ज़मीन के ऊपर उगे हुए आलू क्या एक जैन व्यक्ति खा सकता है?
12th Oct 2025 के दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदीजी ने New Delhi में किसानों से मुलाकात की थी और उस दौरान क्या हुआ आप पहले यह Video देखिए फिर जानेंगे।
PM Modi के साथ जिस व्यक्ति ने बात की वह MP Jabalpur का रहनेवाला है और इस व्यक्ति ने ज़मीन के ऊपर इस तरह के आलू उगाए हैं और मज़ाक मज़ाक में PM Modi ने एक बहुत बड़ा Statement दे दिया कि
ये जैनियों के लिए हैं, ये जैन आलू है अगर ये ज़मीन में हैं तो जैन खाते नहीं बाहर हैं तो खाते हैं।
आलू प्याज वगैरह ज़मीन के अंदर उगते हैं इसलिए जैन लोग आलू नहीं खाते क्या यह बात सही है? और ज़मीन के ऊपर उगे तो क्या जैन लोग खा सकते हैं? क्या यह जुगाड़ उचित है?
इन दोनों Topics को आज हम Decode करेंगे।
बने रहिए इस Article के अंत तक।
Keerthika Govindhasamy नामक एक Social Media Influencer ने एक Reel Post की थी ‘Why Don’t Jain People Eat Onion & Garlic?’
Keerthika जी का कहना है कि
Root Vegetables Pluck करते समय पूरा पौधा उखाड़ना पड़ता है और इससे उस Plant का जीवन नष्ट हो जाता है और यह जैन धर्म में पाप माना गया है इसलिए जैन लोग Root Vegetables नहीं खाते।
यह Theory कहाँ से आई पता नहीं इस रील को 29 Million Views मिले हैं और 18000 से ज्यादा Comments थे।
आलू, प्याज, लहसुन वगैरह की जब भी बात होती है तो सबसे ज्यादा Trolling जैनों की होती है लेकिन इस Video के नीचे जैन धर्म को लेकर और जैनों के प्रति बहुत Positive Comments थे यह देखकर अच्छा लगा।
लेकिन Unfortunately PM Modi ने जो कहा कि अगर ये ज़मीन में हैं तो जैन खाते नहीं बाहर हैं तो खाते हैं यह सही नहीं है। Keerthika जी ने भी जो कहा कि पूरा Plant उखाड़ने से पाप होने से Root Vegetables नहीं खाते यह भी सही नहीं है।
ये दोनों बातें गलत है…
क्या जैन व्यक्ति ज़मीन के ऊपर उगे हुए आलू अथवा प्याज लहसुन खा सकते हैं? क्या यह जैन सिद्धांतों के अनुसार सही है? आइए जानते हैं।
Two Types Of Vanaspati
जैनों के आगम श्री पन्नवणा में और बड़े पुराने ग्रन्थ जीवविचार में दो प्रकार की वनस्पति यानी दो प्रकार के Plants बताए गए हैं :
A. प्रत्येक वनस्पति
B. साधारण वनस्पति
A. प्रत्येक वनस्पति यानी जिसके एक शरीर में एक जीव होता है अर्थात् आम ले लीजिए तो आम के एक बीज में एक जीव होता है।
B. साधारण वनस्पति यानी जिसके एक शरीर में अनंत जीव होते हैं अर्थात् प्याज, लहसुन, आलू जिसके एक छोटे से भाग में भी अनंत जीव होते हैं।
देखिए विज्ञान आत्मा को ना तो स्वीकारता है और ना ही नकारता है। आत्मा अरूपी है उसको Microscope में नहीं देखा जा सकता। It is impossible to see a Soul through a Microscope..
लेकिन तीर्थंकरों का, महापुरुषों का ज्ञान – विज्ञान से भी ऊपर का होता है विशिष्ट ज्ञान होता है, जहाँ वे अपनी ज्ञान की शक्ति से ऐसी चीज़ें भी जान लेते हैं जो Physically शायद नहीं दिखे लेकिन Exist करती है जैसे कि हवा।
इस प्रत्येक वनस्पति और साधारण वनस्पति के Difference को समझना बहुत ज़रूरी है वरना आगे जो भी बात हम करेंगे वह पूरा सर के ऊपर से जाएगा।
एक Example से समझते हैं:
एक व्यक्ति है राहुल, उस व्यक्ति के शरीर में एक जीव है, जिसे हम कहेंगे ये राहुल की आत्मा है-Soul.. अब मान लो राहुल के अंदर कुछ 2-3 आत्माएं घुस जाए तो हम क्या कहेंगे राहुल के शरीर में 2-3 आत्माएं घुस गई है, भूतप्रेत घुस गए हैं और उसे परेशान कर रहे हैं।
I know Modern Educated लोगों को बहुत Lame लग रहा होगा लेकिन समझाने के लिए इससे अच्छा Example नहीं हो सकता। खैर आगे बढ़ते हैं। अब राहुल के शरीर में एक नहीं बल्कि 3-4 आत्माएं हैं। आत्मा कहो जीव कहो एक ही बात है।
बस इसी तरह से ककड़ी, भिंडी, लौकी, Apple, Chikoo, Orange, Mosambi, Papaya, आम इस Category वाले Fruits अथवा Vegetables में जो बीज होते हैं उनके अंदर रहे एक-एक बीज में एक ही जीव होता है।
अगर एक भिंडी के अंदर 50 बीज है तो कुल 50 जीव हुए। इसे कहते हैं प्रत्येक वनस्पति।
अब दूसरी तरफ देखें तो आलू, प्याज, गाजर, मूली, लहसुन, Beetroot, Dragon Fruit आदि जो होते हैं, इस Category वाले Fruits अथवा Vegetables में बीज हो या ना हो That Doesn’t Matter.
लेकिन आप अगर Needle अंदर डालकर बाहर निकाले तो Needle के Tip में भी दिख रहे आलू में अनंत जीव होते हैं। अगर Needle के Tip में चिपके हुए आलू में अनंत जीव है तो पूरे आलू में कितने हुए? अनंतानंत जीव हुए।
अनंत जीवों का पिंड कह सकते हैं।
यही बात प्याज, गाजर, मूली, लहसुन, शलगम, शकरकंद, Beetroot, Dragon Fruit सब पर लागू होती है। इसे कहते हैं साधारण वनस्पति।

तो यहाँ पर हमने दोनों का Difference देख लिया। एक में एक जीव और एक में अनंत जीव।
कुछ अज्ञानी लोग भले इस विषय पर हमें Troll करें लेकिन यह बात हमारें तीर्थंकर परमात्मा ने अपने विशिष्ट ज्ञान में देखकर बताई है और यही बात हमारे धार्मिक ग्रंथों में मिलती है।
Identification Of Sadharan Vanaspati
यहाँ पर एक बहुत बड़ी Problem हो सकती है। कोई यह भी तो कह सकता है कि ‘भाई, मैं तो नहीं मानता कि इसमें अनंत जीव होते हैं। Prove करके बताओ..’
अब देखिए जिस दिन विज्ञान (Modern Science) ऐसी कोई Machine बना दे जिससे आत्मा को जाना जा सके, उस दिन यह बाद Prove नहीं करनी पड़ेगी अपने आप हो जाएगी लेकिन जो लोग ऐसी कोई Machine के बिना भी जानने की इच्छा रखते हैं जिन्हें शास्त्रों पर थोड़ी बहुत श्रद्धा हो उनके लिए एक तरीका है।
शास्त्रों में, जीव विचार की इन गाथाओं में साधारण वनस्पति के 6 लक्षण, 6 Characteristics दिए गए हैं।
- गूढ़सिरं
- गूढ़संधि
- गूढ़पर्व
- समभंग
- अहीरंग
- छिन्नरूहं
अब इनका अर्थ समझ लेते हैं।
A. गूढ़सिरं यानी Concealed Veins यानी कि जिस वनस्पति की नसें यानी Veins गुप्त होती है यानी अंदर होने के बावजूद भी जो बाहर स्पष्ट रूप से दिखती नहीं है।
B. गूढ़संधि यानी Concealed Joints यानी कि जिस वनस्पति के Joints यानी जुड़ने के भाग, जो डाली और पेड़ के बीच हो या पत्ते और डाली के बीच हो वे Joints जिसके गुप्त होते हैं और बाहर दिखते नहीं।
C. गूढ़पर्व यानी Concealed Node यानी कि जिन वनस्पतियों की Sugarcane के बीच रही गांठों के जैसी गाँठ दिखती नहीं, वे भी साधारण वनस्पति कहलाती है।
D. समभंग यानी कि जो दो Equal Parts में Break हो, हाथ से तोड़ने पर जिसके उभड-खाबड़ यानी Up Down टुकड़े ना हो बल्कि Same टुकड़े हो, Smooth टुकड़े हो, उन्हें साधारण गिना है।
E. अहीरंग यानी Fibreless जैसे हम संतरा-मोसंबी को सुधारते हैं तब उसमें से Fibres निकलते हैं, वैसे Fibres साधारण वनस्पति में नहीं मिलते।
F. छिन्नरूहं यानी उसे काट दो तो भी वह उगता है यानी कि जिसके टुकड़े करके अगर हम ज़मीन में बोएं तो वे उगने लग जाते हैं यानी Basically जिन्हें वापस उगने के लिए Seed आदि की ज़रूरत नहीं पड़ती। उन्हें हम साधारण वनस्पति कहते हैं।
अब ज़रूरी नहीं है कि ये 6 के 6 लक्षण सभी में हो लेकिन अगर एक लक्षण भी किसी में भी हैं तो वह भी साधारण वनस्पति में भी गिना जाता है।
Troll करना बहुत आसान है लेकिन इस तरह से शास्त्रों की बातों को गहराई से समझकर सत्य को पहचानना बहुत मुश्किल है।
Can Jain Aloo Be Consumed?
यह सबके लिए बात हो गई। आलू प्याज लहसुन Etc सबके लिए जिस आलू की बात प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदीजी ने की अगर वह ये 6 Criterias में से Pass होगा।
यानी कि अभी हमें जो 6 लक्षण देखें हैं उनमें से एक भी लक्षण अगर उसमें नहीं है तो ही वह साधारण वनस्पति की Category से बाहर निकलेगा और अगर वह साधारण वनस्पति की Category से बाहर निकलता है तो फिर उसका नाम आलू नहीं कुछ और रखना चाहिए।
अगर एक भी लक्षण उनमें देखने को मिलता है तो फिर वह साधारण वनस्पति की Category में आएगा। साधारण वनस्पति को अलग अलग नाम से भी जाना जाता है जैसे कि अनंतकाय, कंदमूल Etc..
तो फिर ज़मीन के अंदर या फिर ज़मीन के ऊपर उगने वाली बात?
इस Factor का प्रत्येत और साधारण वनस्पति को Distinguish करने में, Differentiate करने में कोई लेना देना नहीं है। ये एक बहुत बड़ा भ्रम पूरे विश्व में फैलाया गया है ऐसा कह सकते हैं।
‘ओह, तो ज़मीन के नीचे उगता हो वह तो अब खा सकते हैं ना?’
जो ज़मीन के नीचे उगता हो लेकिन उसमें अगर बताए गए 6 लक्षण में से एक भी लक्षण ना हो तो वह चल सकता है जैसे कि Groundnut यानी सिंग मूंगफली। मूंगफली जैन लोग खाते ही है, महात्मा भी वापरते ही है वह तो ज़मीन के नीचे ही उगती है।

‘तो क्या ज़मीन के ऊपर उगे वह सब कुछ खा सकते हैं?’
जो ज़मीन के ऊपर उगाया गया हो और उसमें भी अगर इन 6 में से एक भी लक्षण हो तो वे भक्षण के लिए योग्य नहीं है नहीं चल सकते हैं। वे भी साधारण वनस्पति की Category में ही आएंगे जैसे कि Mushroom..
‘जो नीचे उगता है वह नहीं खाते है। वही चीज़ ऊपर उगे तो खा सकते हैं?’
Very Sorry, But Unfortunately यह बात बहुत ही Baseless है और इसका कोई आधार नहीं है। तीर्थंकर परमात्मा ने एवं शास्त्रों ने आलू कांदे लहसुन आदि में अनंत जीव है इसलिए उसका निषेध किया है, इसलिए नहीं कि वह ज़मीन के नीचे उगता है।
Truth About Root Vegetables
‘तो फिर ये जमीन के अंदर उगने वाली बात आई कहा से?’
कंद यानी Underground Vegetables और मूल यानी Roots..
तो एक हकीकत या Coincidence यह है कि ज़्यादातर कंदमूल यानी आलू गाजर लहसुन प्याज यानी Underground Vegetables यानी Root Vegetables साधारण वनस्पति यानी अनंतकाय यानी अनंत जीवों के शरीर की Category में जाते हैं।
इसलिए ऐसा देखा जाता है कि जैन लोग Normally कंदमूल यानी Root Vegetables नही खाते। लेकिन वो नीचे उगते हैं इसलिए नहीं खाते हैं, ऊपर उगे तो खा सकते हैं, यह Angle Baseless है और गलत है।
Fungus, Sprouts, कोंपल यानी Buds, Spirogyra (यह एक प्रकार की Algae है जिसे Water Silk भी कहा जाता है), Mushrooms, Nut Grass, Chenopodium album आदि कई ज़मीन के ऊपर उगनेवाली वनस्पतियों को भी जीवविचार ग्रन्थ की 9th एवं 10th गाथा में साधारण वनस्पति काय माना है और उसे खाने का स्पष्ट निषेध किया गया है।
Why is अनंतकाय Restricted?
‘भाई, ये खा सकते हैं ये नहीं खा सकते हैं।
ये Allowed है ये Restricted है।
इतना सब क्यों?
जिसको जैसे जीना है जीने दो ना!
जिसको जो खाना है खाने दो ना!’
यह विषय हमने बहुत पहले Detail में ले लिया था, लाखों लोग वह Video देख चुके हैं, आप एक बार फिर से ज़रूर देख सकते हैं 👇
Short में बता दें तो Simple बात है। It is like जो काम Rs. 500 रुपये में हो रहा है उसके लिए 5 करोड़ रुपये क्यों देना। इसी तरह से हमारा पेट Limited जीवों की हिंसा से भर जाता हो तो अनंत जीवों की हिंसा या विराधना क्यों करनी?
आपको जानकर हैरानी होगी लेकिन अनंत का आकड़ा हम जो सोच रहे हैं उससे बहुत बहुत ज्यादा बड़ा है। अनंत मतलब अनंत-Infinite… हम अगर Book लेकर 1 लिखकर उसके आगे 10 Minute तक Zero लिखते जाए तो भी शायद अनंत को माप नहीं पाएंगे।
क्योंकि जो मापा जा सके उसे अनंत कैसे कहेंगे? इतनी ज्यादा हिंसा अनंतकाय के भक्षण में है।
हमें कम से कम हिंसा में जीवन बिताना है। जैसे जैसे व्यक्ति का, उसकी आत्मा का स्तर बढ़ता है, उसको गुणों की प्राप्ति होती है वैसे वैसे उसकी करुणा भावना भी बढती है उसको ऐसी Feeling आती है कि हमें कम से कम हिंसा में जीवन बिताना है।
तो अनावश्यक अनंत जीवों की विराधना क्यों करना इसलिए इसका निषेध है। Yes, सूखी अदरक (सौंठ) और सूखी हल्दी में कुछ ऐसे Qualities होती है, वह बहुत Important होती है इसलिए उणको औषधि के रूप में Allow किया गया है।
बाकी सारे कंदमूल में ऐसे कोई Extra Ordinary Nutrients नहीं है जो अन्य में नहीं हो इसलिए उनका Clear निषेध किया गया है। एक और Major कारण यह है कि अनंतकाय भक्षण से विकार भाव-वासना भाव Trigger होने के, Aggression बढ़ने के बहुत Chances होते हैं इसलिए भी निषेध किया है।
ये चीज़ें खाने से व्यक्ति की आसक्ति यानी कि Taste के पीछे का पागलपन बहुत ज्यादा बढ़ जाता है। वह अपनी आत्मा की सोच से, वैराग्य की भावना से दूर होता है इसलिए भी निषेध किया गया है।
जैसे परिग्रह में यानी Possession में Minimalism की Theory प्रभु ने बताई है जो आज दुनिया में समझ में भी आ रही है और बड़े बड़े लोग भी इसे आज Follow कर रहे हैं उसी तरह से हिंसा में भी Minimalism की Theory तीर्थंकर परमात्माओं ने बताई है और कई लोग इसे Follow करते हैं।
इधर कई लोग ऐसा भी सोच सकते हैं कि ‘भाई, हमने तो बहुत ऐसे जैन लोग देखें हैं तो आलू कांदा सब खाते हैं।’
देखिए कोई क्या खाता है नहीं खाता है यह उसका व्यक्तिगत विषय है। खाने की Choices के लिए सब स्वतंत्र है लेकिन कोई व्यक्ति अपने आप को जैन कहे और ये सब खाए तो उससे जैन धर्म का सिद्धांत नहीं बदल जाता।
सिद्धांत तो सिद्धांत ही रहनेवाला है। किसी के खाने ना खाने से धर्म के सिद्धांत नहीं बदलते लेकिन जब बात सिद्धांत को बताने की या समझाने की आए तो सही जानकारी सभी को होनी ही चाहिए इतना तो हर कोई मानेगा।
End of Life of Plant
Keerthika जी ने जो Logic दिया कि पूरा Plant उखाड़ना पड़ता है उससे पूरे Plant की मृत्यु हो जाती है और पाप लगता है, इसलिए जैन लोग Root Vegetables नहीं खाते, यह बात भी पूरी तरह से Baseless है और गलत है।
अनानास यानी Pineapple इसका पौधा लगभग एक बार ही फल देता है, फल पकने के बाद, मुख्य पौधा मरने लगता है इसलिए, फल प्राप्ति के बाद आमतौर पर पूरा पौधा हटाना पड़ता है।
तो इस हिसाब से तो जैनों को Pineapple का भी निषेध हो जाएगा लेकिन ऐसा नहीं है जैन लोग Pineapple खाते हैं और महात्मा भी वहोरते ही है।

कुछ प्रकार के प्याज प्राप्त करने के बाद जड़ मिट्टी में छोड़ देते हैं, वह फिर से बढ़ जाते हैं, फिर से उगने लगते हैं। इसमें ऐसे देखें तो पौधे की कहा मृत्यु हुई, लहसुन में भी कई बार ऐसा किया जाता है।
तो इस Logic से क्या उस प्रकार के प्याज अथवा लहसुन जैनों को चलेंगे क्या? बिलकुल नहीं..
अब कोई अगर इस तरह से आलू, प्याज, गाजर, मूली आदि उगाए कि जहाँ पूरे पौधे की मृत्यु ना हो और फिर कल वो Claim करें कि ये तो जैनों के आलू है, प्याज है, मूली है तो क्या वह चलेंगे? बिलकुल नहीं..
पूरे पौधे की मृत्यु का भी इस Root Vegetables नहीं खाने वाले विषय से कोई लेना देना नहीं है।
I am sorry but it is Completely Baseless और गलत है।
तो कोई भी फल सब्जी यानी वनस्पति प्रत्येक है या साधारण उसे Decide करने से पहले ज्ञानियों के मार्गदर्शन में जो 6 लक्षण है उनका आधार लेकर Test कर लेना चाहिए।
इस पूरी गड़बड़ में हम जैनों की भी बहुत बड़ी Mistake है कि हम हमारे धर्म का Basic Knowledge नहीं रखते, पूज्य ज्ञानी गुरु भगवंतों के पास बैठकर उनसे ऐसे विषयों पर चर्चा नहीं करते, उनसे ज्ञान नहीं लेते।
यदि हम जैनों को Knowledge होगा तो हम पूरी दुनिया के सामने सही Information रख पाएंगे और कोई गलत Information दे रहा है तो उन्हें भी Politely बताकर सही कर पाएंगे।
आपको शायद ये तर्क बहुत ही अजीब लगेंगे लेकिन Animal Cells के द्वारा कोई Lab में Artificial Meat बनाकर Plant-Based बोलकर Green dot लगाकर शाकाहारी लोगों को चिपका दे तो क्या शाकाहारी लोग वह खा सकते हैं?
कल को कोई Lab में Artificially Animals बनाकर देंगे और बोलेंगे कि ये तो Lab Made Animals है, तो क्या Vegetarian लोग खा पाएंगे?
नहीं Right!
तो बस वैसे ही ज़मीन के ऊपर उगे या फिर नीचे उससे कोई लेना देना नहीं है, प्राप्त करने में Plant की मृत्यु हो या नहीं हो इससे भी कोई लेना देना नहीं है। लेना देना है उनमें रहे अनंत जीवों से और उसे पहचानने के लिए लक्षणों से।
इसलिए कहते हैं Half Knowledge is More Dangerous…


