Did God create the World for Humans to Enjoy ? – Garjana Book !

क्या भगवान ने मनुष्य के भोग के लिए दुनिया बनाई है ?

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By Jain Media 123 Views 8 Min Read

क्या भगवान ने मनुष्य के भोग के लिए यह दुनिया बनाई है? उत्तर जानने के लिए बने रहिए इस Article के अंत तक.

इस प्रश्न का उत्तर जानने से पहले आपको बता दें कि सरस्वती लब्ध प्रसाद परम पूज्य आचार्य भगवंत श्रीमद् विजय रत्नसुंदर सूरीश्वरजी महाराजा के शिष्यरत्न परम पूज्य आचार्य भगवंत श्रीमद् विजय पद्मसुंदर सूरीश्वरजी महाराज साहेब के शिष्यरत्न परम पूज्य पंन्यास श्री धैर्यसुंदर विजयजी महाराज साहेब द्वारा लिखित गर्जना पुस्तक से इस प्रश्न का उत्तर सभी के सामने प्रस्तुत कर रहे हैं. 

अभी के समय के हिसाब से एक दम ज़बरदस्त Book यानी गर्जना.

धर्म तो मतलबी बनना सिखाता है?
धार्मिक इंसान धोखा देते हैं?
कठिन तप क्यों करना?
शरीर को कष्ट क्यों देना?
धर्म लालच या डर से करवाना चाहिए क्या?
क्या धर्म धार्मिक लोगों के लिए अफीम है?

आदि इस तरह के अलग अलग 38 Questions के एक से बढ़कर एक जवाब पूज्य गुरु भगवंत ने गर्जना पुस्तक के माध्यम से दिए हैं, जिसे जानने के बाद धर्म का मज़ाक उड़ाने वाले या धर्म को लेकर टेड़े प्रश्न पूछने वाले के खिलाफ हम गर्जना कर सकेंगे.

इस पुस्तक को आप इस QR Code को Scan करके अथवा इस Contact Information पर संपर्क करके प्राप्त कर सकते हैं. 

अब देखते हैं हमारे इस Episode के प्रश्न का उत्तर. 

क्या यह दुनिया मनुष्य के भोग के लिए भगवान ने बनाई है?

कई लोगों के मन में ऐसे ऐसे तर्क आते हैं कि धर्म हमेशा त्याग की बात करता रहता है. ये छोड़ो, वो छोड़ो कहने वाले धर्म को ही छोड़ने का मन हो रहा है. दूसरी बात, कुछ लोगों से बार-बार सुना है कि भगवान ने यह दुनिया मनुष्य के भोग के लिए बनाई है. 

आज संपत्ति, Resources होते हुए भी, खुद का शरीर इन Resources को Use करने की Capacity रखता है फिर भी, बिना भोगे इन सभी चीजों का त्याग कर देंगे तो हम बेवकूफ कहलायेंगे. Right? 

‘भगवान ने यह दुनिया मनुष्य के भोग के लिए बनाई है.’ ऐसा कहने के पीछे वजह ये है कि इस विश्व की जीव सृष्टि में मनुष्य सबसे बुद्धिमान और संस्कृत है अर्थात् Intelligent और Cultured है. इस लिए मनुष्य खुद से Powerful Animals को भी Control करता है और उन Animals को जीना या मरना, कैद रखना आदि वो मनुष्य की मर्जी पर निर्भर है. 

इसीलिए हम कह सकते हैं कि यह दुनिया मनुष्य के भोग के लिए बनाई गई है. इस गंभीर प्रश्न के उत्तर में पूज्य पंन्यास जी भगवंत कहते हैं कि यहाँ उठाई हुई समस्या का समाधान ज़रूर देंगे लेकिन उससे पहले एक प्रश्न का जवाब देना होगा, मान लेते हैं कि भगवान ने इस विश्व को मनुष्य के लिए बनाया है लेकिन मनुष्य को किस लिए बनाया है? 

आप कहेंगे कि इस जगत् में पैदा होने वाली चीजों का मजा लेने के लिए मनुष्य को बनाया है. तो आपसे और एक प्रश्न पूछते हैं कि कौन Smart व्यक्ति ऐसा Creation करेगा जो अपने ही Best Creation को Destroy कर दे? 

यदि आप मानते हो कि इतनी सारी Diversities एवं Beauty से भरा विश्व भगवान ने बनाया है तो अपने Consumption के लिए बेरहमी से Nature को Destroy करने वाला इंसान भगवान क्यों बनाते? 

मतलब, प्रभु ने इस विश्व में मनुष्य को बौद्धिक शक्ति विश्व का नाश करने के लिए नहीं दी है लेकिन विवेक के साथ उसका उपयोग करने के लिए दी है. विवेकपूर्ण उपयोग के साथ खुद का और दूसरों का कल्याण करने के लिए दी है. 

दूसरी बात, इस विश्व की श्रेष्ठ चीजों को मानव के उपयोग के लिए बनाया है तो और एक प्रश्न खड़ा होता है कि किसी जगह एक ही चीज प्राप्त हो रही है और उसे चाहने वाले दो या उससे ज्यादा इन्सान है. सभी ऐसा मान रहे हैं….. कि यह चीज तो मेरे उपयोग के लिए बनाई है तो दो या दो से अधिक लोगों के बीच महाभारत का युद्ध होगा कि शांति? 

‘यह सब मेरे भोगने के लिए हैं’ ऐसी विचारधारा रखने वाला इंसान भगवान का नहीं बल्कि शैतान का प्रतिनिधित्व कर रहा है. पूरे विश्व में ऐसे हैवानों के कारण मार काट मच जायेगी और हो ही रहा है, हम देख रहे हैं.

और एक बात, इस दुनिया की सारी चीज़ें मनुष्य के भोग के लिए बनी है ऐसा कुछ लोग कहते हैं तो इस दुनिया में जहर भी भगवान ने बनाया है और गंदगी भी भगवान ने बनाई है? तो क्या वह भी व्यक्ति खाएगा? 

अतः ऐसे बेतुके बयान करके सभी को उल्लू बनाना बंद करना चाहिए. हकीकत में कहे तो इंसान इस सृष्टि की एवं जीवों की सुरक्षा करने के लिए बना है, आत्म कल्याण के लिए बना है. 

याद आते हैं जगडुशाह. जिन्हें जैनाचार्य परमदेवसूरि म. से पता लग चुका था कि लगातार तीन साल का भीषण अकाल पूरे भारतवर्ष पर मंडरा रहा है. उन्होंने धान इकठ्ठा करना शुरू किया, वह भी भविष्य में बाँटने के लिए, पैसा कमाने के लिए नहीं. एक-दो साल तक तो लोगों ने जैसे-तैसे भी खींच लिया, लेकिन तीसरे साल धान की भयानक कमी से अफरातफरी मच गई, और यहाँ जगडुशाह ने लोगों के लिए धान के भंडार खोल दिए. 

प्रजा ही नहीं, राजाओं ने भी धान के लिए लाईन लगाई थी. करोड़ों टन अनाज करीबन एक-डेढ़ साल में उन्होंने पूरे भारतवर्ष को मुफ्त बाँट दिया. दिल्ली के बादशाह के पेट में भी उनका अन्न पहुँचा था. जब जगडुशाह दिवंगत हुए, तब दिल्ली के बादशाह ने तीन दिन तक खाना छोड़ दिया. 

यदि जगडुशाह ने भी यह दुनियां मेरे उपयोग के लिए है ऐसी मानसिकता बनाकर रखी होती तो भारत वर्ष की आबादी का क्या होता, वो एक बार सोचने जैसा है. यदि आज की किसी मल्टीनेशनल कंपनी को पता चल जाए कि अकाल पड़ने वाला है तो वो भी धान इकट्ठा करने लगेगी, एक का दस बनाने के लिए, मुफ्त में बांटने के लिए नहीं. 

बड़े में बड़प्पन होना चाहिए, वैसे ही इंसान में इंसानियत होनी चाहिए. आज विश्व बिना इंसानियत के इंसानों से परेशान है. अतः विश्व हमारे भोग के लिए है, वो मानसिकता छोड़ देने में ही इंसान और सृष्टि की भलाई है. यह दुनिया भगवान ने बनाई है या नहीं यह एक अलग विषय है कभी विस्तार से लेंगे, लेकिन यह दुनिया भोग के लिए नहीं है इतना तो Clear हो ही गया होगा. 

इसी तरह अनेकों प्रश्नों के Short, Sweet एंड सटीक जवाब इस पुस्तक गर्जना में दिए गए हैं, यह पुस्तक Hindi एवं गुजरती भाषा में उपलब्ध है. इस पुस्तक को आप इस QR Code को Scan करके अथवा इस Contact Information पर संपर्क करके प्राप्त कर सकते हैं. 

हर धार्मिक व्यक्ति को इस पुस्तक को प्राप्त कर के पढ़कर अपना Knowledge बढ़ाना चाहिए ऐसा हमें लगता है. भविष्य में कोई धर्म को लेकर प्रश्न उठाए, तो हम गर्जना के लिए तैयार रह सकते हैं.

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