What is Ayambil in Jainism? How to do Ayambil?

क्या होता है आयंबिल? और कैसे करते हैं आयंबिल?

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By Jain Media 77 Views 20 Min Read
Highlights
  • आयंबिल तपस्या में दिन में एक ही बार भोजन कर सकते हैं.
  • आयंबिल में दूध, दही, घी, तेल, गुड, शक्कर - इन 6 विगईयों का और इनसे बनी वस्तुओं का त्याग किया जाता है.
  • आयंबिल एक ऐसी तपस्या है जिससे अनेकों के Cancer जैसे रोग भी दूर हो चुके हैं, हो गए हैं और हो भी रहे हैं, इसलिए ये कोई सामान्य तपस्या नहीं है.

हमने आयंबिल से अनेकों रोग दूर होते देखें हैं, चमत्कार भी हमने देखें हैं. इन सब के बीच कई लोगों के मन में यह प्रश्न था कि आखिर आयंबिल तप होता क्या है? और कैसे किया जा सकता है? तो आज हम सरल भाषा में Detail में जानेंगे कि आखिर आयंबिल तप क्या होता है और उसे कैसे कर सकते हैं? बने रहीए इस Article के अंत तक. जिन्हें आयंबिल करने का भाव हो और विधि ना मालूम हो, उन लोगों के साथ यह Article अवश्य Share कीजियेगा.

सबसे पहले तो जिन्हें भी आयंबिल की तपस्या करने का भाव आया, उन सभी को खूब खूब धन्यवाद. 

आयंबिल का पच्चक्खान 

आयंबिल की तपस्या करनेवालों को एक बात का ध्यान रखना है कि जिस दिन आयंबिल करने वाले हैं, उसके पहले की रात को 10 बजे बाद कुछ नहीं खाना है. पानी भी नहीं पीना है यानी कि यदि Thursday को आयंबिल करना है तो Wednesday की रात को 10 बजे के बाद कुछ खाना नहीं पानी भी पीना नहीं.

सुबह सूर्योदय के बाद एक पच्चक्खाण लेना है, पच्चक्खाण यानी सरल भाषा में एक दिन के लिए ली हुई सौगंध या प्रतिज्ञा कि आज मैं आयंबिल करूँगा, ऐसा परमात्मा से एक Promise कह सकते हैं. पच्चक्खाण का पाठ निचे दिया गया है.

उग्गए सूरे, नमुक्कार-सहिअं, पोरिसिं, साड्ढपोरिसिं, मुट्ठिसहिअं, पच्चक्खाइ (पच्चक्खामि); उग्गए सूरे चउव्विहं पि आहारं, असणं, पाणं, खाइमं, साइमं, अन्नत्थणाभोगेणं, सहसागारेणं, पच्छन्नकालेणं, दिसामोहेणं, साहुवयणेणं, महत्तरागारेणं, सव्वसमाहि-वत्तियागारेणं, आयंबिलं निव्विगइअं विगइओ पच्चक् खाइ (पच्चक्खामि);
अन्नत्थणाभोगेणं, सहसागारेणं, लेवालेवेणं, गिहत्थसंसट्ठेणं, उकि् खत्त-विवेगेणं, पडुच्चमकि् खएणं, पारिट्ठावणियागारेणं, महत्तरागारेणं, सव्वसमाहि-वत्तियागारेणं, एगासणं पच्चक् खाइ (पच्चक्खामि), तिविहं पि आहारं, असणं, खाइमं, साइमं, अन्नत्थणाभोगेणं, सहसागारेणं, सागारियागारेणं, आउंटण-पसारेणं, गुरू-अब्भुट्ठाणेणं, पारिट्ठावणियागारेणं, महत्तरागारेणं, सव्वसमाहि-वत्तियागारेणं, पाणस्स लेवेण वा, अलेवेण वा, अच्छेण वा, बहुलेवेण वा, ससित्थेण वा, असित्थेण वा वोसिरई, 
वोसिरामि वोसिरामि वोसिरामि!

Ayambil Pachkhan

परमात्मा के समक्ष यह पच्चक्खान लेना है. यहाँ पर एक बात का ध्यान रखना है कि सुबह में सूर्योदय से पहले पच्चक्खाण लेना है, यदि न ले सके तो सूर्योदय के बाद भी ले सकते हैं और नवकारसी के समय के बाद पानी पी सकते हैं. उससे पहले पानी पी नहीं सकते. 

नवकारसी क्या है?

सूर्योदय के 48 मिनट के बाद नवकारसी आती है, यानी अगर सूर्योदय 6.00 बजे हैं तो 6.48 को नवकारसी का समय हो जाता है तो उसके बाद पानी पी सकते हैं. उसी तरह कुछ और समय के बाद पोरसी आती है. कोई कोई नवकारसी के समय के बाद पानी पीते हैं, कोई कोई पोरसी के समय के बाद पानी पीते हैं. हर स्थान का सूर्योदय का Time अलग होता है इसलिए हर क्षेत्र में अलग अलग समय पर नवकारसी पोरसी आदि आती है. 

इसलिए आप अपने आस पास रहे गुरु भगवंत के पास जाकर जान सकते हैं और यदि गुरु भगवंत न हो तो फ़ोन में Jain Panchang आदि App Download करके अपने अपने क्षेत्र में नवकारसी, पोरसी के समय अनुसार पानी पी सकते हैं. In Short सूर्योदय के 48 Minute के बाद पानी पी सकते हैं. नवकारसी का पच्चक्खाण पाठ निचे दिया गया है.

उग्गए सूरे, नमुक्कार-सहिअं, पोरिसिं, साड्ढपोरिसिं, सूरे उग्गए पुरिमड्ढ, अवड्ढ मुट्ठिसहिअं, पच्चक्खाइ (पच्चक्खामि); चउव्विहं पि आहारं, असणं, पाणं, खाइमं, साइमं, अन्नत्थणाभोगेणं, सहसागारेणं, पच्छन्नकालेणं, दिसामोहेणं, साहुवयणेणं, महत्तरागारेणं, सव्वसमाहि-वत्तियागारेणं वोसिरई,
वोसिरामि वोसिरामि वोसिरामि!

Navkarsi Pachkhan

पक्का पानी बनाने की विधि 

आयंबिल में पूरे दिन में सिर्फ एक ही बार भोजन करने के लिए बैठना है, उसके क्या नियम है वो हम आगे जानेंगे. उससे पहले हमें पानी के विषय में कुछ जानना होगा. पानी पीने के भी कुछ अलग नियम है. आयंबिल में कच्चा पानी नहीं चलता. कच्चा पानी यानी पीने के लिए सिर्फ छाना हुआ पानी अथवा नल आदि से भरा हुआ पानी. हमें उबाला हुआ पानी ही पीना होगा. पानी उबालने की भी एक क्रिया है जो इस प्रकार है:  

पूरे दिन के लिए जितनी ज़रूरत लगे उतना पानी अंदाजित छानकर एक बर्तन में लेना है, COMPULSORILY पानी छानकर ही बर्तन में लेना है. पानी छानने के लिए Cotton के रुमाल का इस्तेमाल कर सकते हैं, लेकिन वह रुमाल ऐसा होना चाहिए जिसमें से सूर्य की किरणें आर पार नहीं हो सकती.

ये पानी छानकर, बर्तन में लेना है, बर्तन में लेकर उसे गैस पर गर्म करना है सिर्फ गर्म नहीं बल्कि उस पानी को उबालना है. जिस तरह चाय उबालते हैं, उसी तरह इस पानी को उबालना होगा. 3 बार कम से कम उबाल आना चाहिए तभी ये पानी आयंबिल में पीने के लिए Eligible होगा. Important बात – यह उबालने का पूरा कार्य सूर्योदय के बाद ही करना है. सही Process से उबाले हुए पानी को हम पक्का पानी कहेंगे.

पानी उबालने के कुछ समय के बाद, उस पानी का Temperature थोडा Normal होते ही, दूसरे बर्तन में फिर से अलग सूखे कपडे से छानकर लेना है. यहाँ पर एक बात का बहुत ज्यादा ध्यान देना है कि इस पानी के साथ कच्चा पानी Mix नहीं होना चाहिए, एक DROP भी नहीं. यदि एक Drop भी इसमें Mix हुआ तो ये पानी आयंबिल में पीने के लिए Eligible नहीं होगा. 

यह पक्का पानी थाली या परात में लेकर उसे Normal Temperature का होने के लिए भी रख सकते हैं लेकिन Fridge का पानी Mix करना या Ice Cubes Mix करना, ये गलती से भी Use नहीं करना है, वरना यह पानी पक्का पानी नहीं रहेगा.

पक्के पानी की काल मर्यादा

यह पानी 3 प्रहर तक चलता है, एक प्रहर यानी कि Day Time का चौथा हिस्सा. अब इधर प्रहर का हिसाब कुछ इस तरह लगा सकते हैं कि यदि दिन 12 घंटे का हो, यानी Day Time 12 Hours का हो तो चौथा हिस्सा यानी 12 Hours का 4th Part एक प्रहर कहा जाएगा. अर्थात् 12 घंटे का दिन हो तो 3 घंटे का एक प्रहर माना जायेगा. और 3 प्रहर तक पानी चलेगा यानी 9 घंटे तक यह पानी चलेगा. यह पानी गर्मी के दिनों में तो लगभग 14-15 घंटों तक चल जाता है क्योंकि दिन का समय लंबा होता है लेकिन चातुर्मास के समय में लगभग 9 घंटे तक ही पीने के लिए Eligible होता है.

उदाहरण के लिए चातुर्मास में 7 बजे सुबह पानी उबाला तो वह पानी दोपहर 3-4 बजे तक ही पीने के लिए Eligible रहेगा. उसके बाद यदि पीना है तो फिर से पानी उबालने का पूरा Process जिस तरह से बताया गया है वो Follow करना होगा तो समझिये कि यदि 12 बजे पानी उबाला तो वह पक्का पानी लगभग सूर्यास्त तक चल जाएगा. 

आयंबिल में दिन में एक ही बार भोजन कर सकते हैं लेकिन पानी जितनी बार चाहे पी सकते हैं. पानी पीने की समय मर्यादा ये होगी कि नवकारसी के समय से लेकर सूर्यास्त यानी Sunset तक पानी पी सकते हैं. मूल विधि के अनुसार सूर्यास्त से 48 मिनट पहले पानी का त्याग करना होगा. Possible न हो तो सूर्यास्त से पहले तो त्याग करना ही है. On a safer side 5 मिनट पहले पानी का त्याग कर सकते हैं.

हर क्षेत्र के सूर्यास्त का समय अलग होता है, इसलिए Jain Panchang जैसे Mobile Applications का प्रयोग करके अपने अपने क्षेत्र के सूर्यास्त का समय जान सकते हैं. यदि सूर्यास्त 6.30 का है तो फिर 6.25 को हम पानी छोड़ सकते हैं यानी उसके बाद अगले दिन सुबह तक हम कुछ भी खा नहीं सकते, पानी भी नहीं पी सकते.

ये था आयंबिल में पानी पीने का System. इस पानी को हम पक्का पानी कहेंगे.

आयंबिल के दौरान पक्का पानी पीने की भी क्रिया होगी यानी मन चाहे वैसे खड़े रहकर पानी नहीं पी सकते हैं. नीचे बैठकर एक हाथ मुंह के आगे रखकर, 3 नवकार मन्त्र गिनकर पानी पीना है. जयणा के लिए मुख के आगे हाथ रखते हैं, ताकि बोलते वक्त थूक बाहर न गिरे. पानी पीने के बाद रुमाल से गिलास को साफ़ करके साइड में रखकर, हाथ जोड़कर एक नवकार मन्त्र गिनना. ये प्रक्रिया के बाद उस जगह पर से उठना. ये जितनी बार पानी पीयेंगे उतनी बार करना होगा.

अब आते हैं आयंबिल में भोजन के विषय पर.

आयंबिल करने के कुछ नियम 

आयंबिल तपस्या में दिन में एक ही बार भोजन कर सकते हैं. नीचे आसन, गादी, Etc रखकर, सामने पाटला आदि रखकर, उसके ऊपर थाली रखकर आयंबिल करना होगा. आयंबिल करने के दौरान बैठकर हाथ जोड़कर तीन नवकार मन्त्र गिनने हैं, उसके बाद खाना शुरू कर सकते हैं.

यहाँ पर कुछ नियम पालने होंगे जैसे कि:

A. कच्चे पानी का एक Drop भी भोजन में नहीं आना चाहिए.

B. आयंबिल करते वक्त यानी भोजन करते वक्त बीच में से उठ नहीं सकते.

C. आयंबिल करते वक्त बोलना नहीं, Possible हो तो पूरा मौन रहना, बोलना पड़े तो झूठे मुंह नहीं बोलना, यानी पानी पीकर मुंह साफ़ करके बोल सकते हैं. इसका कारण ये है कि हमें ज्ञान की आशातना का दोष लगता है यानी ज्ञान का अपमान होता है इसलिए. 

आयंबिल में क्या खा सकते हैं?

अब आते हैं सबसे बड़े विषय पर कि आयंबिल में किस तरह की भोजन सामग्री का उपयोग करते हैं. कौन कौन सी भोजन सामग्री चलती है? कौन कौन सी भोजन सामग्री नहीं चलती? यह विषय बहुत गंभीर और महत्वपूर्ण है इसलिए ये Points को एक दम ध्यान से हमें समझना होगा.

A. दाल दलहन जैसी अन्न वाली चीज़ें आयंबिल में Allowed है. 

B. बाकी किसी भी प्रकार के Fruits, Green Fruits, हरी सब्जी, Dry Fruits, Vegetables आदि का त्याग रहेगा, यानी कि आयंबिल में ये चीज़ें या इससे बनी कोई भी चीज़ें नहीं खा सकते हैं. टमाटर काकडी जैसे सामान्य से सामान्य Vegetable भी नहीं ले सकते हैं, निम्बू मिर्ची मसाले ये सब नहीं खा सकते, ये सब का भी त्याग रहेगा.

C. घी, दूध, दही, तेल, गुड का भी त्याग रहेगा एवं इनसे बनी कोई भी चीज़ नहीं चलेगी. 

D. मिठाई नमकीन का भी त्याग रहेगा, शक्कर भी नहीं चलेगी. 

ये सारी चीज़ें त्याग रहेगी मतलब ये चीज़ें हम Directly तो नहीं ही ले सकते और इनके द्वारा बनी हुई या इनके प्रयोग से बनी हुई कुछ भी चीज़ें नहीं खा सकते, वो सब भी त्याग रहेगा. 

Dry Fruit नहीं, Fruits नहीं, हरी सब्जी नहीं, घी नहीं, दूध नहीं, दही नहीं, तेल नहीं, गुड नहीं. ये चीज़ें या इनके द्वारा बनी हुई कोई भी चीज़ नहीं, मिठाई अथवा तेल से तली हुई चीज़ भी नहीं यानी अगर ये चीज़ें किसी भी व्यंजन में Mix की गयी है तो वो चीज़ भी नहीं चलेगी.

E. मसाले भी नहीं चलेंगे. मसाले में सिर्फ चार चीज़ें चलेगी नमक, सोंठ, हींग, काली मिर्च बस. बाकी कोई भी मसाला नहीं चलेगा, हल्दी मिर्ची आदि सब मसालों का त्याग रहेगा, जीरा, राई, अजमा आदि बाकी सब चीज़ें का भी त्याग रहेगा.

F. आयंबिल में मूंग, मूंग की दाल, उड़द, चने की दाल, मक्का, सूखे मटर यानी जो Green नहीं हो वो, सूखे चने की सब्जी चलेगी, सूखे चने बिना छिलके वाले, सूखे चने भी चल सकते हैं. पॉपकॉर्न, ममरा, मक्की, सभी तरह की दाल चलती सकती है. 

G. आयंबिल के खिचिया, पापड़ जिसमें मिर्च मसलों का उपयोग न किया हो वो चल सकते हैं, बाजरा, रागी एवं ज्वार चल सकते हैं. आयंबिल के खाखरे यानी जिसे बनाने में घी, मिर्ची आदि का उपयोग न किया हो, सिर्फ और सिर्फ आटा, नमक और पानी का उपयोग किया हो, उस आटे से बने खाखरे चल सकते हैं.

H. नमक से संबंधित एक बात ध्यान में रखनी है, चूले पर चढ़ाया हुआ नमक चल सकता है, आयंबिल करने बैठे हैं और ऊपर से नमक डालना हो तो वो नहीं चलेगा यानी कच्चा नमक ऊपर से नहीं चलेगा, रसोई बनाते समय चलेगा. ऊपर से पक्का नमक डाल सकते हैं. पक्का नमक की भी अलग विधि होती है, वो फिर कभी जानेंगे. 

फिलहाल के लिए ऐसा समझ लीजिए कि ऊपर से नमक नहीं लेना है. आटा, नमक और पानी Mix किया और फिर उसकी रोटी बनाई, वो चलेगी, उन रोटियों से बना खाखरा वह भी चलेगा. ऐसे देखने जाए तो यदि किसी को एकदम शुद्ध आयंबिल करना हो तो उसमें सिर्फ चावल और पानी का ही उपयोग किया जाता है. किसी को Try करना हो तो कर सकते हैं.

I. Chocolates, Biscuits आदि चीज़ें बिलकुल भी नहीं चलेगी. शक्कर भी नहीं चलती इसलिए शक्कर जिस किसी भी चीज़ में आती हो वो आयंबिल में बिलकुल भी नहीं चलेगी. बाहर का Packed Food बिलकुल भी नहीं चलेगा. 

In Short Tasteless Food. तो ये हमने जाना कुछ चीज़ें के बारे में जो आयंबिल में चलती है और नहीं चलती है.

हम यदि आयंबिल करने बैठे और यदि 48 मिनट के अन्दर पूरा हो तो बहुत उत्तम, और नहीं हो तो ऐसी कोई समस्या नहीं. आयंबिल में एक ही बार भोजन करने का होता है तो पेट हल्का रहता है, इसलिए यदि थोडा ज्यादा भी खाने में आए तो चिंता की कोई बात नहीं होती. कई बार लोग बिना पानी पीए सीधे आयंबिल करने बैठते हैं ऐसे में शारीरिक तकलीफें आ सकती है, इसलिए आयंबिल करने से एक डेढ़ घंटे पहले थोड़ा पानी पीने में आए तो शारीरिक दिक्कत नहीं होती. 

पाणाहार यानी क्या?

आयंबिल करने के बाद शाम तक पक्का पानी पी सकते हैं, सूर्यास्त के बाद पानी भी बंद हो जाता है,  पानी बंद होने के बाद एक और पच्चक्खाण लेना होता है जिसे पाणाहार कहते हैं. JAIN PANCHANG आदि App Download करके उनमें से पाणाहार का पच्चक्खाण परमात्मा के सामने ले सकते हैं. पाणाहार का पच्चक्खान पाठ निचे दिया गया है.

पाणहार दिवसचरिमं पच्चक् खाइ (पच्चक् खामि); अन्नत्थणाभोगेणं, सहसागारेणं, महत्तरागारेणं, सव्वसमाहि-वत्तियागारेणं वोसिरई, 
वोसिरामि वोसिरामि वोसिरामि!

Panahar Pachkhan

आसान भाषा में इसका अर्थ ये होता कि अब अगली सुबह के नवकारसी तक यानी सूर्योदय के बाद 48 मिनट बीत चुके हो तब तक कुछ भी खाना नहीं, पीना नहीं. इतना ही नहीं हो सके उतना खाने पीने का सोचना भी नहीं. ये थोडा मुश्किल कार्य है लेकिन तपस्वी आत्माओं को याद करके वंदन करके कोशिश कर सकते हैं.

पानी जितनी भी बार पीना हो तो हमें नीचे बैठकर एक हाथ मुख के आगे रखकर, 3 नवकार मन्त्र गिनकर पानी पीना है. जयणा के लिए मुख के आगे हाथ रखते हैं, ताकि बोलते वक्त थूक बाहर न गिरे. पानी पीने के बाद रुमाल से गिलास को साफ़ करके Side में रखकर, हाथ जोड़कर एक नवकार मन्त्र गिनना. ये प्रक्रिया के बाद उस जगह पर से उठना है. ये जितनी बार पानी पीयेंगे उतनी बार करना होगा. 

ये बिलकुल भी भूलना नहीं है इसलिए Repeat किया है.

सूर्यास्त के बाद पानी का भी त्याग हो जायेगा. दिन के समय में पानी अच्छी मात्रा में ले तो बहुत अच्छा रहता है. अगले दिन सूर्योदय के 48 मिनट बाद फिर से Jain Panchang App से नवकारसी का पच्चक्खान लेकर एक हाथ मुख के आगे रखकर 3 नवकार मन्त्र गिनकर अपने Normal Eating Habit में लौट सकते हैं. 

यहाँ पूरा होगा एक आयंबिल!

आयंबिल एक ऐसी तपस्या है जिससे अनेकों के Cancer जैसे रोग भी दूर हो चुके हैं, हो गए हैं और हो भी रहे हैं, इसलिए ये कोई सामान्य तपस्या नहीं है. यदि हमारे आस पास जैन संघ हो, तो आयंबिल खाता भी होने की पूरी संभावना रहेगी, वहां पर भी जाकर आयंबिल कर सकते हैं.

इतनी Limited Items में आयंबिल कैसे करना ये प्रश्न भी हम में से कई लोगों के मन में उठ रहा होगा?

एक बार कोशिश कर सकते हैं. यदि हम में से किसी ने भी आयंबिल नहीं किया हो, और ये Article पढने के बाद पहली बार अगर आयंबिल करने जा रहे हैं तो Please कोई भी Tension मत लीजिएगा कि ‘मुझसे गलती हो गई तो?’ एक दो बार गलती हो तो भी चलेगा, हो भी सकती है लेकिन 2-4 बार Try करेंगे तो सब कुछ Easily समझ में आ जाएगा.

अपना आयंबिल पूरा होने के बाद Review अथवा Feedback Comments में ज़रूर दीजियेगा. इसके अलावा कोई भी सवाल हो तो Comments में लिख सकते हैं, हम कोशिश करेंगे कि सब सवालों के जवाब दिए जाए. 

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