“भाई-बहन” साथ में करेंगे ओली की Century Complete…
जी हाँ, वर्तमान जिनशासन में लगभग पहली बार यह ऐतिहासिक घटना घटने जा रही है, जहाँ एक सग्गे भाई बहन की जोड़ी एक साथ में तारीख 8th November 2025 के दिन वर्धमान तप की 100वीं ओली का पारणा करेंगे।
इतना ही नहीं, सोने पर सुहागा, तप धर्म के इस अद्भुत अवसर पर दोनों तपस्वी महात्मा के सांसारिक माता उन्हें एक ऐसा उपहार देने जा रहे हैं, जिसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता।
बने रहिए इस Article के अंत तक..
मरुधर में कालंद्री और हाल भायंदर-मुंबई निवासी सुश्राविका निर्मला बहन एवं सुश्रावक नेमीचंद भाई के सुपुत्र विनीतजी एवं सुपुत्री सोनलजी ने आज से 23 Years पहले 15 एवं 18 वर्ष की उम्र में श्री प्रेम भुवनभानुसूरि समुदाय के परम पूज्य आचार्य भगवंत श्रीमद् विजय जगच्चन्द्रसूरीश्वरजी महाराज साहेब के हाथों से रजोहरण ग्रहण किया था।
विनीत भाई परम पूज्य आचार्य भगवंत श्रीमद् विजय हीरचंद्रसूरीश्वरजी महाराज साहेब के प्रथम शिष्य परम पूज्य मुनिराज श्री विमलपुण्यविजयजी महाराज साहेब बने एवं सोनल बहन परम पूज्य साध्वीजी भगवंत श्री पुण्यनिधिश्रीजी महाराज साहेब की शिष्या परम पूज्य साध्वीजी श्री त्यागनिधिश्रीजी महाराज साहेब बने।
संयम जीवन का चुस्त पालन करते हुए वर्धमान तप की ओलियाँ शुरू की। दोनों भाई – बहन गुरु आज्ञा में रहकर स्वाध्याय में एवं प्रभु और गुरु भक्ति में तल्लीन रहे।
निर्दोषता के खपी रहे, आत्मशुद्धि के चाहक रहे, गुरुओं के ह्रदय में रहे। समुदाय में वैयावच्च आदि करने से सभी का आशीष प्राप्त कर आगे बढ़ने वाले हैं।
एक बार पूज्य विमलपुण्यविजयजी म.सा. के 108 आयंबिल चल रहे थे।
उस दौरान पूज्य हीरचंद्रसूरीश्वरजी महाराज साहेब के बड़े भाई महाराज साहेब यानी परम पूज्य आचार्य भगवंत श्रीमद् विजय अभयचंद्रसूरीश्वरजी महाराज साहेब ने पूज्य मुनिराज श्री विमलपुण्यविजयजी म.सा. को अपनी भावना व्यक्त करते हुए कहा कि ‘मेरी 3 भावना है कि आप
- मासक्षमण करो
- संलग्न (Non-Stop) 1008 आयंबिल करो।
- 100 ओली करो।’
बस, फिर तो मुनिराजश्री ने पूज्य आचार्य श्री की पहली भावना दुसरे ही वर्ष में पूर्ण की और पांचवें वर्ष में संलग्न यानी Non-Stop 1008 आयंबिल पूर्ण किए और अब मात्र 37 की उम्र में 100 ओली पूर्ण करने जा रहे हैं।
पूज्य साध्वीजी भगवंत श्री त्यागनिधि श्रीजी महाराज साहेब दीक्षा के बाद कितने ही साल तक गोचरी संयोजन करके वापरते थे।
संयोजन करके वापरना यानी कि सरल भाषा में कहे तो रोटी-सब्जी-डाल-चावल-मिठाई-फरसाण सब कुछ Mix करके 1 द्रव्य बनाकर वह भोजन ग्रहण करते थे, जिसे हम वापरना कहते हैं
Note : जानकारी के लिए बता दें ओली यानी एक आयम्बिल, एक उपवास, फिर दो आयम्बिल एक उपवास, तीन अयाम्बिल एक उपवास, चार अयाम्बिल एक उपवास..
इस तरह से आगे बढ़ते बढ़ते 98 अयाम्बिल, एक उपवास यह हुई 98 ओली पूरी 99 आयम्बिल एक उपवास यह हुई 99 ओली पूरी और फिर 100 अयाम्बिल एक उपवास करने पर 100 ओली पूर्ण होती है।
1 से लेकर 100 तक इस तरह से जाना है 100 ओली पूरी करने में लगभग 14.5 वर्ष लग जाते हैं जिसमें कुल 5050 आयम्बिल और 100 उपवास आते हैं, बहुत बड़ी तपस्या है।
यहाँ पर बहुत गजब का Coincidence यह है कि पूज्य पंन्यास प्रवर श्री विमलपुण्यविजयजी म.सा. एवं पूज्य साध्वीजी भगवंत श्री त्यागनिधिश्रीजी म.सा. ने 07th February 2003 को एक साथ दीक्षा ग्रहण की।
वे एक साथ ही 100वीं ओली कर रहे हैं और एक साथ ही उनका पारणा भी चेन्नई में होगा।
श्री प्रेम – भुवनभानुसूरि समुदाय में सबसे छोटी उम्र में 100 ओली पूर्ण करनेवाले साधु भगवंत – पूज्य पंन्यास प्रवर श्री विमलपुण्यविजयजी म.सा. बनने जा रहे हैं।
वर्धमान तपोनिधि परम पूज्य आचार्य भगवंत श्रीमद् विजय भुवनभानुसूरीश्वरजी महाराज साहेब की प्रेरणा से सहदीक्षित ऐसे पूज्य आचार्य भगवंत श्रीमद् विजय अभयचंद्रसूरीश्वरजी महाराज साहेब एवं पूज्य साध्वीजी भगवंत श्री पुण्यनिधिश्रीजी महाराज साहेब ने 100 ओली पूर्ण की।
इतने महान तपस्वी गुरु भगवंतों के आशीर्वाद एवं कृपा प्राप्त करके पूज्य पंन्यास प्रवर श्री विमलपुण्यविजयजी म.सा. एवं पूज्य साध्वीजी श्री त्यागनिधिश्रीजी म.सा. 100 ओली की तपस्या पूर्ण करने जा रहे हैं।
इसी अद्भुत अवसर पर दोनों महात्मा की सांसारिक माताजी यानी निर्मला बहन नेमिचंदजी उन्हें एक अद्भुत भेंट देने जा रही हैं और वह भेंट है – परमात्मा के, गुरु के चरणों में अपना जीवन समर्पण।
जी हाँ, तारीख 07th November 2025 के दिन यानी दोनों महात्मा के 100वीं ओली के अंतिम उपवास के दिन ही Chennai के श्री किलपॉक जैन श्वेतांबर मूर्तिपूजक संघ के तत्वावधान में निर्मला बहन संयम जीवन अंगीकार करने जा रहे हैं यानी दीक्षा लेने जा रहे हैं।
उसके अगले दिन यानी पारणे के दिन निर्मला बहन स्वयं साध्वी वेश में अपने बेटे एवं बेटी महाराज साहेब को यानी पूज्य पंन्यास प्रवर श्री विमलपुण्यविजयजी म.सा. एवं पूज्य साध्वीजी श्री त्यागनिधिश्रीजी म.सा. को पारणा करवाएंगे।
साथ ही इस अवसर पर तमिलनाडु के समस्त वर्धमान तपोनिधि श्रावक श्राविकाओं का भी बहुमान किया जाएगा।
Note : वर्धमान तपोनिधि यानी कि जिनकी भी 100 ओली पूर्ण हो चुकी है।
जो माता अपने बच्चों की दीक्षा तय होने के समय व्याकुल हो गए थे, उन्हीं माता को यानी निर्मला बहन को धर्म में स्थिर करने का और दीक्षा जीवन के लिए तैयार करने का कार्य इन दो तपस्वी श्रमण – श्रमणी भगवंत ने किया है।
अपने पुत्र एवं पुत्री के चारित्र जीवन से प्रभावित होकर निर्मला बहन के भावों में परिवर्तन आया और वे रत्नकुक्षी माता अब स्वयं जैन शासन के साध्वीजी बनने जा रही है।
परम पूज्य आचार्य भगवंत श्रीमद् विजय जगच्चन्द्रसूरीश्वरजी महाराज साहेब एवं पूज्य आचार्य भगवंत श्रीमद् विजय अभयचंद्रसूरीश्वरजी महाराज साहेब ने इस प्रसंग पर दोनों तपस्वी महात्मा को आशीर्वचन देते हुए कहा कि
दोनों महात्मा खूब उत्साहपूर्वक पारणा करके शीघ्र ही 101 – 102 – 105 – 108… इस तरह आगे की ओली की तपस्या पूर्ण करें।
यह तपस्या प्रसंग शासन प्रभावक बने, अनेक आत्माओं के हृदय में जिनशासन के प्रति अहोभाव जागे, अनेक आत्माओं के जीवन में तप – त्याग – स्वाध्याय की वृद्धि हो एवं प्रभु की आज्ञा पालन स्वरूप शुद्ध चारित्र का स्वीकार एवं आत्म कल्याण की प्राप्त हो, यही मंगल कामना।
दीक्षा सहित तप धर्म के इस पावन अवसर पर अनुमोदन स्वरूप एवं शासन की एकता, सुरक्षा और वृद्धि के लिए, विश्व शांति एवं विश्व में अहिंसा फैले इन सब संकल्पों के साथ जिनकी अनुकूलता हो – शक्ति हो वे तारीख 05 November 2025 से तारीख 07 November 2025 को अट्ठम तप यानी तीन उपवास और अगर उपवास ना हो सके तो 3 आयंबिल कर सकते हैं।
ऐसे अद्भुत तपस्वी महात्माओं की हम अंतर्मन से खूब खूब अनुमोदना करते हैं एवं परमात्मा से यही प्रार्थना करते हैं। दोनों तपस्वी महात्मा का पारणा शातापूर्वक हो और आगे भी ऐसी अद्भुत तपस्या के लिए अच्छा स्वास्थ्य और समाधि रहे।