पावागढ़ जैन तीर्थ पर तोड़फोड़!
पावागढ़ जैन तीर्थ गुजरात राज्य में स्थित है जहाँ पर 400 से भी ज्यादा वर्षों प्राचीन जैन तीर्थंकर परमात्मा की प्रतिमाएं स्थापित थी, जो जैन इतिहास के अद्भुत दर्शन करवा रही थी, लेकिन कुछ असामाजिक तत्त्वों ने इन प्रतिमाओं को तोड़कर जैन धर्म के अनुयायियों की आस्था को तोड़ने का बहुत ही घटिया और घिनौना काम किया है.
इससे जैन समाज को बहुत बड़ा आघात लगा है, पावागढ़ जिस तरह माताजी की आस्था का स्थान है उसी तरह जैनों के लिए भी आस्था का धाम है, आपको बता दें आज भी शिखर पर 11 जिनालय मौजूद है.
विक्रम वंवत 17वीं सदी के दौर में जैन आचार्य श्री कल्याणसागर सूरीश्वरजी महाराजा के प्रेरणा से सेठ वर्धमान और सेठ पदमशी ने श्री महाकाली माताजी के मंदिर का जीर्णोद्धार किया था.
जिसके बाद माताजी और जैन तिर्थंकरो को अपनी अपनी आस्था अनुसार पूजा जाता था.
जैन परंपरा के अचलगच्छ का उद्भव स्थान पावागढ़ है तो आप समझ सकते हैं कि जैन धर्म के लिए पावागढ़ तीर्थ कितना महत्वपूर्ण बन जाता है. इस अचलगच्छ की रक्षिका-अधिष्ठायिका श्री महाकाली माताजी ही है.
आज भी अनेकों जैन भक्तिभाव से पदयात्रा करके माताजी और जैन तीर्थंकरों के दर्शन वंदन करने आते हैं. शत्रुंजय अवतार गिरी के नाम से भी पावागढ़ को शास्त्रों में वर्णन आता है.
आपको बता दें माताजी के मंदिर का जब जीर्णोद्धार हुआ तब माताजी के मंदिर की जो पगथिया हैं यानी सीढियां है उसके दोनों तरफ रही हुई जैन तीर्थंकरों की डेरियों का भी जीर्णोद्धार हुआ था,
जिसकी तस्वीरें आप देख सकते हैं.
यह तीर्थंकरों की भव्य प्रतिमाएं परिकर सहित यहाँ पर बिराजमान थी, गौरव के साथ बिराजमान थी और यहाँ पर बहुत ही आस्था के साथ, भक्ति के साथ जैन प्रजा पूजा अर्चना करती थी.
करीब चार साल पहले गुजरात के कई जैन संघों ने अपने अपने Letter Pad से Ashok Bhai Pandya जो माताजी के मंदिर के ट्रस्टी एवं Secretary है उनसे अर्जी की थी कि यह प्रतिमाएं हमारे महामहीम तीर्थंकरों की प्रतिमाएं हैं, हमारी श्रद्धा का, आस्था का बहुत बड़ा केंद्र है, इनके सम्मान के लिए, इनकी सलामती के लिए कुछ व्यवस्था की अनुमति हमें दी जाए ऐसी कई बार विनंती की गई, हाथ जोड़कर विनंती की गई, आज तक उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं आया, ना ही इन प्रतिमाओं की सुरक्षा का इंतज़ाम हुआ और ना ही जैन संघ को करने दिया गया और पिछले 6 महीने से तो रूबरू मिलकर भी अशोक भाई को अनेक Letters दिए गए, Requests की गई लेकिन जैन संघ की बात नहीं मानी गई, और अब Ashok Pandya जो Trustee एवं Secretary है, सुरेन्द्र भाई पटेल जो प्रमुख है और विक्रम भाई जो मेनेजर हैं, इनके कहने पर यह भव्य इतिहास स्वरुप पावागढ़ की जैन तीर्थंकरों की प्रतिमाओं को परिकर सहित उखाड़ा गया
और बहुत ही बुरी तरह से हमारी प्राचीन प्रतिमाओं को तोड़कर, उत्थापित कर, जैन धर्म की आस्था को बहुत बुरी तरीके से तोड़ने का काम किया है.
कुछ प्रतिमाओं के तो टुकड़े टुकड़े किए गए हैं. आप तस्वीरों में देख सकते हैं कि कितनी बर्बरता के साथ, हमारे परमात्मा की प्रतिमोँ को तोड़कर कचरे के जैसे फेंका गया हैदिव्य भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार सुरेन्द्र पटेल ने यह कहा है कि जैन श्रेष्ठियों के कहने अनुसार इन मूर्तियों को उन्होंने तोड़ा है,
सबसे पहले तो कोई भी जैन श्रेष्ठी ने इसकी अनुमति नहीं दी है यह पूरी तरह से झूठी बात है और कोई भी जैन व्यक्ति अपने भगवन की प्रतिमाओं को तोड़ने के लिए अनुमति नहीं देगा यह Common Sense है लेकिन यह बात क्लियर हो जाती है कि उन्होंने ही यह प्रतिमाओं को तोड़ने का घिनौना कार्य किया है, और यह खुद उन्होंने Accept भी कर ली है,
एक News Channel के साथ बात करते समय इस बात को उन्होंने Accept किया है
अब प्रशासन के सामने सबूत भी मौजूद है, क्योंकि खुद गुनाहगार ने यह Accept किया है कि प्रतिमाओं को उन्होंने तोडा है.
जैन संघ की मांग क्या है?
1. सबसे पहले यह घिनौना कार्य जिसने भी किया है यानी कि सुरेन्द्र पटेल एंड टीम, इनको तुरंत गिरफ्तार किया जाए और इन पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाए.
2. जो भी प्रतिमाएं तोड़ी गई हैं, उन्हें पूरे सम्मान के साथ, गौरव के साथ, आदर सत्कार के साथ, उन्ही स्थानों में पुनः स्थापित की जाए ताकि जिस तरह पहले दर्शन पूजा अर्चना भक्ति की जाती थी
उसे जैन धर्म के अनुयायी Continue कर सके ताकि जैन समाज की आस्था अखंडित रहे
3. यहाँ की पूरी व्यवस्था और वह जगह भी Officially श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ को सौंपी जाए ताकि आगे भविष्य में इस प्रकार का कोई भी कार्य वहां पर ना हो और तीर्थंकर प्रतिमाओं के सम्मान में कोई भी कमी ना आए
16th June की आधी रात को ही पूज्य जिनप्रेम विजयजी महाराज साहेब एवं उनके साथ कई गुरु भगवंत एवं कई युवान Surat के Collector Office में शांतिपूर्वक आंदोलन करने के लिए निकल गए थे, वहां पर प्रशासन ने आश्वासन दिया है लेकिन जैन संघ की एक दम क्लियर मांग है कि आश्वासन से अब जैन संघ संतुष्ट नहीं है, जैन संघ को अब Result चाहिए, और जब तक Result नहीं आएगा तब तक यह आंदोलन जारी रहेगा
सूरत बड़ोदा अहमदाबाद मुंबई आदि अलग अलग शहरों में जैन संघ का शांतिपूर्ण आक्रोश दिखाई दे रहा है, और सभी जगहों से यही मांग आ रही है कि प्रशासन अब आश्वासन नहीं बल्कि Action ले.
हम क्या कर सकते हैं ?
1. गुरु भगवंतों और जैन अग्रणियों के द्वारा आवेदन पत्र का एक Common Draft तैयार किया गया है, इसे बहुत ही अनुशासन के साथ, बड़ी संख्या में जाकर स्थानिक Collector/MLA को आवेदन पत्र दे सकते हैं.
2. समय को परखकर अब नए मंदिर अथवा भगवन बनाने के बजाय, अपने तन-मन-धन को शासनरक्षा के लिए समर्पित करने का संकल्प कर सकते हैं.
3. किसी भी आक्रोशपूर्ण शब्द या बर्ताव से दूर रहकर योग्य स्थान पर शांतिपूर्ण आंदोलन कर सकते हैं
4. कृपया करके किसी भी तरह से स्वतंत्र स्टेटमेंट देने से, अपशब्द से, अनुशासन भंग करने से दूर रहे, हमारी छोटी सी भूल भी तीर्थ को नुकसान पहुंचा सकती है.
5. यदि कुछ नहीं कर सकते तो कोई बात नहीं, Social Media पर प्रशासन को Tag करके
नम्रतापूर्वक न्याय की मांग तो कर ही सकते हैं, विवेक में चूक ना हो उसका पूरा ध्यान रखना है.
17th June को सुबह के समय में अनेकों गुरु भगवंत एवं बड़ी संख्या में जैन समाज पहुँच चुका है 93 वर्ष के पूज्य कुलचंद्र सूरीश्वरजी महाराज साहेब भी सूरत के Collector Office में पहुँच चुके हैं, इस आंदोलन में वे भी जुड़ चुके हैं
93 वर्ष के महात्मा का आना अपने आप में जैन समाज के लिए एक बहुत बड़ा इशारा है, स्थिति की गंभीरता को समझने के लिए यह काफी है.
हमें यह जानने को मिला है कि गुजरात के गृहमंत्री श्री हर्षभाई संघवी ने तुरंत इस विषय को गंभीरता से लिया है और मुख्यमंत्री के साथ बैठक भी की है और वह प्रतिमाओं को पुनः स्थापित की जाए ऐसी बात भी कही है, प्रशासन इस पूरे विषय पर कार्य कर रही है ऐसा दिख रहा है
लेकिन साथ ही गुरु भगवंतों का कहना इतना ही है कि हम शांति से आंदोलन में बैठेंगे और जब तक सारी मांगे Officially पूरी ना हो तब तक उठेंगे नहीं. इसलिए राज्य सरकार से नम्र विनंती है कि जो मांगे रखी गई है वह तुरंत जल्द से जल्द Officially पूरी की जाए.
We Want JUSTICE !!!
We want justice
All jains must join and raise our voice