सूरत टेक्सटाइल मार्केट में भयानक आग, क्या खुलेगी हमारी आँख?
500-600 जैन कारोबारियों को भयानक नुकसान हुआ है.
सभी से Request है Please इस Article को Patiently ध्यान से पढिएगा और ख़ास धनवान श्रीमंत परिवारों तक इस Article को पहुंचाने में मदद कीजिएगा.
तारिख-26th Feb 2025 के दिन सूरत के शिवशक्ति टेक्सटाइल मार्केट में भयानक आग लगी. News Reports के मुताबिक 800 से ज्यादा दुकानें जली है और 500-600 करोड़ से भी ज्यादा के नुकसान की आशंका जताई जा रही है.
बताया जा रहा है कि ज़्यादातर दुकानें जैनों की है. इन सबका कितना नुकसान हुआ होगा, कितने परिवार तबाह हो चुके होंगे वो सब आप News में Already देख चुके होंगे. Maximum नुकसान जैन कारोबारियों का हुआ है.

श्री उमरा जैन संघ में पूज्य आचार्य श्री कुलचंद्रसूरीश्वरजी महाराज साहेब की निश्रा में इस Matter के लिए लगभग 3rd March 2025 को जैन प्रमुखों की, श्रेष्ठियों की Meeting हुई. 92 वर्ष के पूज्य आचार्य भगवंत के चेहरे पर इन कारोबारियों के ऊपर आई हुई इस आपत्ति का भारी दुःख और भारी चिंता साफ़-साफ़ दिख रही थी.
Meeting के अंत में पूज्य आचार्य भगवंत ने दर्दभरी आवाज़ में कहा कि ‘मैं आज आपके सामने झोली फैला रहा हूँ, आप मेरी झोली भर दीजिए..’
92 वर्ष की उम्र में भी आचार्य भगवंत जैनों की इतनी चिंता करे, वह उनकी महानता है, साथ साथ में पूज्य पंन्यास श्री जिनप्रेम विजयजी महाराज साहेब का ह्रदय छलक उठा और उन्होंने सभी कारोबारियों को संबोधित करते हुए कहा कि भयानक नुकसान हुआ है ऐसा सोचकर किसी को, कोई भी गलत कदम नहीं उठाना है, ख़राब समय आया है तो अच्छा समय भी आएगा.

पूज्य जिनप्रेम विजयजी महाराज साहेब ने सभी धनवानों को Appeal की है कि आप आगे आइये, और नुकसान में डूबे जैन ही नहीं बल्कि सभी कारोबारियों को बाहर निकालिए. पूज्य श्री ने इस विषय को लेकर गुजरात सरकार को भी जल्द से जल्द Positive Steps लेने के लिए Letter लिखा है.
श्री संघ के अग्रणियों ने पूज्य आचार्य श्री को विश्वास दिलाया कि ‘वे इस कार्य में जो Best Possible होगा उतना अवश्य करेंगे’
पूज्य जिनप्रेम विजयजी महाराज साहेब ने तो ये सभी परिवार का दुःख दूर ना हो जाए तब तक मूल से घी का त्याग कर दिया है. इसके बाद तो हर दिन एक-एक मार्किट में जाकर लोगों को प्रेरणा कर रहे हैं, साथ ही दुखी परिवारों का हौसला बढाने का कार्य कर रहे हैं.

श्री मुंबई जैन महा संघ ने भी श्री उमरा जैन संघ को कहलाया है कि ‘आप इस कार्य के लिए जो भी योजना बनाओं, वो हमें भी भेजिएगा ताकि हम भी इसके लिए कुछ कर पाए.’ मदद करने के लिए अलग अलग संस्थाएं भी सामने आ रही है ऐसी जानकारी मिली है.

इस प्रकार 500-600 जैन परिवारों के ऊपर आए हुए इस भारी संकट को हटाने के लिए सब तरफ से प्रयत्न जारी है. इस विषय को लेकर सोचने जैसी जो भी बातें लग रही है, वो सभी के सामने रख रहे हैं. Patiently पढ़ीएगा और उचित लगे तो Share कर सकते हैं.
1. ये जो 500-600 परिवार है, वो Financially कमज़ोर साधर्मिक नहीं है यानी कि जो परिवारों को हमेशा ज़रूरत रहती है, जिनको हर वक्त पर किसी न किसी की मदद लेनी ही पड़ती हो, जिनका जीवन किसी के Support से ही चलनेवाला हो, ऐसे ये 500-600 साधर्मिक परिवार नहीं है.
यह सब मदद लेने वाले नहीं, लेकिन मदद देने वाले परिवार थे.
उनका लाखों-करोड़ों का व्यापार था, हजारों-लाखों के चढ़ावे बोलनेवाले परिवार होंगे, खुद साधर्मिक Fund में लिखाने वाले ये लोग होंगे, बड़ी तपस्याओं में सामूहिक पारणे, बियाशने आदि करवाने वाले ये लोग होंगे. इनको हम Financially Weak साधर्मिक नहीं मान सकते हैं.
किसी से मदद लेना यानी इनके लिए रातों की नीद उड़ जाने जैसा है, आत्मसम्मान का विषय हो जाता है. क्योंकि आज तक कभी इस तरह से मदद ली नहीं होगी तो आज उनके लिए मदद लेनी भी बहुत कठिन होगी. यह बात अलग है कि श्री संघ का Force होगा और उनकी मजबूरी-यह दो कारण से उनको लेना ही पड़ेगा.
इनके आत्मसम्मान को ठेंस न पहुंचे उसी तरह से कार्य होगा ऐसा सबको विश्वास है और श्री संघ को यह भक्ति का लाभ किसी भी प्रकार से लेना ही है और लेना ही चाहिए No Doubt.

2. प्रश्न यह है कि इन 500-600 परिवारों की भक्ति हम किस प्रकार करेंगे? क्या 5-25-50 हज़ार अथवा 1 लाख रुपये देने से उनकी भक्ति सच में हो जाएगी? हाँ भक्ति तो होगी ही लेकिन क्या Problem का Solution हो जाएगा.
बुरा मत मानिएगा लेकिन Let’s be Practical. ये कोई Financially Weak Families नहीं है जिनको 5-7-10 हज़ार मिलते रहे और उनकी Needs पूरी हो जाए. ये हर एक परिवार का महीने का खर्चा 50 हज़ार अथवा 1 लाख से कम नहीं होगा, Staff भी इनके Under में होंगे, Rent Etc बहुत कुछ होता है.
अब इतना नुकसान होने के बाद हर परिवार अपने खर्चे कम करने का ज़रूर Try करेंगे ही लेकिन 50K के Expense वाले 5-10K के Expense पर आ जाए यह सब सोचना ही गलत है और Practically Impossible लगता है.
3. तो फिर Solution किस तरह से होगा? Problem का Solution करना उनकी Actual भक्ति होगी. फिलहाल कोई Amount देना वह Temporary Solution होगा ताकि वे सब अपने आप को संभाल पाए.
लेकिन Long Term Solution यह हो सकता है कि ‘वो अपना व्यापार वापस Start कर सके, ऐसा कुछ करना’. कुदरत ने भले दुकान जलाकर कारोबार का नुकसान किया होगा, Goods का नुकसान किया होगा, संपत्ति का नुकसान किया होगा लेकिन आज भी कुदरत ने इनका ‘व्यापारी दिमाग’ इनसे नहीं छीना है.
तो ज़रूरत है 500-600 लाभार्थियों की.
एक लाभार्थी एक परिवार की ज़िम्मेदारी ले, तो Long Term Solution हो सकता है.

4. ज़िम्मेदारी लेना यानी क्या? Temporary Funds Collect करके जो भक्ति कर रहे हैं उनकी अंतर्मन से अनुमोदना, वो तो होना ही चाहिए. इसके साथ साथ Interest Free Loan Long Term Solution हो सकता है, ताकि परिवार के ऊपर Interest की तलवार ना रहे.
Loan है तो कोई भी व्यापारी खुलकर ले पाएगा, आत्म सम्मान का विषय ही नहीं रहेगा. ये परिवार Interest Free Loan आसानी से स्वीकार कर पाएंगे क्योंकि उन्हें पता है कि Loan है तो मेहनत करके वापस Loan लौटा देंगे. इससे उनका ‘व्यापारी दिमाग’ फिर से व्यापार में Full Speed और Double Efforts के साथ लगेगा.
5. कई बार ऐसा होता है कि एक व्यक्ति Invest करता है, दूसरा व्यक्ति मेहनत करता है, दोनों Partner बनकर Business करते हैं, Profit में दोनों के Share Fix किए जाते हैं. यहाँ पर भी ऐसा कर सकते हैं कि लाभार्थी Invest कर रहा है और यह कारोबारी मेहनत करेंगे. दोनों Partner बनकर Business फिर से शुरू कर सकते हैं.
फर्क सिर्फ इतना है कि लाभार्थी 10-15% Share रखेगा और वो भी Loan वापस मिल रहा है ऐसी गिनती कर सकता है. इसे एक Example के साथ समझते हैं.
Example
लाभार्थी ने एक परिवार को 10L का Loan दिया, और अपना 20% रखा. अब एक साल में 2L कमाए तो 20% के हिसाब से 40K वो लाभार्थी को देंगे. ये 40K 10L में से Deduct होंगे.
ऐसा करते करते मान लो 5-7 साल में परिवार ने Profit में से कमा-कमाकर 10L रुपये लौटा दिए तो लाभार्थी का Loan पूरा हो गया समझो. उसके बाद एक रुपया भी नहीं देना होगा और यह परिवार फिर से खड़ा हो जाएगा.
इसमें कई सारे Benefits है, जैसे कि :
- परिवार Loan आसानी से ले पाएंगे.
- परिवार वापस से जल्द से जल्द खड़े हो जाए यह मेहनत भी करेंगे.
- लाभार्थी ने लाभ लिया, Loan दिया, वह धनराशी फिर से वापस भी मिल जाएगी.
- परिवारों को Interest का भार नहीं रहेगा, जल्दी से पैसा लौटाने का डर भी नहीं रहेगा तो दिन भर की मेहनत के बाद शांति से सो पाएंगे.
Directly अगर हम Help नहीं कर सकते तो कम से कम Article को Share करके अवश्य Help कर ही सकते हैं.

6. प्रश्न यह है कि इतने सारे लाभार्थी तैयार होंगे कैसे?
मुश्किल है लेकिन Impossible नहीं.
ज़रा सोचिए इस वर्ष पूरे भारत में कितने उपधान हुए या होंगे? इस साल पूरे भारत में कितने संघ निकले हैं? इस साल गिरनार-शत्रुंजय में कितनी नव्वाणु हुई है या होगी? इस साल पूरे भारत में कितनी अंजनशलाका प्रतिष्ठा हुई और उसके कितने बड़े बड़े चढ़ावे हुए या होंगे?
इस साल पूरा भारत में चातुर्मास में कितनी बड़ी-बड़ी तपस्याएँ हुई या होगी? इस साल शंखेश्वर-गिरनार-पालिताना में कितने सामूहिक चातुर्मास हुए?
इन सभी अनुष्ठानों में जो भी लाभार्थी थे, उन्होंने 1-2-3 करोड़ या 10-20-30 करोड़ तक का भी शायद लाभ लिया ही होगा. अर्थात् सब लाभार्थी धनवान श्रीमंत है, धर्म के प्रति आदर वाले हैं, उदार है.
यह भी पक्का है कि सभी अनुष्ठान किसी ना किसी गुरु भगवंत की निश्रा में ही हुए हैं या होंगे अर्थात् यह सब लाभार्थी कोई ना कोई गुरु भगवंत के भक्त ही है.
अब सोचिए अगर वे-वे गुरु भगवंत उनको प्रेरणा करें कि आप सिर्फ एक कारोबारी साधर्मिक का लाभ लो, आपने आपके धार्मिक अनुष्ठान में जितना खर्च किया है उसका 10% या इच्छा हो तो उससे ज्यादा का लाभ अवश्य ले, वो भी Donation के रूप में नहीं, बल्कि Interest Free Loan के रूप में, मान लो एक करोड़ का खर्च किया है तो 10L.
जो धनवान श्रीमंत एक करोड़ का खर्च कर सकते हैं उनके लिए 10L बड़ी बात नहीं होगी. ज़रूरत है वो लाभार्थियों को प्रेरणा करने की, वो भी अगर पूज्य गुरु भगवंत करेंगे तो उसका Impact ज्यादा होगा और कार्य जल्दी से पूरा हो सकता है.
7. Reality यह है कि Diamond City Surat में ही कम से कम 500-1000 जैन परिवार ऐसे होंगे, जो ये 5-10L रुपयों का Loan आसानी से दे सकते हैं. तो सोचिए पूरे भारत के बड़े बड़े शहरों में, बड़े बड़े संघों के सभी जैनों की बात करें तब तो यह काम एकदम Easily Possible हो जाएगा.
छोटा मुंह बड़ी बात लेकिन ऐसी भी 100-200 Extreme Rich Jain Families होंगी जो आराम से 500-600 परिवारों का लाभ लेकर Interest Free Loan दे सकते हैं. साधर्मिक भावना की ज़रूरत है बस.

8. यह परिवारों को सभी आचार्य भगवंतों के, गुरु भगवंतों के खूब खूब आशिर्वार प्राप्त होंगे, 500-600 परिवारों की शुभेच्छा मिलेगी. कल्पसूत्र के प्रवचनों में हर वर्ष हम सुनते आए हैं कि तराजू के एक तरफ सभी धर्म रखने में आए और दूसरी तरफ सिर्फ साधर्मिक भक्ति रख दे तो भी साधर्मिक भक्ति का भार ज्यादा माना जाएगा, साधर्मिक भक्ति का महत्त्व ज्यादा माना जाएगा.
अर्थात् उपधान, नव्वाणु, संघ, प्रतिष्ठा, सामूहिकतप आदि सभी धर्म के सामने साधर्मिक भक्ति का धर्म ज्यादा महान. सभी पूज्य आचार्य भगवंत पर्युषण के वक्त व्याख्यान में यह अनमोल वचन कहते हैं, आज उस उपदेश पर अमल करने का सही अवसर आया है.
9. फिर से छोटा मुंह बड़ी बात लेकिन भारत के धनवान जैनों से विनंती है कि आपके सामने एक इतिहास बनाने का अवसर आया है. भामाशा, जगडूशा की तरह आपका नाम इतिहास के पन्ने पर अमर बने, ऐसी परिस्थिति आई है.
Also वो 500-600 परिवारों के प्रति दया के भाव से नहीं, लेकिन पूरे प्रेम से, वात्सल्य से, उत्साह से यह लाभ लेना है.
ऐसा एक बार सुना था कि कई वर्षों पहले अकेले कल्पेश भाई शाह ने 50 करोड़ का लाभ साधर्मिक भक्ति में लिया था, आज फिर से ऐसे कोई साधर्मिक प्रेम उदार श्रावक की ज़रूरत है.
