Mumukshu Naman & Kriya’s Inspirational Journey Towards Diksha

भाई - बहन बनेंगे जैन साधु साध्वीजी.

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भाई-बहन का राजपथ प्रयाण

आम तौर पर जिस भी व्यक्ति को दीक्षा लेने की इच्छा होती है, उसके वैराग्य भाव की परीक्षा अलग अलग तरीके से गुरु भगवंत एवं परिवार वाले करते ही हैं लेकिन आज हम एक ऐसे सत्त्वशाली मुमुक्षु के बारे में जानेंगे जिनकी परीक्षा गुरु भगवंत एवं परिवारवालों ने तो की ही लेकिन उन्होंने खुद भी अपनी परीक्षा की. 

एक और मुमुक्षु के बारे में भी जानंगे जिनका स्वाध्याय एवं गुरु भक्ति गजब Level की है. तो आइए जानते हैं अरठवाड़ा निवासी संघवी गुणवंतीबाई मोहनलालजी गदिया के पौत्र एवं पौत्री अभी चेन्नई में स्थित सुश्रावक जीतेंद्र भाई एवं पायलजी गादिया के सुपुत्र मुमुक्षु संघवी नमन भाई एवं सुपुत्री मुमुक्षु संघवी क्रिया बहन की Inspirational Story. 

बने रहिए इस Article के अंत तक.

दृढ़ अभिग्रह 

आज से 5-6 साल पहले 2019 में परम पूज्य कलापूर्णसूरिजी म.सा. के समुदाय के प.पू. आचार्य भगवंत श्रीमद् विजय तिर्थभद्रसूरीश्वरजी महाराज साहेब की निश्रा में चेन्नई के पास श्रीपेरंबदुर Area में श्री पार्श्व पद्मावती गौशाला जैन मंदिर में उपधान तप का आयोजन किया गया था. 

नमन भाई और क्रिया बहन को उनके दादी श्रीमती गुणवंतीबाई मोहनलालजी गादिया ने इस उपधान तप में जुड़ने की प्रेरणा की और वे दोनों उपधान में जुड़ गए लेकिन तप-क्रिया आदि की ज्यादा Habit नहीं होने के कारण उपधान के दुसरे ही दिन नमन भाई की हिम्मत टूट गई. 

उन्हें वापस घर जाने की इच्छा हुई लेकिन वहां विराजमान सभी महात्माओं ने उन्हें Encourage किया और उपधान Continue रखने की प्रेरणा दी, जिसे नमन भाई ने स्वीकार किया और उपधान तप Continue किया. 

उपधान के दौरान नमन भाई ने एक अभिग्रह लिया और जब तक अभिग्रह पूर्ण ना हो तब तक नीवी वाले दिन, 1 Item से ही नीवी करने का संकल्प किया. आपको बता दें कि उपधान में एक दिन नीवी एक दिन उपवास करना होता है. 

नीवी अर्थात् एक प्रकार का एकाशना समझ सकते हैं यानी दिन में एक ही बार भोजन करना जिसमें Fruits Vegetables का भी त्याग होता है. नमन भाई ने 4 नीवी सिर्फ 1 Item से ही की और 5वी नीवी के दिन उनका अभिग्रह पूर्ण हुआ. 

अभिग्रह यह था कि पूज्य आचार्य भगवंत खुद नमन भाई को आग्रह करके दूध वापरने को कहे और नमन भाई की इस अभिग्रह दृढ़ता की अनुमोदना आचार्य भगवंत ने भी की. देव गुरु धर्म की कृपा से उपधान तप के दौरान नमन भाई को वैराग्य भाव आया और दीक्षा लेने का मन बना लेकिन तब ही मोहराजा ने नमन भाई की परीक्षा लेनी शुरू की. 

वह कैसे?

Weakness को किया Challenge

तो, उपधान से पहले नमन भाई की 12th की Exams Complete हुई थी जिसका Result उपधान के दौरान आया और नमन भाई 95%+ से Pass हुए. जब यह बात नमन भाई को पता चली तो उन्होंने सोचा कि ‘जब मैंने Exams दी थी तब मुझे दीक्षा लेने की कोई इच्छा नहीं थी लेकिन अभी मुझे दीक्षा ही लेने की इच्छा है. 

इतना अच्छा Result आया है तो मम्मी-पापा और Relatives तो आगे पढने के लिए ही कहेंगे. अब आगे क्या होगा?’ 12th के Exams में तो नमन भाई Flying Marks से Pass हो गए लेकिन मोहराजा की Exam तो अब शुरू होनेवाली थी. 

उपधान तप पूर्ण होने के बाद जब नमन भाई घर आए और उन्होंने परिवारवालों को दीक्षा लेने की इच्छा के बारे में बताया तब नमन भाई के पिताजी यानी जीतेंद्र भाई ने उन्हें कहा कि ‘हम आपके वैराग्य की परीक्षा किए बिना-कसौटी किए बिना दीक्षा की Permission नहीं दे सकते.’ 

एक तरफ नमन भाई के मन में वैराग्य भाव-दीक्षा लेने की इच्छा थी और दूसरी तरफ कर्मसत्ता का निराला खेल. नमन भाई के दीक्षा के रास्ते में एक Hurdle आया – मच्छर.
जी हाँ! मच्छर! 

सुनकर शायद हँसना आ सकता है लेकिन नमन भाई को मच्छरों से बहुत Problem होती थी और इसलिए उन्होंने सोचा कि ‘साधु जीवन की बाकी सब कठिनाइयाँ तो Handle हो जाएगी लेकिन मुझसे मच्छर सहन नहीं होंगे.’ 

समय बीता और चेन्नई में वर्ष 2020 में पूज्य आचार्य श्री तीर्थभद्रसूरीश्वरजी महाराज साहेब की निश्रा में 10 सामुहिक दीक्षाएँ हुई जिन्हें देखकर नमन भाई के मन में दीक्षा लेने के विचार में और दृढ़ता-आई. 

नमन भाई के साथ तपोवन में पढनेवाले एक कल्याण मित्र की भी दीक्षा हुई जिसके बाद नमन भाई ने एक Strong Decision लिया. हमें यह जानकर आश्चर्य होगा कि दीक्षा जीवन के लिए अब तक जो चीज़ नमन भाई की Weakness बनी हुई थी, उसी को नमन भाई ने Challenge किया और खुद की ही परीक्षा भी की. 

वह कैसे?

तो नमन भाई ने Daily खुला शरीर करके जहाँ पर ज्यादा मच्छर होते वहां पर 108 लोगस्स का काउसग्ग करना शुरू किया 108 लोगस्स का काउसग्ग करने में लगभग 30-40 मिनट लग जाते हैं जो आज भी वे नियमित रूप से कर रहे हैं. 

जिनशासन की माँ 

हम ऐसा समझ सकते हैं कि नमन भाई ने यह Step लेकर मोहराजा की Exam 80% Pass कर ही ली थी. नमन भाई के वैराग्य भाव को Test करने के लिए परिवारवालों ने उन्हें College में डाला और साथ ही CA के Classes भी शुरू करवाए.

लेकिन नमन भाई को CA की पढ़ाई करने का मन बिलकुल नहीं हो रहा था. उन्होंने सोचा कि ‘लोगों की Tax की चोरी को छुपाने का यानी झूठ को सच करने का पाप मैं अपने सर नहीं ले सकता हूँ.’ और उन्होंने CA Classes छोड़ दिए. 

वर्ष 2021 में जब नमन भाई के College का 3rd Year चल रहा था तब उनके परिवार द्वारा चेन्नई के ECR नवग्रह मंदिर में पूज्य आचार्य श्री तीर्थभद्रसूरीश्वरजी म.सा. की निश्रा में बड़े स्तर पर ‘धर्मसारथी उपधान तप’ का आयोजन हुआ जिसमें लगभग 1700 से अधिक आराधक जुड़े थे. 

उपधान तप की व्यवस्था-आयोजन आदि कार्य में 1 साल बीता और उस दौरान नमन भाई के मन में दीक्षा लेने का भाव फिर से Trigger हुआ. 

एक जिनशासन की माँ सिर्फ अपने बच्चे के Future के बारे में ही नहीं बल्कि उसकी आत्मा के Future के बारे में भी सोचती है और ऐसा ही कुछ नमन भाई की माताजी पायल बहन ने भी किया. 

धर्म सारथी उपधान के दौरान माँ पायलजी ने पूज्य आचार्य श्री को 3 बार भावपूर्वक और आग्रहपूर्वक विनंती की कि ‘महाराज साहेब! आप नमन को दीक्षा के लिए प्रेरणा कीजिए. मुझे उसे संसार में नहीं रखना है, उसे आपके साथ आपके मार्ग पर ही भेजना है.’ 

स्वयं के Future की चिंता छोड़कर अपने एकमात्र बेटे के Future को Lifetime के लिए Secure करने की भावना से जिनशासन को समर्पित करनेवाली ऐसी रत्नकुक्षी माता को हम अंतर्मन से वंदन करते हैं. 

कहते हैं माता-पिता की प्रार्थना कभी खाली नहीं जाती और ऐसा ही कुछ नमन भाई के साथ भी हुआ. वर्ष 2022 में जब पूज्य आचार्य श्री का चातुर्मास कर्णाटक के मैसूर शहर में था.

तब महात्माओं द्वारा प्रेरणा करने पर नमन भाई ने सोचा कि ‘मैं 1 Week म.सा. के पास जाकर इस बार पूरी मेहनत से One Last Try करता हूँ.’ और वे मैसूर गए. देव-गुरु-धर्म की कृपा हुई और नमन भाई के दीक्षा भाव स्थिर हुए और उन्होंने अपना जीवन हमेशा के लिए गुरु चरणों में समर्पित कर दिया. 

अब बात करते हैं नमन भाई के बहन मुमुक्षु क्रिया बहन के बारे में. 

मुमुक्षु क्रिया बहन 

क्रिया बहन ने भी नमन भाई के साथ ही उपधान तप किया था और उपधान के दौरान साधु जीवन को करीब से जानने के बाद क्रिया बहन को भी दीक्षा लेने के भाव हो गए. वर्ष 2020 में Lockdown के दौरान चेन्नई में जुना मंदिर में क्रिया बहन पूज्य साध्वीजी श्री जयरेखाश्रीजी म.सा. के पास रहने गए और पूरा Lockdown श्रुतज्ञान की पढ़ाई में बीता.

उसी दौरान दीक्षा लेने की उनकी इच्छा एकदम Strong हो गई. यहाँ एक घटना विशेष जानने जैसी है. 

क्रिया बहन के माताजी यानी पायलजी का अपने बच्चों को परमात्मा के बताए हुए मार्ग पर भेजने का संकल्प कितना दृढ़ है उसका एक छोटा सा उदाहरण यह है कि चेन्नई के जुना मंदिर में जब क्रिया बहन साध्वीजी के पास रहने गए. 

तब उन्हें वहां का भोजन थोडा कम जम रहा था और इसलिए वे घर वापस जाना चाहते थे. लेकिन उस समय माँ पायलजी खुद घर से खाना बनाकर तीनों Time क्रिया बहन को देने जाते थे और क्रिया बहन के साध्वीजी भगवंत के पास रहकर श्रुतज्ञान पढने में कोई Problem ना हो उस बात का पूरा ध्यान रखते थे. 

क्रिया बहन ने उनके परिवार द्वारा आयोजित ‘धर्म सारथी उपधान’ होने के बाद 12th Class Complete की और साध्वीजी भगवंत के पास गुरुकुलवास में चले गए. श्रुतज्ञान के प्रति क्रिया बहन का लगाव ऐसा था कि एक ही दिन में वे 30 से 50 गाथा याद कर लेते थे. 

पूज्य आचार्य श्री के संयम जीवन के 46 Years Complete होनेवाले दिन क्रिया बहन ने दोपहर 1:30 बजे से शाम 5 बजे तक के Time में 46 गाथा याद करके एक तरह से भेंट स्वरुप दी. 

पूज्य आचार्य श्री की निश्रा में वर्ष 2023 में सेलम के पास Yercaud Hills पर उपधान तप का आयोजन हुआ था. उस समय क्रिया बहन साध्वीजी भगवंत के साथ चेन्नई से Yercaud के विहार में गए थे. 

तब पूज्य साध्वीजी भगवंत की तबियत थोड़ी बिगड़ गई थी जिसके कारण उन्हें Wheelchair का उपयोग करना ज़रूरी हो गया था, तब किसी Wheelchair वाली को बुलाने की बात हुई तब यह क्रिया बहन ने कहा किसी को बुलाने की आवश्यकता नहीं है, मैं खुद पूज्य साध्वीजी भगवंत की Wheelchair चलाऊँगी. 

और यह क्रिया बहन ने Yercard Hills तक यानी लगभग 350-400 KM तक पूज्य साध्वीजी भगवंत की Wheelchair खुद चलाई और वैयवच्च का अद्भुत लाभ लिया. यह परिवार बहुत ही Well Settled और श्रीमंत परिवार है, अनेकों सुकृतों में योगदान देता है.

क्रिया बहन के एक फ़ोन कॉल पर इनके पिताजी सारे Arrangement कर सकते थे लेकिन खुद क्रिया बहन ने लाभ लिया और पूज्य साध्वीजी भगवंत की वैयावाच्च की, इसे ही हम कहते हैं नम्रता गुण. 

जानकरी के लिए बता दें कि मुमुक्षु नमन भाई और मुमुक्षु क्रिया बहन का परिवार भी ऐसे ही उत्तम भावों से भरा हुआ है और जिनशासन के प्रति अद्भुत रूप से समर्पित भी है. वह कैसे? आइए जानते हैं.

परिवार की विशेषताएं 

मुमुक्षु के परिवार में रात्रि भोजन संपूर्ण रूप से बंद है और परिवार के College में पढनेवाले Youngsters भी लगभग Canteen-Restaurant आदि में मिलनेवाले सभी अभ्यक्ष्य खान पान से दूर ही रहते हैं. 

चातुर्मास के दौरान घर के सभी Members Daily प्रतिक्रमण करते हैं. मुमुक्षु के पिताजी जीतेंद्र भाई और चाचाजी ललित भाई घर पर ही कई ग्रंथों की पढ़ाई Daily करते हैं. 

ललित भाई को उनके Group में सभी लोग गुरुजी कहकर बुलाते हैं और जीतेंद्र भाई चेन्नई की श्री वर्धमान कुंवर जैन संस्कार वाटिका की स्थापना से लेकर अब तक लगभग 150 जितनी संस्कार वाटिका के Management में Actively Involved हैं. 

जीतेंद्र भाई और पायल बहन ने श्री केसरवाड़ी जैन तीर्थ, चेन्नई के उपधान में पहली मोक्षमाला पहनने का चढ़ावा लेकर सभी आराधकों के मोक्षमाला पहनने के बाद सबसे Last में मोक्षमाला पहनी. 

नमन भाई और क्रिया बहन के दादी बचपन से ही उन्हें यह संस्कार देती थीं कि ‘आप दोनों को संसार में नहीं रहना है, आपको प्रभु के मार्ग पर ही जाना है. 

ऐसे उत्तम संस्कार देनेवाले गादिया परिवार के रत्न मुमुक्षु नमन भाई और मुमुक्षु क्रिया बहन का राजपथ प्रयाण यानी दोनों भाई-बहन की दीक्षा मुंबई में परम पूज्य आचार्य भगवंत श्रीमद् विजय तीर्थभद्रसूरीश्वरजी महाराज साहेब की निश्रा में तारीख 02 March 2025 के दिन होगी. 

परमात्मा दोनों मुमुक्षु का संयम जीवन निर्विघ्न और निष्कंटक बनाए यही प्रार्थना. 

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