22वे तीर्थंकर श्री नेमिनाथ भगवान का अद्भुत स्तवन
“परमातम पूरणकला”
परमातम पूरणकला, पूरणगुण हो पूरण जन आश,
पूरण दृष्टी निहालिए, चित्त धरीयेहो अमची अरदास..
परमातम पूरणकला…
सर्व देश घाती सहु, अघाती हो करी घात दयाल,
वास कीयो शिवमंदिरे, मोहे विसरी हो भमतो जगजाल..
परमातम पूरणकला… (1)
जगततारक पदवी लही, तार्या सही हो अपराधी अपार,
तात कहो मोहे तारता, किम किनी हो ईण अवसर वार..
परमातम पूरणकला… (2)
मोह महामद छाकथी, हुं छकिओ हो नहि शुद्धि लगार,
उचित सही ईणे अवसरे, सेवकनी हो करवी संभाल..
परमातम पूरणकला… (3)
मोह गये जो तारशो, तिण वेला हो किहां तुम उपगार,
सुखवेला साजन घणां, दुःखवेला हो विरला संसार..
परमातम पूरणकला… (4)
पण तुम दरिशन जोगथी, थयो ह्रदये हो अनुभव प्रकाश,
अनुभव अभ्यासी करे, दुःखदायी हो सहु कर्मविनाश..
परमातम पूरणकला… (5)
कर्म कलंक निवारीने, निजरूपे हो रहे रमता राम,
लहत अपूरवभावथी, ईण रीते हो तुम पद विशराम..
परमातम पूरणकला… (6)
त्रिकरण योगे विनवुं, सुखदायी हो शिवादेवीना नंद,
चिदानंद मनमें सदा,
तुमे आवो (x3) हो प्रभु नाणदिणंद..
परमातम पूरणकला… (7)
लेखक: परम पूज्य चिदानंद विजयजी महाराज साहेब
गायिका: फोरम प्रशम शाह
इस स्तवन का अर्थ समझने के लिए यह Video देख सकते हैं.