ूर नहीं था. इसलिए उसने सोचा था कि ‘अकेले में भी इस विषय को लेकर पूछुंगा तो भी शायद उसका Mind Disturb हो सकता है.’ Story हम आगे Continue करेंगे लेकिन उससे पहले कुछ Points समझने जैसे हैं.  

1. एक हमारा General Mindset होता है कि Normally सामनेवाले की भूल कहने के लिए, याद कराने के लिए, उसके पास उसकी गलती Accept कराने के लिए लगभग हर एक आदमी Ready रहता है कि कब ऐसा Chance मिले और मैं उसे उसकी भूल सुनाऊँ? और कब उससे उसकी भूल Accept करवाऊ. 

उस गलती की कोई सजा भले नहीं देनी हो फिर भी गलती तो कबूल करवाऊंगा ही. यह एक आम आदमी की Tendency हो जाती है. यह और कुछ नहीं बल्कि खुद के तुच्छ अभिमान का पोषण करना है कि ‘तुने भूल की है तो तू नीचा और मैं ऊँचा.’ सिर्फ खुद के अहंकार के लिए हम सामनेवाले को शर्म में डालते हैं और उसका मुंह बंद कर देते हैं. 

2. खुद के लिए हमारा Completely Opposite Mindset होता है. हमारी भूल कोई 5-10 साल बाद भी याद दिला दे तो हमारे दिल पर क्या गुज़रती है सब जानते ही है. इसलिए हम Normally ऐसा ही सोचते हैं कि मेरी भूल कोई भी मुझे याद नहीं दिलाये, मेरे सामने भी नहीं, पीठ पीछे भी नहीं और कभी भी मुझसे मेरी भूल को कबूल नहीं करवाएं.

 खुद की भूल के लिए यह सोच होती है और दूसरों की भूल के लिए इस सोच को इंसान भूल जाता है. यही हमारी सत्त्वहीनता और कमजोरी है. पूज्य श्री कहते हैं यह तो कठपुतली के नाच जैसा है, देश आज़ाद हो गया लेकिन अफ़सोस, इंसान आज़ाद नहीं हो पाया है. खुद के अहंकार के लिए इंसान कुछ भी कर जाता है. 

3. अगर इस सत्त्वहीनता और कमजोरी पर विजय पा ली जाए तो ज़बरदस्त फायदें हैं. सामनेवाले व्यक्ति को उसकी भूल सुननी नहीं पड़े इसका उसे आनंद मिलेगा. इस कारण से उसका हम पर Respect, सद्भाव, प्रेम आदि जगेगा. हम खुद के अहंकार से जीत पाए इस बात में आनंद की अद्भुत अनुभूति होगी. यह आनंद अहंकार के आनंद से कई गुना अधिक होगा. 

4. अहंकार को Follow करें और सामनेवाले की गलतियाँ बताएं तो अनेकों भयानक नुकसान भी है. अगर हम एक व्यक्ति को उसकी भूल कबूल कराने की माथापच्ची करें तो वह व्यक्ति हमेशा हम से डरेगा, दूर भागने की कोशिश करेगा, हमारे प्रति हमेशा ख़राब भाव रखेगा, हमारी नज़र भी उस पर नहीं पड़े वैसी उसकी कोशिश होगी, हमारे साथ या आस पास रहना नहीं पड़े, काम नहीं करना पड़े ऐसी उसकी इच्छा बनी रहेगी. 

In Case हमारे साथ रहना पड़े तो भी काम से काम और कैसे जल्दी से यहाँ से निकल जाऊं वैसी उसकी सोच रहेगी. हमेशा एक प्रकार के भय-आतंक में वह रहेगा. हमारे प्रति का Behaviour भी शायद Filtered रहेगा, हमारे साथ वह घुलमिल नहीं सकेगा, एक नहीं हो सकेगा, दिल खोलकर बातें भी नहीं कर पाएगा. 

Situation इस हद तक बिगड़ सकती है कि वह व्यक्ति, हमारे और उसके बीच की आपसी बातें और मुसीबतों का उल्लेख भी वह हमारे सामने करने की बजाय किसी दूसरे के सामने करेगा जिसके साथ वो Comfortable है. जब यह कडवी हकीकत पता चलती है तब हम भी Disturb हो जाते हैं कि ‘मैं इतना करीबी हूँ फिर भी किसी दूसरे को जाकर यह बात बोली’ फिर से हम उसकी गलती निकालते हैं कि उसको क्यों कहाँ मुझे क्यों नहीं कहा और फिर यह Distance बढ़ता ही जाता है. 

हम यह नहीं सोचते कि भूल हमारी है, हमने शायद उतना Comfort नहीं दिया कि वह हमारे साथ बातों को बिना डरे Share कर सके. चलिए, फिर से आते हैं उस पति-पत्नी की कहानी पर. 

यह लड़का तो मैत्री भावना से पवित्र बना हुआ था, ‘पत्नी ने मुझे कुएँ में गिरा दिया’ इस Topic को लेकर एक शब्द नहीं बोला. यह देखकर पत्नी का प्रेम तो बढ़ता ही गया. ससुराल से विदा लेकर पत्नी के साथ वह युवक पति उसी जंगल से जाने लगा और वह कुआँ आया. पत्नी के दिल की धडकनें बढ़ने लगी. 

मन में विचारों का तूफ़ान शुरू हुआ कि ‘इस कुएँ को देखकर यदि वह घटना याद आ गई और पतिदेव ने कुछ पूछ लिया तो? यह Location जल्दी से पार हो जाए तो अच्छा होगा’ इन विचारों के कारण उसकी चलने की Speed Fast हो गई.

पति अपने पत्नी के State of Mind को समझ गया था. जैसे तैसे उस घटना को याद दिलाने के लिए वो बोल सकता था कि ‘क्यों प्यास लगी है? पानी पीना है क्या? इस कुएं का पानी पीना है क्या? मैं बाहर कैसे आया पता है? जानना है?’ 

इस तरह से बोलकर उस घटना पर चर्चा शुरू हो सकती थी लेकिन उस कुएँ के बारे में वह कुछ भी जानता ही नहीं हो, ऐसी Acting करके उस घटनास्थल को पार कर लेता है. फिर तो चलते चलते प्रेम से दूसरी कई बातें दोनों ने की. लेकिन उस घटना को लेकर एक शब्द भी नहीं.

जैसे जैसे ससुराल नज़दीक आ रहा था वैस वैसे इस पत्नी को लगा ऐसे कैसे हो सकता है ‘चोर की दाढ़ी में तिनका’, फिर से उसका दिल जोर से धड़कने लगा कि ‘ज़रूर अपने खुद के माँ-बाप को मेरे महान पराक्रम की घटना सुनाई ही होगी, मेरे सास-ससुरजी मुझे कितना कुछ सुनाएंगे. ससुराल में मेरी क्या Image बन गई होगी, सब नफरत करेंगे, कैसे अब वहां अपना जीवन गुजारुंगी?’ 

लेकिन जैसे ही घर में प्रवेश किया तब वहां तो वातावरण ही अलग था. सब एक दम हर्ष के साथ कहने लगे ‘पधारो, पधारो कुललक्ष्मी.’ वो समझ गई जैसे मैंने खुद का दोष छुपाने के लिए मनगढंत कहानी सुनाई थी ठीक उसी तरह पतिदेव ने भी यहाँ वैसी ही बात बताई थी. 

पत्नी को बहुत आश्चर्य हुआ कि पति ने उस घटना का ज़िक्र किसी को नहीं किया था. वह मन ही मन पतिदेव के चरणों में जैसे समर्पित हो गई. उसे लगा कि ‘यह मेरे पति, सिर्फ पति ही नहीं, एक देवता पुरुष है’ ऐसी सुंदर सोच मन में बन गई थी. 

इस कहानी की Ending हम जो सोच रहे हैं उससे बहुत अलग है. Unexpected Ending कुछ ही देर में हम जानेंगे. पत्नी अब अपार प्रेम बरसाने लगी, प्राण भी देने के लिए तैयार ऐसा सब कुछ देखकर उस पति को भी बहुत आनंद हुआ. उसने जीवन में सुख-शांति के लिए दो सूत्र बनाए.

1. पूछने से न पूछना भला
2. बोलने से न बोलना भला 

वो कुएँ वाली घटना ही नहीं हुई हो ऐसा यह लड़का अपनी Married Life व्यतीत करने लगा. इस पति-पत्नी की इतनी सुखी Married Life देखकर लोगों को भी ईर्ष्या होने लगी. कई वर्ष बीत गए, लड़के भी हुए लेकिन कभी भी इस पति ने उस घटना को लेकर उफ़ तक नहीं किया. पत्नी का प्रेम भी पति के प्रति दिन-ब-दिन बढ़ता ही गया. 

इस गंभीर व्यक्ति की सलाह लेने के लिए कई लोग भाग आते. सभी को वो ये दो सूत्र देता कि 1. पूछने से नहीं पूछना अच्छा और 2. बोलने से नहीं बोलना अच्छा. इस व्यक्ति का बड़ा बेटा इन सूत्रों का रहस्य पूछता तो वह यही कहता कि ‘मैंने तुझे कहा न, पूछने से न पूछना भला-बस, अब मुझे कभी भी पूछना नहीं.’ 

इस तरह से यह पिता अपने बेटे की बात को Ignore कर देता लेकिन इस बड़े बेटे की Curiosity बढती गई. बेटा बार-बार पूछता लेकिन इस पिता ने अपनी गंभीरता छोड़ी नहीं और छिछोरापन आने नहीं दिया. बड़े बेटे की शादी करवा दी थी. सब कुछ अच्छे से चल रहा था.

एक बार पिता-पुत्र दोनों साथ में भोजन करने बैठे हुए थे. पेट Over Tight हो गया था. फिर भी पत्नी प्रेम से दो कवल लेने का आग्रह कर रही थी. 

उस वक्त इस पति को वह कुएँ वाली घटना याद आ गई और सोचने लगा कि ‘ओह, कैसा अजीब है यह संसार, एक दिन जो मुझे मारने को तैयार थी, मारने की कोशिश भी कर दी थी, धक्का दे दिया था, वही आज इतना प्रेम से मुझे दो कवल लेने के लिए Force कर रही है’ उसे थोडा सा हँसना आ गया.

बड़े पुत्र की पत्नी ने गंभीर ससुरजी के चेहरे पर यह अजीओगरीब हंसी देख ली. वह इस सोच में पड़ गई कि ‘ज़रूर इसमें कोई रहस्य है’ इस पुत्रवधू ने अपने पति को इस बारे में बताया. इस पिता के बड़े पुत्र ने अपनी पत्नी की बात को Ignore करने की कोशिश की लेकिन इसकी पत्नी ने जिद्द नहीं छोड़ी. 

यह बेटा अपने ही पिता के द्वारा दिए गए जो दो सूत्र थे उसे भूल बैठा और आखिरकार इस बड़े बेटे ने अपने पिता से पूछ लिया. Already वो पहले से Curious था ही लेकिन अब तो पत्नी की जिद्द भी Add हो गई थी. पिता से पूछा कि क्या रहस्य है बताइए.

यह पिता जानते थे कि बेटा इतना गंभीर नहीं है लेकिन पिता ने कहा कि ‘देख बेटा, आज तक मैंने किसी को यह बात नहीं बोली और आज भी मैं तुझे कहना नहीं चाहता हूँ. फिर भी तू इतनी जिद्द कर रहा है इसलिए तुझे कह रहा हूँ. लेकिन वचन दे कि तू किसी को भी यह बात नहीं कहेगा.’ बेटे ने मन में निर्णय करके वचन देकर पूरी वह घटना सुन ली. 

पुत्र ने सूत्र का पहला नियम तोड़ा और पिता ने दूसरा नियम तोड़ दिया. 

यह बेटा इतना गंभीर नहीं था, कुछ दूसरी बात बनाकर अपनी पत्नी को शांत कर सकता था लेकिन दिमाग नहीं लगाया. इस बड़े बेटे की पत्नी ने सोगंध देकर अपने पति से बात उगलवा दी. वह कुएँ वाली घटना से लेकर इस प्रेम तक की पूरी कहानी इस बड़े बेटे की पत्नी को पता चल गई. कई बार Curiosity बहुत खतरनाक साबित हो जाती है. 

कहानी घर घर की. घर में कितने भी अच्छे लोग क्यों न हो, इंसान है, साथ में रहते हैं तो थोड़ी बहुत खिटपिट होनी ही है, थोडा बहुत झगडे तो धार्मिक से धार्मिक Families में भी हो ही जाते हैं. ये Natural है. इस घर में भी कभीकभार सास-बहू के झगडे हो जाते थे. 

सास का Weak Point बहू के हाथ लग गया था. मानो नशे में धुत बंदर के हाथ तलवार आ गई. एक दिन बहू ने कोई गलती कर दी तो सास ने इस बात को लेकर डांट दिया. तब बहू ने ‘क्या कुछ Result आ सकता है?’ ऐसा सोचे बिना सीधा Attack कर दिया. बहू ने सुना दिया कि ‘हमारे में हज़ार बुरे गुण होंगे लेकिन अपने पति को कुएँ में धकेल दे, वैसा गुण तो बिलकुल नहीं है’

इस तीखे व्यंग्य से, ताने से सास एकदम चौंक गई कि हे भगवान, इसको भी यह बात का पता है? सत्यानाश हो गया. और Unfortunately सास की हृदयगति रुक गई. Heart Attack and Instant Death. इन कड़वे शब्दों के कारण एक नारी की मौत हो गई. 

पिता के दिल को भी बहुत गहरी चोट लगी कि धत्त जीवनभर जिस सूत्र को पकड़कर मैं चला था और अब सिर्फ एक बार Negligence कर दिया, एक बार उसकी उपेक्षा की तो कितना भयंकर परिणाम आ गया’

किसी की भूल देखनी ही नहीं है साथ ही पूज्य श्री कहते हैं कि In Case किसी व्यक्ति ने ठाक हमारी आँखों के सामने कोई भूल कर दी और हमने देख भी ली तो भी उसे भूल जाना है. भूल उसी को कहते है जो भूलने योग्य हो. 

हम यदि भूलते हैं तो शांति और समाधि प्राप्त होगी और सामनेवाले व्यक्ति का हम पर Respect, प्रेम, सद्भाव आदि भी बढेगा. यदि हमने उन भूलों को भूल से भी याद कर लिया तो याद रखना है कि परेशानियां तैयार ही है आने के लिए. 

इस Husband Wife की Story में इस Husband ने भोजन करते वक्त पत्नी की भूल याद की और उसे हँसना आ गया. हंसी क्या आई जिंदगी की मौत आ गई. अत्यंत प्रेम करने वाली पत्नी हमेशा के लिए दूर हो गई. यदि उसे भूल याद ही नहीं आती तो कभी भी वह बोलता ही नहीं. 

जिस पत्नी ने भूल की थी, उसके सामने भी अकेले में उसकी भूल का ज़िक्र तक नहीं किया था. Over Confidence में शायद मोहराजा के जाल में फंस गए और बेटे को सब कुछ बता दिया. खुद की भूल को लाख कोशिश कर याद दिलाने पर भी याद नहीं करनेवाला भुलक्कड़ इंसान, सामनेवाले की भूल को किसी भी हालत में भुला नहीं पाता है, यह ही तो आश्चर्य की बात है. 

खुद की भूल पानी में लकीर जैसी और दूसरों की भूल पत्थरों में कुरेदा शिलालेख जैसी. इसी कारण से संबंध बिगड़ते हैं और जीवन का सुखचैन ख़त्म हो जाता है. इसलिए पूज्य श्री कहते हैं भूल भूलने योग्य चीज़ है. हमारा दिल Mirror जैसा है या Print जैसा जानेंगे अगले Episode में.

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