चातुर्मास में हम क्या कर सकते हैं ?

What Can We Do During Chaturmas?

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By Jain Media 191 Views 4 Min Read
Highlights
  • हमारे जिनशासन के साधु साध्वीजी भगवंतों के कुछ नियम होते हैं, कुछ Rules होते हैं. उनमें एक है निर्दोष गोचरी यानी कि एक घर से नहीं बल्कि अलग अलग घरों में जाकर थोड़ी थोड़ी गोचरी स्वीकार करनी.
  • पक्का पानी पीना, समय पर भोजन करना, रात्रि भोजन त्याग आदि छोटे छोटे नियमों का पालन करके चातुर्मास में अधिक लाभ लिया जा सकता है.
  • हम महापुरुष नहीं बन सकते, महापुरुषों ने जो कार्य किए हैं भले वो करने की हमारी हिम्मत न होती हो लेकिन छोटे छोटे Changes से भी बड़े बड़े बदलाव ला सकते हैं.

इस चातुर्मास हम क्या कर सकते हैं? 

तप, साधना, स्वाध्याय, आराधना आदि ये सब हम में से कई लोगों को बहुत मुश्किल लगता है. लेकिन अगर ऐसा कहा जाए कि इस चातुर्मास “खाना” खाना है तो आप क्या कहेंगे? जी हाँ!

पूरी बात जानने और समझने के लिए बने रहिए इस Article के अंत तक.

“साधूनां दर्शनं पुण्यं”

यानी साधु साध्वीजी भगवंतों के दर्शन मात्र से पुण्य का बंध होता है. चातुर्मास प्रवेश में तो बहुत भीड़ होती है No Doubt! लेकिन चातुर्मास प्रवेश के बाद हमारा रोल ख़त्म होता है या शुरू होता है? यह एक प्रश्न है.

चातुर्मास प्रवेश के बाद गुरु भगवंतों की उपाश्रय में स्थिरता होगी. हम सभी को गोचरी वहोराने का अर्थात् सुपात्रदान का लाभ मिलेगा. हमारे जिनशासन के साधु साध्वीजी भगवंतों के कुछ नियम होते हैं, कुछ Rules होते हैं. उनमें एक है निर्दोष गोचरी यानी कि एक घर से नहीं बल्कि अलग अलग घरों में जाकर थोड़ी थोड़ी गोचरी स्वीकार करनी. इतनी ही गोचरी लेनी जिससे गृहस्थ को कम न पड़े और वापस बनानी ना पड़े.

कई बार ऐसा होता है कि गुरु भगवंत धर्मलाभ देते हुए घर पर पधारे और घर पर कुछ बना हुआ न हो क्योंकि आज Plan बाहर से मंगवाने का है या बाहर जाने का है. इस Plan के कारण वो घर गुरु भगवंतों को गोचरी वहोराने के इतने बड़े लाभ से चूक जाता है.

तो इस चातुर्मास क्या कर सकते हैं?

इस चातुर्मास ज्यादा कुछ न करते हुए यह कर सकते हैं कि हम खाना खाएंगे अर्थात् घर का खाना खाएंगे. वो भोजन जो जैन साधु साध्वीजी भगवंतों को भी चलता हो वही खाएंगे. इसमें कोई बड़ी साधना या मेहनत नहीं लगने वाली एकदम Simple कार्य है लेकिन इस Simple कार्य से गुरु भगवंतों की अद्भुत भक्ति का दरवाज़ा खुल सकता है. जब भी गुरु भगवंत घर पर पधारेंगे तो हमें गोचरी वहोराने का लाभ अवश्य मिलेगा.

इस तरह से अनेकों चीज़ें की जा सकती है, जैसे कि

1. घर पर कोई भी पक्का पानी नहीं पीता हो तो कोई एक दो व्यक्ति जिनको अनुकूलता हो तो वो शुरू कर सकते हैं, जिससे फायदा ये होगा कि गुरु भगवंतों को आसानी से पक्का पानी मिल सकेगा.

2. हमारे भोजन करने की Timings में थोडा बदलाव कर सकते हैं जैसे सुबह में 12 बजे भोजन करना और शाम में 5-6 बजे, सूर्यास्त से पहले, गुरु भगवंतों को रूखा सूखा नहीं बल्कि ताज़ा बना हुआ आहार वहोराने का लाभ मिलेगा.

3. हम चले पाठशाला के तहत बच्चों ने पाठशाला तो जाना शुरू कर ही दिया होगा, साथ ही साथ बच्चों को ये कह सकते हैं कि गुरु भगवंत को गोचरी की विनंती करके आना. पंचम काल के गुरु भगवंतों के सामने गोचरी की विनंती Line लग जाए तो कैसा अद्भुत वातावरण पैदा होगा.

4. ऐसा कई बार हुआ है कि गुरु भगवंत 5 बजे गोचरी के लिए कम से कम 4-5 घर गए होंगे लेकिन कहीं पर भी गोचरी नहीं मिली हो. वो ये बातें कभी किसी से नहीं कहेंगे क्योंकि वो निर्लेप होते हैं लेकिन ऐसी Situation में हमारी जिम्मेदारी क्या? वो सोचने जैसा है.

Simple Solutions है. हम यदि चाहे तो अपना सकते हैं. कुल मिलाकर हम महापुरुष नहीं बन सकते, महापुरुषों ने जो कार्य किए हैं भले वो करने की हमारी हिम्मत न होती हो लेकिन ऐसे छोटे छोटे Changes से भी बड़े बड़े बदलाव ला सकते हैं.

इसलिए खाना खाकर अर्थात् घर का खाना खाकर भी गुरु भगवंतों की Directly या Indirectly भक्ति की जा सकती है.

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