The Right Way Of Meditation-Maun Sadhana Shivir.
आज के Youth को Actual में जिसकी ज़रूरत है ऐसा कुछ हुआ है.
क्या सिर्फ वरघोड़े और बाहरी आडंबर से ही लोग शासन से जुड़ते हैं? क्या मनोरंजन और धूम धड़ाकों से ही शासन प्रभावना होती है? इस तरह के प्रश्न कई लोगों के मन में उठते हैं.
लेकिन इन मान्यताओं को तोड़ते हुए, इन मान्यताओं से ऊपर उठते हुए माहौल बदल रहा है यह दिखा दिया है श्री मणिलक्ष्मी तीर्थ में संपन्न हुए मौन ध्यान साधना शिविर के माहौल ने. आखिर कैसे?
आइए जानते हैं इस Article के माध्यम से.
तारीख 14-15 एवं 16th February 2025 को गुजरात के माणेज में आए हुए श्री मणिलक्ष्मी तीर्थ में प.पू. पंन्यास प्रवर श्री लब्धिवल्लभविजयजी महाराज साहेब की निश्रा में आयोजित हुए मौन ध्यान शिविर में लगभग 700 से अधिक साधक साधना करने आए थे, उसमें भी Youth की संख्या आश्चर्यजनक थी.
50% Males थे और 50% Females. 60% साधक 50 वर्ष से नीचे की उम्र वाले थे और 20% साधक तो 35 वर्ष से नीचे की उम्र वाले थे. है ना आश्चर्य की बात!
भक्तियोगाचार्य प.पू. आचार्य भगवंत श्री यशोविजयसूरीश्वरजी महाराज साहेब एवं प.पू. पंन्यास प्रवर श्री यशरत्नविजयजी महाराज साहेब की निश्रा में भी ऐसे ही मौन ध्यान शिविर का आयोजन होता है और उन शिविरों में भी साधकों की संख्या काफी अधिक मात्र में होती है और Same to same ऐसा ही माहौल होता है.
मौन ध्यान शिविर में क्या करवाया जाता है?
मौन ध्यान शिविर में सम्पूर्ण मौनपूर्वक जैन पद्धति के अनुसार ध्यान लगाया जाता है यानी साधक Complete Silence Maintain करते हुए Meditation करते हैं. लोगों को लगेगा कि ‘Meditation तो कोई भी करवा देगा, Online देखकर खुद से ही कर लेंगे.’
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Meditation कोई खेल नहीं है जिसे Online Tutorials या किसी भी ऐरे गैरे के पास सीख कर किया जा सके. यह एक ऐसी Skill है जिसे Master करने में लोगों को वर्षों का समय लग जाता है. कई बार तो जीवन पूरा हो जाता है.
सबसे पहले तो Meditation और Concentration में फर्क समझना होगा.
किसी भी वस्तु पर ध्यान लगाकर बैठने को Concentration कहा जाता है जैसे मस्तक के बीच में या मन में किसी रौशनी को देखकर ध्यान लगाना यानी वस्तु पर ध्यान एकत्रित करना-उस पर Concentrate करना.
और Meditation यानी आत्मा की-Soul की जागृति लाना, खुद के Soul के करीब जाना, स्वयं की आत्मा को जानने का प्रयास करना और जानना वह Meditation है.
आम तौर पर लोग Concentration को Meditation समझ बैठते हैं.
मौन ध्यान शिविर में Actual Meditation को ध्यान में रखते हुए साधकों को कुछ नियमों का पालन करवाया जाता है जिससे वे सिर्फ अपनी साधना और आत्मा को जानने के लक्ष्य में आगे बढ़ सकें.
आइए जानते हैं शिविर के दौरान साधकों की दिनचर्या की कुछ Details.
1. त्रिदिवसीय इस शिविर के दौरान Mobile Phones का सम्पूर्ण रूप से त्याग करना और मौन रहना आवश्यक है. Mobile का त्याग होने के बावजूद भी Youth इस शिविर में जुड़ने के लिए Excited रहते हैं.
यानी हम सोच सकते हैं कि किस Level का Happiness, Mental Peace उन्हें शिविर के दौरान मिलता होगा जिसके लिए ये लोग Mobile Phone से दूर रहने के लिए भी तैयार हो जाते हैं.
2. पूज्य गुरु भगवंतों के द्वारा साधकों को Daily 06 Hours से ज्यादा सिर्फ तत्त्व का श्रवण करवाया जाता है, जिसमें ना कोई Story और ना कोई Jokes होते हैं, फिर भी Youth इस शिविर के लिए बेसब्री से Wait करते हैं.
For Example –
सर्वज्ञ वीतराग अरिहंत प्रभु ने इस विश्व में अपना स्वरूप क्या है? और विश्व का स्वरूप क्या है? यानी इस Universe की Reality क्या है? और हमारी Reality क्या है? यह अरिहंत प्रभु ने किस तरह बताया है यह जानते जानते मन अपने आप अपने में, ख़ुद में आने लगता है और ध्यान लगना शुरू हो जाता है.
जिसको Actual में ख़ुद को जानना हो, ख़ुद की खोज करनी हो उनके लिए तो ये सब Golden Opportunity जैसा होता है.
3. इसके अलावा साधकों को 2 Hours तक जैन पद्धति के अनुसार Meditation करवाया जाता है. साधकों को प्रवचन के दौरान ही अपने मन में उठ रहे प्रश्नों का उत्तर पाने का मौका दिया जाता है.
उसके अलावा एक साधक को दुसरे साधक के साथ Personal Meeting करने की अनुमति नहीं दी जाती है. पूज्य गुरु भगवंत भी अकेले में Meetings Allow नहीं करते.
एक विशेष बात यहाँ जानने जैसी है कि यह पूरे शिविर के दौरान कहीं पर भी लाभार्थी का उल्लेख नहीं किया जाता है.
मौन ध्यान शिविर के दौरान जैन शास्त्रों में बताए हुए ध्यान के प्रयोग में लीन होते हुए साधकों ने अद्वितीय-परम शांति का अनुभव किया. शिविर के दौरान इस तरह से ध्यान प्रयोग करवाए जाते हैं कि साधक उसमें इतना Deeply Involve हो जाते हैं, डूब जाते हैं कि कुछ साधकों के लिए उस ध्यान से बाहर आना मुश्किल हो जाता है.
सभी साधकों को ऐसा अनुभव होता है कि वे Worldly Pleasures और Materialistic चीजों से उठकर जीवन की, आत्मा की Reality को समझ पा रहे हैं, समझने की कोशिश कर रहे हैं, उसके करीब जा रहे हैं.
मौन ध्यान शिविर के साधकों के Experience कुछ इस प्रकार थे :
- अब लगता है कि मोक्ष पाना सरल है.
- इस शिविर के बाद अनुभव से यह पता चला कि संसार के सारे सुख सिर्फ व्याकुलता है.
- इतना शुद्ध आनंद जीवन में कभी नहीं आया.
- खुद को समझने की पाठशाला है यह शिविर.
कई साधक तो शिविर के अंत में यह कहते हैं कि हम स्वर्ग में आने के बाद वापस नरक में क्यों जा रहे हैं? इतने आनंद की अनुभूति उन्हें होती है और फिर से जब वे भागदौड़ वाली दुनिया में जाते हैं तब भी भागदौड़ वाली दुनिया में रहकर भी कैसे ख़ुद के साथ रहा जाए वह भी सीखकर जाते हैं.
Depression – Stress – Over Thinking – Anxiety, इन सब का इलाज तो मौन ध्यान शिविर के लिए बाए हाथ का खेल होता है ऐसा समझ सकते हैं.