एक साथ में 5000 बच्चों ने नमस्कार महामंत्र उच्चारा !
बेंगलुरु से लगभग 63-65 KM की दूरी पर तुमकूर के पास क्यातसंद्रा नामक गाँव है, जहां पर यह घटना घटी है. क्यातसंद्रा में श्री सिद्धगंगा नाम का एक मठ है, जहां पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी से लेकर कई राजनेता आकर गए हैं.
इस मठ के जो President थे, जो एक हिन्दू संत थे, उनका 114 वर्ष की उम्र में जीवन पूर्ण हुआ था. उनकी भी सामाजिक और आध्यात्मिक विशेषता थी. यहां इस हिंदू मठ में जैन गुरु भगवंत कैसे आए और 5000 बच्चों द्वारा नमस्कार मंत्र की क्या घटना घटी? और इनसे सीखने जैसा क्या है? आइए जानते हैं.
बने रहिए इस Article के अंत तक.
मठ में जैन साधु का आगमन
जब प.पू. गणिवर्य श्री गुणहंसविजयजी महाराज साहब आदि 12 साधु भगवंत कर्नाटका में बल्लारी से विहार करते हुए तुमकूर आ रहे थे, तब उन्होंने देखा कि लगभग विहार के दौरान रुकने की Schools में दो संतों के फोटो लगे रहते थे. गुरु भगवंत देखते थे पर कन्नडा में लिखा हुआ होने से नाम वगैरह पता नहीं चलता था.
हुआ ऐसा कि तुमकूर के पहले एक School में एक साधु भगवंत को एक PT Teacher मिले और गुरु भगवंत ने उस Teacher को पूछा कि ‘यह दो संत कौन है?’ PT Teacher ने बताया कि
‘इस South Karnataka के प्रांत में यह दोनों संत ने बहुत सी Schools और Colleges शुरू करवाई है और इनका मठ जब आप तुमकूर से बेंगलुरु की यात्रा करोगे तब आएगा. जहां एक साथ 10000 से 15000 बच्चे रहते भी है और पढ़ते भी है.’
गुरु भगवंत को उनकी बात सुनकर आश्चर्य भी लगा और वहां जाने की, वहां की विशाल व्यवस्था देखने की भावना भी हुई. फिर तो गुरु भगवंत तुमकूर पधारे और 3 दिन बाद शाम को जब तुमकूर से विहार हुआ तब 6 KM पर रहे हुए मठ का निरीक्षण गुरु भगवंत ने किया.
तुमकूर श्री संघ के ट्रस्टी का मठ में अच्छा संपर्क होने से मठ के वर्तमान के President संत के साथ गुरु भगवंत की Meeting तय हुई. इतनी बड़ी व्यवस्था कैसे चलती है? वह भी देखने की भावना गुरु भगवंत को थी.
शाम को 6 बजे के आसपास जब तीन गुरु भगवंत वहां पर पहुंचे तब बहुत से Students 6 बजकर 20 Minute को होनेवाली प्रार्थना के लिए धोती और ऊपर सफेद और Saffron कपड़े की Dressing में बड़े Ground में इकट्ठा हो रहे थे.
एक साथ में इतने Discipline के साथ 4500-5000 बच्चों को इकट्ठा होते हुए देखकर गुरु भगवंत के मन में खुशी से विचार आया कि ‘बेंगलुरु जैसी Modern City के बाजू में आज भी ऐसी भारतीय संस्कृति जीवंत है-Live है.’
3 गुरु भगवंत मठ के President से मिलना चाहते थे पर वे किसी काम के कारण बेंगलुरु गए थे और थोड़ी देर में ही लौटनेवाले थे इसलिए इतने बड़े स्तर पर होनेवाली प्रार्थना को देखने के लिए एक ऊपर की जगह पर गुरु भगवंत बैठे.
जैन साधु द्वारा प्रवचन
मठ के अंदर रहे हुए Staff को जब पता चला कि जैन साधु आए हैं, तो उन्होंने उनका बहुत ही अच्छा स्वागत किया और इस प्रार्थना के शुरू होने के पहले पूछा कि ‘क्या आप 5000 बच्चों को प्रवचन देना चाहेंगे?’
प.पू. मुनिराज श्री भुवनभूषणविजयजी महाराज साहब ने कहा कि ‘हमें कन्नडा नहीं आती पर हमारी तरफ से हम जो बोलेंगे, उसे कन्नडा में Translate करके कोई दूसरा बोल देगा.’ साथ में वहां के स्टाफ ने और एक चीज पूछी ‘क्या आप के लिए Stage पर Chairs लगाई जाए?’ तो गुरु भगवंत ने मना किया.
लगभग 6:20 के Exact Time पर प्रार्थना शुरू हुई और एक साथ 5000 बच्चों का एक ही Time में संस्कृत के श्लोक का उच्चारण लगातार आधे घंटे तक चला. 6:50 को म.सा. को Stage पर बुलाया गया और पूज्य भुवनभूषणविजयजी महाराज साहब और एक Translate करनेवाले जैन श्रावक Stage पर आए.
एक साथ में 5000 बच्चों को देखकर पूज्य मुनिराज श्री थोड़े भावुक हो गए और उन्होंने सभी बच्चों को संस्कृति की रक्षा करने के लिए धन्यवाद दिया. साथ में ही मांसाहार, व्यभिचार और Addiction से दूर रहने के लिए भी धन्यवाद दिया और आशीर्वाद भी दिए. सभी बच्चे बहुत ही Interest से सुन रहे थे और 3-4 बार बच्चों ने तालियां भी बजाई.
फिर अंत में एक गजब की घटना घटी.
ऐतिहासिक घटना
पूज्य मुनिराज श्री भुवनभूषणविजयजी महाराज साहब ने समस्त विश्व की शांति के लिए 5000 बच्चों को नवकार महामंत्र बुलवाने की बात की. उन्होंने सभी बच्चों को गहरी सांस लेने को कहा और एक ही साथ में 5000 बच्चों ने साँसे भरी. फिर गुरु भगवंत ने सभी को हाथ जोड़ने के लिए और कतार में बैठने के लिए कहा और आंखें बंद करने को कहा.
फिर गुरु भगवंत ने नवकार का पहला पद बोला और साथ में 5000 बच्चों ने भी पहले पद को Repeat किया. इस तरह पूरा नवकार मंत्र 5000 बच्चों ने एक साथ बोला और पूरा वातावरण नवकारमय हो गया.
आंखें बंद करके एक साथ में 5000 बच्चों का नवकार का जो शब्द उच्चारण था, वह भलभले को नवकार मंत्र और जिनशासन पर अहोभाव उत्पन्न करा दे वैसा था.
बच्चों ने बड़ी ही श्रद्धा से और भाव से नवकार मंत्र का उच्चारण किया और फिर गुरु भगवंत ने उनको धन्यवाद दिए तथा आशीर्वाद दिए. इस मठ के निरीक्षण के दौरान महात्माओं को कुछ विशेषताएं दिखाई दी, जो हम सभी को, संघों को अपनानी चाहिए और प्रभु का मार्ग और उज्जवल बनाना चाहिए.
काफी कुछ Adopt करने जैसा लगता है.
मठ की विशेषताएं
1. इस मठ में बहुत ही Simplicity है. यहां पर कुल मिलाकर 15000 बच्चे पढ़ते हैं और उन सभी को नाश्ते में केला और दूध, Lunch में दाल-चावल, शाम के Dinner में रोटी-सब्जी, इस तरह कुल 2-2-2 Items दी जाती है. कभी कभार विशेष Occasions पर बूंदी दी जाती है.
यहां पर हर रोज के हजारों यात्री आते हैं, उनको भी ऐसी ही Simplicity वाला भोजन दिया जाता है और यह आडंबर बिना की Simplicity जरूरी है क्योंकि जिसको पढ़ना है वह अगर भोजन में रह गया तो वह पढ़ नहीं पाएगा.
हमारे बच्चों को अगर हम कोई तपोवन-गुरुकुल आदि में भेजते हैं तो कितनी Items की Expectations होती है ना?
2. इस मठ में पढ़ाई सबके लिए खुल्ली है यानी कि यहां पर जाति भेद, उच-नीच आदि कुछ भी देखे बिना सबको पढ़ाया जाता है पर Rules एकदम Clear है. जो भी Student यहां पर आते हैं, उनको पूरी दिनचर्या यानी Timetable Follow करना पड़ता है.
मठ के President खुद लिंगायत समाज के गुरु होने के बावजूद उन्होंने सभी जातिवालों को Accept किया है और इस कारण से इस मठ को सबसे आगे बढ़ानेवाले संत, 114 वर्ष की आयु में देह त्याग करनेवाले Dr शिवकुमार स्वामीजी को ‘चलते भगवान’ का दर्जा दिया गया था.
3. इस मठ के Under में कुल मिलाकर 160 से अधिक Pre KG Schools से लेकर Colleges है, जिनमें संस्कार और Studies का समन्वय है.
4. इस मठ का Timetable जानने जैसा है. सुबह 5 बजे सभी बच्चों को उठाया जाता है और 1 घंटे तक प्रार्थना चलती है. फिर 6:30 से 7:30 बजे तक सभी बच्चों को संस्कृत पढ़ाया जाता है. फिर 2 द्रव्य यानी 2 Item का Breakfast होता है और फिर School चलती है.
दोपहर के 2 द्रव्य का भोजन 1 बजे तक करके वापस School और शाम को 6:20 से 7:00 बजे तक प्रार्थना के बाद 2 द्रव्य का Dinner कराया जाता है. उसके बाद पढ़ाई और बाद में सोना होता है.
इसमें विशेषता यह है कि यहाँ संस्कृत Compulsory है. शायद हमारी एक भी Residential School ऐसी नहीं होगी जहां पर संस्कृत Compulsory हो.
संस्कृत होने का फायदा वहां यह देखने मिला कि उन सब का उच्चारण इतना शुद्ध है कि जब नवकार मंत्र बुलवाया गया तो First Time में ही सभी Students ने एकदम शुद्ध नवकार बोला.
हम हमारे बच्चों को पहले English पढ़ाते हैं या संस्कृत. एक मिनट! संस्कृत पढ़ाने का सोचते भी हैं?
5. फिर 3 महात्माओं ने वहां के अभी के President संत सिद्धलिंग स्वामीजी के साथ Meeting की और उनका औचित्य और जैन साधुओं के लिए सोहार्दभाव इतना था कि उन्होंने अंत में जाते-जाते कहा कि ‘जब कभी जैन साधु भगवंत हमारे संस्था में आते हैं, विहार में Schools में रुकते हैं, तब हमें बहुत-बहुत संतोष होता है.’
Meeting के दौरान आज के युवाओं के जीवन में घुसे व्यसन, व्यभिचार की बात हुई और स्वामीजी भी चिंतित दिखे और साथ मिलकर कुछ अच्छे कार्य करने का वादा भी उन्होंने किया कि जो समाज के लिए हितकारी हो. OTT Platforms में Censorship की बात भी रखी गई और स्वामीजी ने Positive Response दिया.
स्वामीजी के लिए बहुत से लोग बाहर खड़े थे पर साधु भगवंत के साथ बड़े सौहार्द भाव से उन्होंने बातें की और एक दिन पहले उनके गुरु यानी मठ के पहले के President Dr. शिवकुमारजी के 118वें जन्मदिन के लिए आए हुए Defence Minister राजनाथ सिंह जैसे बड़े Politicians को मिलने के बाद भी उनकी नम्रता और जैन साधु के आचारों की Strictness के लिए अहोभाव गजब का था.
इतनी बड़ी Position पर होने के बाद भी जब गुरु भगवंत ने उन्हें पुस्तक दी तो वे खड़े हुए और जब गुरु भगवंत वापस जा रहे थे तब भी खड़े हुए. हम हमारी दुकान के सामने से गुरु भगवंत जाते हैं, तो क्या खड़े होते हैं? सोचने जैसा है..
6. एक विशेषता यह थी कि वहां के बच्चे ही मठ की साफ-सफाई का काम और दूसरे बहुत कुछ काम खुद से ही करते हैं. वहां बाहर से कर्मचारी बहुत कम रखे जाते हैं और इतनी बड़ी Acres की जमीन की व्यवस्था 1300 जितने Staff Members और बच्चों से ही चलती है.
Japan में भी School के बच्चे ही School की साफ़-सफाई करते हैं, इस Technique को Japan में OSOJI कहा जाता है जिसके माध्यम से बच्चों में अलग लेवल का Discipline Build होता है.
अगर हमें पता चले कि हमारे बच्चों द्वारा School में साफ़-सफाई करवाई जा रही है तो Ego Hurt नहीं होगा ना? खुद से पूछ सकते हैं? School छोड़ो घर पर बच्चों से क्या हम साफ़-सफाई करवाते हैं?
7. वहां पर और एक चीज देखने को मिली. आज की भागदौड़ वाली दुनिया में ही वहां पर अलग-अलग Office आदि का काम करनेवाले लोग कुछ समय के लिए खुद का Job आदि छोड़कर Voluntarily 7 दिन के लिए आते हैं और Free में जितनी अनुकूलता हो उतनी सेवा देकर जाते हैं.
Voluntary Working वहां की विशेषता है.
8. ऐसा वहां पर सुनने को मिला कि ऐसे गुरुकुल में 15000 बच्चों की Residential व्यवस्था, Area की सबसे बड़ी व्यवस्था है. आज भी भारत की संस्कृति की रक्षा करनेवाली, विकृतियों से दूर हटानेवाली संस्थाएं हैं, इसलिए भारत टिका हुआ है.
बाकी आज के Education में कितना Education है, वह तो हम सभी जानते ही हैं.