शत्रुंजय तीर्थ पर घटी अद्भुत घटना.
जानने के लिए बने रहिए इस Article के अंत तक.
यह घटना मूल जुना डीसा और हाल सूरत निवासी 46 वर्षीय परिणा किरीट भाई शाह की है जिनके दोनों पैरों में तकलीफ है जिस कारण से वे सिर्फ एक तरह के Special Shoes पहनकर ही चल सकते हैं.
उनकी Needs को ध्यान में रखकर यह Special Shoes बनवाए गए हैं. Compulsorily उन्हें ये पहनने ही पड़ते हैं. तकलीफ ज्यादा होने से उन्हें हर 5 मिनट चलने के बाद 10 मिनट आराम करना पड़ता है.
परिणा बहन के मन में एक इच्छा थी कि उन्हें भी एक बार बिना डोली की मदद के खुद से चढ़कर शत्रुंजय तीर्थ की यात्रा करनी है.
जानकारी के लिए बता दें कि शत्रुंजय गिरिराज में जय तलेटी से लेकर रामपोल-नंदिवर्धन प्रासाद जिनालय यानी श्री आदिनाथ भगवान के Main जिनालय तक लगभग 3,500 Steps हैं.
11th Jan 2025 के दिन यह अद्भुत घटना घटी. उनके बड़े भाई ने उनसे पूछा कि ‘क्या आपको खुद से चढ़कर यात्रा करनी है?‘ परिणा बहन की तो जैसे मन की बात उनके भाई ने बोल दी.
उन्होंने हाँ तो कहा लेकिन वो Confused थे क्योंकि थोडा चलने पर ही उन्हें 10 Minute बैठना पड़ता था तो इतनी लंबी यात्रा कैसे Possible हो पाएगी? लेकिन परिणा बहन के भाई ने उन्हें कहा कि एक बार Try तो करें, अगर नहीं हो पाया तो डोली तो है ही.
परिणा बहन ने खुद से चढ़कर यात्रा करने का संकल्प किया और आदिनाथ दादा से प्रार्थना की. अगले दिन यानी 11th Jan को सुबह लगभग 6.30 बजे, परिणा बहन जय तलेटी पहुंचे और दर्शन-चैत्यवंदन आदि करके यात्रा की शुरुआत की.
ऐसा कहा जाता है कि जिन लोगों के पास किसी एक Sense की या Ability की कमी होती है, उनके पास अन्य लोगों से कई गुना ज्यादा Strong Will Power होता है और Unique Abilities भी होती है और ऐसा ही कुछ परिणा बहन के साथ भी हुआ.
धीरे धीरे चढ़ते हुए वे बाबु के देरासर तक पहुंचे. उनके पैरों में और Shoulders में काफी तकलीफ हो गई थी लेकिन मन एकदम Strong था. बाबु के देरासर में उन्हें आगे बढ़ने की Possibility कम लगने लगी.
तब उन्होंने आदिनाथ भगवान से सच्चे दिल से भावपूर्वक प्रार्थना की ‘हे आदिनाथ प्रभु! कुछ भी करके आज मुझे खुद से चढ़कर ही आपके दर्शन के लिए आना है. आप मेरे साथ देना.’
बस, इसके बाद तो परिणा बहन को उनके अंदर एक अदृश्य और Special शक्ति का एहसास हुआ और वे चढ़ने लगे. हर Step के साथ उनकी ख़ुशी और आनंद बढ़ता गया और उन्हें चढ़ने में मजा भी आने लगा.
No Doubt, Physical Problem के कारण परिणा बहन का Stamina कम हुआ और Speed भी कम हुई लेकिन आदिनाथ भगवान से मिलने की इच्छा बढती ही गई. ‘जय जय श्री आदिनाथ’ बोलते बोलते चढ़ते हुए पूरे 7 घंटे बाद लगभग दोपहर 1.30 बजे, उनकी यात्रा पूर्ण हुई और वे दादा के दरबार में पहुंचे.
उनके Face पर तब जो Happiness, जो आनंद था, उसे शायद हम Words में Express नहीं कर सकते हैं. ऊपर पहुंचकर सेवा पूजा आदि करने के बाद परिणा बहन 20-25 Minutes दादा के सामने बैठे और उन्हें ऐसा लगा कि ‘How Did She Do It?’ ‘उनसे ये कैसे हो पाया?’
तब उन्होंने खुद को समाधान दिया कि ये तो मैंने नहीं किया बल्कि आदिनाथ प्रभु की कृपा से हुआ है.
It Was Truly Miraculous.
परिणा बहन को ऐसा लगा कि मानो आदिनाथ परमात्मा स्वयं उनका हाथ थामे उन्हें यात्रा करा रहे हों.
उन्होंने जो कमाल किया था, It is Truly Commendable. यह घटना हम सभी के लिए एक अद्भुत Inspiration है. शक्ति होने के बावजूद भो जो खुद से चढ़कर यात्रा नहीं करते हैं उनके लिए भी यह घटना एक Message देती है.
हम में से कई लोग आलस के कारण घर से मंदिर बहुत नज़दीक होते हुए भी गाडी में चाबी डालते हैं और फटाक से मंदिर पहुँच जाते हैं लेकिन परिणा बहन ने उनकी Physical Limitations होते हुए भी हार नहीं मानी और गिरिराज की यात्रा 7 घंटे की मेहनत के बाद पूर्ण करके दिखाई.
ऐसा Will power हमें भी प्राप्त हो यही आदिनाथ प्रभु से प्रार्थना.