Shocking Truth Related To The Fagan Feri Yatra Of Shatrunjay Giriraj !

फागण फेरी यात्रा : पुण्य का बंध या तीर्थ की आशातना!?

Jain Media
By Jain Media 14 Min Read
Highlights
  • शत्रुंजय गिरिराज शाश्वत तीर्थ है और जैनों की आस्था का सबसे बड़ा केंद्र है.
  • हर साल फाल्गुन महीने की सुदि तेरस के दिन लाखों - करोड़ों श्रद्धालु शत्रुंजय गिरिराज पर 6 गउ की यात्रा करने आते हैं जिसे फागण फेरी के नाम से जाना जाता है.
  • फागण फेरी के दिन श्री कृष्ण महाराजा के पुत्र शाम्ब एवं प्रद्युम्न मुनि के साथ साढ़े 8 करोड़ मुनि मोक्ष में गए थे.

फागण फेरी में जाने से पहले सावधान! 

वर्ष 2024 में श्री शत्रुंजय तीर्थ पर से 100 बड़े बड़े Bags भरकर कचरा नीचे लाया गया था!
कहीं फागण फेरी की यात्रा में हमसे बड़ी गलतियाँ तो नहीं हो रही है?

आज हम आपको फागण फेरी से Related कुछ बहुत ही Shocking बातें बताने वाले हैं जो हमारे शत्रुंजय को Damage कर रही है. Solutions भी हम अंत में जानेंगे.

बने रहिए इस Article के अंत तक.

March 2024 में तपोवन संस्कारपीठ के Students, शत्रुंजय युवक मंडल की Team एवं लोक भारती School के बच्चों ने उनके NSS Program के तहत, इन सभी ने मिलकर फागण सुदि तेरस और फागण सुदि चौदस के दिन गिरिराज पर चंदन तलावडी आदि स्थानों की शुद्धि की यानी Cleaning की. 

वहां पर यात्रिकों में कचरा आदि ना फेंकने की Awareness फैलाई और गिरीराज की सफाई की और लगभग 100 गुनी यानी 100 Bags भरकर काजा यानी कचरा ऊपर से नीचे लेकर आए. इस पूरे कार्य में Forest Department ने भी सहयोग किया था.

यह पवित्र कार्य करनेवाले एक भाई से कुछ Shocking बातें पता चली है. 

फागण फेरी के दिन यात्रिकों के लिए पालीताणा के स्थानिक Vendors द्वारा जगह जगह पर Water Bottles, Juice, गन्ने का रस, खाने-पीने आदि के Stalls लगाए जाते हैं. 

इन Stalls पर Vendors Plastic की Plates, Cups, Plastic Bottles, Covers आदि में खाने पीने की चीजें बेचते हैं और यात्रा करनेवाले यात्रिक यानी अपने ही जैन भाई बहन उन वस्तुओं को खरीदते हैं और Plate, Bottles आदि Use करके कचरा ऊपर ही फ़ेंक कर आते हैं. 

यह सब कुछ फागण फेरी की यात्रा के दौरान होता है. 

यह Photos March 2024 के हैं. 

अब इन सब से गिरिराज को किस तरह नुकसान होता है?
आइए जानते हैं. 

1. क्या हम मंदिर में कुछ खाते-पीते हैं? नहीं!
क्यों? क्योंकि मंदिर पूजा, भक्ति, आराधना का स्थान है, खाने-पीने का नहीं!

उसी प्रकार गिरिराज पर्वत वह पूरा का पूरा जिनालय ही है यह बात शत्रुंजय महात्मय में लिखी है. तो जो कार्य मंदिर में नहीं कर सकते, वह कार्य शत्रुंजय गिरिराज के पूरे पर्वत पर भी नहीं कर सकते.

इसलिए पूरे गिरिराज पर यानी पूरे शत्रुंजय तीर्थ पर यात्रा के दौरान अथवा फागण फेरी की यात्रा के दौरान भी कुछ भी खाने या पीने से भयानक आशातना होती है. 

साथ ही यात्रा के दौरान पेढ़ी के तरफ से पानी के परब (प्याऊ) की व्यवस्था जगह जगह पर होती ही है, जहाँ पर छाना हुआ एवं पक्का पानी उपलब्ध होता है यदि किसी से पानी के बिना रहा नहीं जाता तो उन यात्रिकों के लिए सिर्फ यह पानी की व्यवस्था की गई है लेकिन खाने का तो स्पष्ट रूप से निषेध है.

2. भूखे-प्यासे यात्रिक यात्रा के दौरान जब इन खाने-पीने की चीज़ों को देखेंगे तो रहा नहीं जाएगा इसलिए गिरिराज पर Vendors द्वारा फागण फेरी के एक-दो दिन पहले ही Stalls का सभी सामान ऊपर भेज दिया जाता है. 

अब उस सामान की रखवाली करने के लिए जो भी व्यक्ति रातभर ऊपर रहता है, वह गिरिराज पर रात को खाता-पीता भी होगा, Bathroom Toilet आदि भी जाता होगा तो उससे जो गिरिराज की आशातना होती है, उसका पाप उन्हें भी लगेगा जो उन वस्तुओं का सेवन करते हैं.

क्योंकि आखिर वह खाने पीने की वस्तुएं उनके लिए ही तो ऊपर भेजी जा रही हैं. 

3. फेरी की यात्रा लगभग 38 Kms की होती है. कई यात्रिक उपवास के साथ यह यात्रा करने का भाव लेकर आते हैं लेकिन यात्रिक यात्रा करते करते इतने थके हुए होते हैं कि जब उनके सामने खाने पीने की कोई भी वस्तु आती है और अगर तब कोई अन्य यात्रिक उसके सामने खान-पान करता है, तो उपवास के भाववाले उस यात्री का मनोबल कमजोर हो जाता है और 

‘वह खा सकता है, तो मैं क्यों नहीं?’ 

इस विचार के साथ वह भी खाना-पीना शुरू कर देता है और देखा देखी की यह परंपरा शुरू हो जाती है. गिरिराज पर इन Stalls द्वारा उपवास की भावना रखनेवाले लोगों के लिए यह एक विघ्न जैसा है. 

4. जो यह खान-पान करता है उसके कारण भयानक कचरा इकट्ठा होता है, यात्रिक एवं Vendors दोनों ही कचरा फैलाने का कार्य करते हैं और फिर जब सफाई की जाती है तब इस तरह से Bags भर भरकर कचरा इकट्ठा किया जाता है. 

यात्रा के उद्देश्य से व्यक्ति आता है और यात्रा करते करते खानपान करता है और गिरिराज को एक तरह से Damage करने का काम करता है इसलिए उस व्यक्ति को पुण्य मिलता है या पाप वह तो गुरु भगवंत बताएँगे लेकिन गिरिराज Surely Damage होता है. 

हमारे शत्रुंजय पर्वत को ज़रूर क्षति पहुँचती है.

5. यात्रिक अगर ऐसा सोचे कि ठीक है मैं उधर से खरीदकर कुछ खाऊंगा नहीं लेकिन खाने-पीने का सामान साथ में ले जाऊँगा तो वो यात्रिक भी लगभग उतना ही नुकसान कर रहा है जो Vendor से खरीदनेवाला व्यक्ति कर रहा है. 

क्योंकि इसी तरह से देखा देखी के कारण खाने-पीने की परंपरा शुरू होती है. एक यात्रिक जब अन्य यात्रिक को खाते पीते देखते हैं तो उन्हें भी खाने पीने का मन होता है और फिर इस Bad Motivation के कारण वह उधर से खरीदकर खान-पान करता है. 

6. आज Plastic के कारण कितना कुछ Damage Environment को हो रहा है वह कहने की ज़रूरत नहीं है बावजूद इसके ऊपर Plastic Bottles, Cups, Plates आदि फेंके जाते हैं. Plastic की एक छोटी सी Spoon भी गिरिराज को भयानक रूप से Damage करती है. 

Research कहता है कि Plastic को Decompose होने में 400-500 वर्ष तक लग सकते हैं यानी हमारे द्वारा फेंकी गई एक भी Plastic की वस्तु शत्रुंजय गिरिराज को अनेकों वर्षों तक Damage कर सकती है. 

Negative Effects Of Plastic/Paper Disposable Cutlery

100-200 साल बाद हमारी Next Generations जब शत्रुंजय की सफाई करेंगे तो कहीं ऐसा ना हो कि Plastic की चीज़ें मिलने पर वो हमें कोसे कि हमारे पूर्वज विचित्र थे क्या जो शत्रुंजय पर Plastic फैलाकर गए. 

हमारी थू-थू हो जाएगी!

7. शत्रुंजय गिरिराज जंगली Area होने से यह कई Wild Animals का घर भी है, इसलिए यह Indian Forest Department की निगरानी में है. 

Plastic आदि का कचरा फैलाना अथवा फेंकना गिरिराज के जंगलों में जो Wild Animals हैं, उनके लिए बहुत ही Dangerous है. Environment के साथ साथ उनकी Life भी खतरे में आ जाती है.

8. शत्रुंजय गिरिराज के प्रति हम जैनों की जो आस्था है उसे देखते हुए Forest Department ने यह Area यात्रिकों के लिए Open रखा है. 

लेकिन अगर इसी तरह से हम गिरिराज पर Plastic आदि का Use करते रहे, कचरा फैलाते रहे तो कहीं ऐसा ना हो जाए कि Wild Animals की Protection के लिए Forest Department गिरिराज के इस Area में हमारी Entry ही बंद कर दे. 

इसलिए यह हमारी Responsibility है कि हम हमारे तीर्थ को – गिरिराज को Protect करने के बारे सोचें, Plastic के Usage को, यात्रा में खान-पान को बंद करें और Forest Department द्वारा दी गई यात्रा की इस Permission का Misuse ना करें.

9. जैन लोग जिसे अपनी आस्था का सबसे बड़ा केंद्र मानते हैं ऐसे श्री शत्रुंजय गिरिराज की पवित्र भूमि पर फागण फेरी के दिन जब लाखों की Public द्वारा खाने पीने की वस्तुओं का कचरा फेंका जाता है, उसे देखकर पालीताणा के जो स्थानीक लोग हैं, वहां की जो Local जनता है उनके मन में जैनों के प्रति, तीर्थ के प्रति अभाव पैदा होता है. 

हम ही शत्रुंजय की रक्षा के लिए सड़क पर उतारते हैं और हम ही शत्रुंजय पर Plastic आदि कचरा फैलाकर उसे Damage करें-यह Hypocrisy नहीं तो और क्या है! 

हम ही शत्रुंजय की Value नहीं करेंगे तो बाकी की प्रजा कैसे करेगी?

10. एक विशेष बात यहाँ समझने जैसी है कि सूर्योदय से पहले यात्रा करना परमात्मा की आज्ञा के विरुद्ध है और जो कार्य परमात्मा की आज्ञा के विरुद्ध किया जाता है, उसे जैन शास्त्रों में अनुबंध हिंसा कहा गया है. 

अब कई लोग फागण फेरी के दिन सूर्योदय से पहले ही यात्रा करना शुरू कर देते हैं, कुछ लोग तो आदि रात को चढ़ने लग जाते हैं, जो कि सही नहीं है-इस तरह की यात्रा गलत है. 

शत्रुंजय गिरिराज पर श्री आणंदजी कल्याणजी पेढ़ी भी यही कहती है कि सूर्योदय यानी Sunrise के बाद ही यात्रा की शुरुआत करनी चाहिए जिससे अनजाने में हो रही जीव हिंसा से बचा जा सके. 

फागण सुदि तेरस यानी फागण फेरी के दिन शत्रुंजय गिरिराज पर 6 गाऊ की यात्रा करने का मन कईयों को होता है, आखिर उस दिन साढ़े 8 करोड़ मुनि भगवंत के साथ शाम्ब और प्रद्युम्न मुनि मोक्ष में पधारे थे. 

ऐसा कहा जाता है कि इस दिन शत्रुंजय की यात्रा करने से अनंत पुण्य का बंध होता है लेकिन कहीं यह फागण फेरी की यात्रा के दौरान हम इस तरह से कचरा फेंककर गिरिराज की आशातना करके पुण्य की जगह पाप तो नहीं बाँध रहे हैं ना? 

इस विषय का हमें गहरा चिंतन करना होगा. 

Solutions

1. गिरिराज पर खान-पान नहीं करना है.

2. शत्रुंजय गिरिराज Damage हो, पर्यावरण को नुकसान हो ऐसी कोई भी वस्तु साथ में लेकर नहीं जानी. 

3. शत्रुंजय पर्वत को Plastic से दूर रखना है.

4. फागण फेरी की यात्रा के दौरान खान-पान नहीं करना है. 

5. अगर हम ग्रुप में जा रहे हैं तो ग्रुप में अन्य सदस्य ऐसी कोई भी हरकत करें जिससे शत्रुंजय Damage हो तो उसे रोकना है क्योंकि सामूहिक पुण्य मिलता है तो पाप भी मिलता ही है. 

6. Awareness के लिए यह Video सभी के साथ Share करना है, Specially उनके साथ जो फागण फेरी में जाने वाले हैं. और भी कोई Solutions आपके दिमाग में हो तो Comment कर सकते हैं. 

7. तीर्थ की आशातना हो ऐसा कोई भी कार्य नहीं करना है.

8. Group के अलावा भी कोई अन्य यात्रिक ऐसा कुछ भी अनुचित करें तो प्रेम से समझा सकते हैं, तीर्थ रक्षा का लाभ मिलेगा. 

9. Vendors का क्या?
Vendors आ रहे हैं इसलिए खानपान हो रहा है या खानपान हो रहा है इसलिए Vendors आ रहे हैं? दो-तीन साल यात्रिक खरीदना बंद कर देंगे तो Vendors को अपने आप पता चल जाएगा कि 

‘जैन लोग बहुत ही सत्वशाली है, फागण फेरी की यात्रा में खान-पान नहीं करेंगे तो नहीं ही करेंगे इसलिए उधर Stall लगाना यानी Time Waste करने जैसा है.’ 

उनसे उलझने या झगड़ना नहीं है. उसके बजाय हम खुद पर नियंत्रण ला दे तो Solution अपने आप हो जाएगा. 

10. हम बार बार कहते हैं “शत्रुंजय हमारा है” इसलिए शायद हम Careless हो जाते हैं क्योंकि हमारा कहते ही सब एक दूसरे पर छोड़ देते हैं कि उसकी जिम्मेदारी है इसकी जिम्मेदारी है, सबकी जिम्मेदारी है. 

हमें कहना होगा “शत्रुंजय मेरा है” तो शायद मेरी क्या Responsibility है और क्या मैं उन Responsibilities को निभा रहा हूँ यह Question हम अपने आप से करेंगे ताकि हमें पता चले कि क्या सच में मेरा शत्रुंजय मुझे प्यारा है या नहीं. 

यदि शत्रुंजय प्यारा है तो हम उसे Damage नहीं करेंगे.

Share This Article
Leave a Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *