चेहरे के दाग Vs आत्मा की सुंदरता 🙏

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By Jain Media 9 Min Read

एक साधु भगवंत ने वो देखा जो दुनिया ने अनदेखा कर दिया. 

अगर हम किसी की शक्ल देखकर Judge करते हैं? तो ये प्रस्तुति हमें सोचने पर मजबूर कर देगी. आप देख रहे हैं जैन मीडिया बने रहिए इस Article के अंत तक.

आज से करीबन 14-15 साल पहले की बात है. Gujarat के गांधीनगर के Sector 22 के जैन संघ में तीन साधु भगवंत चातुर्मास के लिए विराजमान थे. उस संघ में मंदिर और उपाश्रय एक ही परिसर यानी एक ही Compound में थे और दोनों के बीच में लगभग 50 से 60 फुट की दूरी थी. 

उपाश्रय के नीचे पेढ़ी के दरवाज़े बड़े-बड़े थे. साधु भगवंत अक्सर उसी शांतिवाली जगह में बैठकर स्वाध्याय यानी पढाई करते थे. 

इस कारण जो भी लोग मंदिर में दर्शन के लिए आते थे, उन्हें दूर से ही पता चल जाता कि उपाश्रय में साधु भगवंत विराजमान हैं तो वे साधु भगवंत के दर्शन करने भी आ जाते थे. 

उसी दौरान एक दिन लगभग 28-30 साल का युवान रोज सुबह मंदिर में प्रभु पूजा करके उपाश्रय से थोड़ी दूरी पर खड़ा होकर साधु भगवंत को भावों से हाथ जोड़ता और सर झुकाता पर वह कभी उपाश्रय में अंदर नहीं आता था. 

यह क्रम एक साधु भगवंत Daily देखते जा रहे थे. एक दिन साधु भगवंत को लगा ‘ये युवान बाहर से ही वंदन करता है लेकिन उपाश्रय में नहीं आता, इसका कोई तो कारण जरूर होगा.’ 

साधु भगवंत ने उस युवान को गौर से देखा तो पता चला कि उस युवान के चेहरे पर बहुत सारे सफेद दाग थे, जो कि एक Vitiligo नामक Skin Condition है. उन साधु भगवंत को मनोविज्ञान यानी Psychology की बहुत अच्छी समझ थी. 

इसलिए एक दिन उन्होंने इशारे से उस युवान को उपाश्रय में उनके पास बुलाया. वह युवान हिचकिचाते हुए अंदर आया और थोड़ी देर Normal बातचीत के बाद साधु भगवंत ने सहजता से पूछा ‘मैं रोज़ आपको देखता हूँ, आप खूब भावों से वंदन करते हो लेकिन अंदर नहीं आते. इसका कुछ खास कारण है?’

युवान कुछ क्षण चुप रहा और फिर बोला ‘साहेबजी, मुझे कोई और Problem नहीं है. मैं एक बड़ी Company में Job करता हूँ, सब कुछ ठीक चलता है, घर में मम्मी-पापा, मैं और मेरी Wife-कुल चार लोग हैं. सब बढ़िया लेकिन…’

फिर वो युवान धीरे से बोला 

बस, ये जो मेरे चेहरे पर दाग हैं ना गुरुदेव, इन्हीं के कारण लोग मुझे अलग नजर से देखते हैं. किसी की आँखों में प्रेम नहीं दिखता, बस अजीब सी नज़रों से देखते हैं. मुझे ये बात बहुत चुभती है.

इस बिमारी का कोई इलाज नहीं है. मेरी Wife को भी ऐसे ही दाग हैं. इस वजह से हम नए लोगों से मिलने से बचते हैं. लोग कैसे देखते हैं, वही हमें सबसे ज़्यादा तकलीफ़ देता है.

मम्मी-पापा अक्सर आपके प्रवचन सुनने आते हैं और बहुत तारीफ़ करते हैं. मेरा भी मन होता था आने का, लेकिन फिर ये चेहरे के दाग देखकर मैं संकोच में पड़ जाता हूँ.

वो युवान एकदम खुले दिल से बोल रहा था और इसलिए बात करते-करते उसका मन हल्का हो गया. युवान की पूरी बात सुनकर साधु भगवंत ने मुस्कुराकर कहा ‘देखो भाई, हमारे प्रभु ने हमें सिखाया है कि 

आत्मा का रूप देखो, शरीर का नहीं.’ तुम्हारी परेशानी सिर्फ दाग की है. सोचो किसी का रंग काला हो, कोई काना हो, दांत बाहर निकले हो या शरीर लुला हो तब भी हम उस व्यक्ति पर प्रेम ही बरसाते हैं. क्योंकि शरीर बदसूरत हो सकता है लेकिन आत्मा कभी बदसूरत नहीं हो सकती.

साधु भगवंत की बात सुनकर वो युवान भावुक हो गया और उसकी आँखें भर आई. फिर तो वह युवान साधु भगवंत से इस तरह Connect हो गया कि Office के कारण वह प्रवचन में तो नहीं आ पाता था लेकिन हर सुबह वंदन करके ज़रूर जाता और अब उसका डर, संकोच आदि सब कुछ गायब हो चुका था. 

कुछ महीनों बाद जब चातुर्मास पूर्ण होने का समय आया, तब एक दिन उस युवान ने साधु भगवंत से कहा ‘साहेबजी, मुझे Company की तरफ से Promotion मिला है लेकिन इसके लिए मुझे चंडीगढ़ जाना पड़ेगा. 

वहां मंदिर दूर है तो मैं रोज तो नहीं जा पाऊँगा पर हर Sunday मंदिर जाने की कोशिश जरुर करूँगा. मम्मी-पापा चंडीगढ़ जाने के लिए मना कर रहे हैं. उनका कहना है कि पैसे थोड़े कम कमा लो लेकिन साथ में ही रहो लेकिन साहेबजी, हम Middle Class लोग हैं, जरूरतों को पूरा करने के लिए पैसे भी तो ज़रूरी हैं. 

मैं 2-4 साल में वापस आ जाऊंगा. साहेबजी, मैं कल दोपहर में चंडीगढ़ के लिए निकल रहा हूँ, जाने से पहले मेरी एक इच्छा है. क्या आप कल मेरे घर पर गोचरी लेने पधारेंगे?’

युवान की विनंती सुनकर साधु भगवंत ने वर्तमानयोग कहा. क्योंकि साधु भगवंतों को संसारिक मामलों में कोई आशीर्वाद देना उचित नहीं इसलिए उन्होंने युवान को दूसरा तो कुछ नहीं कहा लेकिन एक बात ज़रूर कही 

भाई, आप जहां भी जाओ, बस धर्म को भूलना मत,
धर्मलाभ.

अगले दिन साधु भगवंत उनके घर गोचरी के लिए गए. उस युवान के घरवालों ने बड़े भावों से साधु भगवंत को गोचरी वहोराई और साधु भगवंत ने उन्हें मांगलिक सुनाया. 

तब वह युवान फूट-फूटकर रोने लगा और उसने कहा ‘साहेबजी, आपने इन तीन महीनों में मुझे इतना प्रेम दिया, कभी कुछ मांगा नहीं, एक रुपया भी इधर लिखाने को उधर लिखाने को कहा नहीं, मुझे निःस्वार्थ प्रेम दिया. 

इससे पहले मुझे जैन साधुओं का परिचय नहीं था. मैं उन्हें दूर से ही देखता था लेकिन कभी उनसे Connect नहीं हो पाया था लेकिन पहली बार मैं आपके साथ जुड़ा और मैंने यह जाना कि साधु का प्रेम कैसा होता है. 

आपने मेरे साथ कभी किसी भी चीज़ के लिए जबरदस्ती नहीं की, धर्म के नाम पर कोई दबाव नहीं डाला कि यह प्रतिज्ञा लो, वह प्रतिज्ञा लो आपने मुझे दिल से छू लिया और इसलिए आज से आप ही मेरे गुरु हैं.’

आज 15 साल बाद जब उन साधु भगवंत ने हमें यह घटना बताई तब उनका कहना था ‘तीन महीने रोज मिलने के बाद भी मैंने कभी उन भाई का नाम नहीं पूछा और आज भी वह गुरु भगवंत को उनका नाम नहीं पता है.’

उस युवान ने कभी अपना नाम नहीं बताया और साधु भगवंत ने उससे कभी पूछा भी नहीं. आखिर क्यों? क्योंकि जहाँ प्रेम निःस्वार्थ होता है वहाँ परिचय की ज़रूरत नहीं होती. 

आज की भागदौड़ दुनिया में हम पहचान मांगते हैं, Followers गिनते हैं और Outer Beauty से सभी को Judge करते हैं पर 14-15 साल पहले की यह घटना हमें समझाती है कि व्यक्ति Outer Appearance यानी चेहरे से नहीं बल्कि Inner Appearance यानी आत्मा से सुंदर होना चाहिए

आप सभी से हमारी यह विनंती है कि अगर वो भाई यह Video देख रहे हों तो Jain Media से संपर्क करें या गाँधीनगर में रहनेवाले लोग अगर उन भाई के घर परिवार को जानते हों तो Jain Media से संपर्क करें. 

उन भाई की इतनी Details हमें पता चली है कि वे आज से लगभग 14-15 साल पहले गांधीनगर के Sector 22 में रहते थे और बाद में उनका चंडीगढ़ Transfer हुआ था. उनके चेहरे पर सफेद दाग थे यानी Vitiligo Skin Condition थी और उनकी उम्र आज लगभग 42-45 के बीच होगी. 

सच्चे साधु भगवंतों का संपर्क और प्रेम किसी की पूरी जिंदगी बदल देता है इस बात की यह सुंदर घटना एक अद्भुत उदाहरण है. 

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