Mischievous Girl To Monk
कहते हैं आत्मा में रहा एक छोटा सा गुण भी व्यक्ति को आत्मा से महात्मा और महात्मा से परमात्मा बना सकता है. आज हम एक ऐसे मुमुक्षु के बारे में जानेंगे जिनके एक गुण ने, जिनकी एक Quality ने उनकी पूरी जिंदगी बदल दी और उन्हें आत्मकल्याण के अद्भुत मार्ग से जोड़ दिया.
Don’t judge a book by it’s cover ! – ऐसा क्यों कहते हैं?
इस Article के अंत तक हमें समझ में आ जाएगा.
शिवानी नहीं तूफ़ानी
कर्णाटका के हुबली शहर में सुरेश भाई सालेचा नामक एक सुश्रावक और सुशीला नामक सुश्राविका रहते हैं जिनकी सुपुत्री का नाम शिवानी सालेचा है. हुबली से पहले सुरेश भाई की Family, Karnataka के HB Halli शहर में रहती थी. टोपीवाली के नाम से शिवानीजी पहचानी जाती थी.
शिवानी बहन बचपन से बहुत ही शरारती, तूफ़ानी और जिंदादिल लड़की थीं. लड़कों की तरह घूमना, सीटी बजाकर काम करना, लड़कों के साथ गोटी खेलना, गिल्ली डंडा खेलना, सड़क पर गाड़ियों के काँच तोडकर आना, Cycle के Tire Puncture करना आदि उनके लिए आम बातें थी.
उन्होंने एक साल में School ले जानेवाले 17 Auto Rickshaw बदले क्योंकि हर ऑटोवाला इनकी मस्ती से परेशान हो जाता था. मंदिर और परमात्मा से, धर्म क्रियाओं से शिवानी बहन का जैसे कोई नाता ही नहीं था. पर्युषण में भी वे कंदमूल सेवन, रात्रि भोजन आदि करते थे.
जब उनके भाई-बहन पर्युषण के दौरान होनेवाले Programs में Participate करते थे तब शिवानी बहन उन्हें रोकती थी और कहती थी कि ‘अगर Gift के लिए ये सब कर रहे हो, तो मुझे पता है कि माँ कहाँ से Gifts लाती है, हम Directly उन्हीं से मंगवा लेंगे.’ और इसी तरह मस्ती मजाक में उनका बचपन गुजरा.
सुरेश भाई Business के कारण हुबली Shift हुए और Shift होने के बाद भी शिवानी बहन की मस्तीभरी जिंदगी में कोई खास बदलाव नहीं आया, बल्कि मस्ती और भी ज्यादा बढ़ गई. Branded Clothes, I Phone, Branded Wallets, Branded चीजों की शौक़ीन शिवानी बहन के लिए दोस्तों के साथ घूमना, मोज-मस्ती करना यह सब एक Routine बन चुका था.
शिवानी बहन खाने पीने की भी बहुत शौक़ीन थी. उन्होंने एक उपवास से ऊपर कभी कोई तप नहीं किया था. Street Food और Hotel के खाने का उन्हें इस कदर शौक था कि हुबली का ऐसा कोई Hotel नहीं होगा, जहाँ पर शिवानी बहन नहीं गई हों और इस कारण से लगभग हर गली में लोग उन्हें जानते थे.
College में भी Final BBA Year में इन्हें 5 Awards मिले, इनमें से एक Award था-Most Naughtiest Girl Of The Year. Naughty थे लेकिन Topper भी थे और साथ में Brave भी. Karate में Brown Belt थे.
मस्ती के पीछे करुणा
एक बार शिवानी बहन के पिताजी यानी सुरेश भाई ने उन्हें बताया कि ‘बेटा देखो, अगर हम एक हाथ से किसी की कोई मदद करें या किसी को कुछ दान करें तो हमारे दुसरे हाथ को मालुम नहीं पड़ना चाहिए.’ यानी कि अच्छे कार्यों का ढिंढोरा नहीं पीठना चाहिए-Publicity नहीं करनी चाहिए.
बस, यह बात शिवानी बहन के दिल में बैठ गई और उनके दिल में करुणा, दया-Kindness का यह जो गुण है उसका बीजारोपण हुआ. उसके कुछ समय के बाद शिवानी बहन हररोज College से घर देर से आने लगी उनके मस्तीभरे स्वभाव के कारण उनके घरवालों को उन पर Doubt होने लगा लेकिन यहाँ पर बात कुछ और ही थी.
शिवानी बहन के मन में करुणा के बीज ने वृक्ष का रूप ले लिया था. वे College के बाद लोगों की मदद के कार्य में जुट गई थी और उनके परिवार को उनके इन सभी कार्यों के बारे में भनक भी नहीं थी. आइए जानते हैं शिवानी बहन के द्वारा किए गए कुछ अद्भुत कार्य.
1. शिवानीजी ने 17 Prostitutes को छुडाकर उनको सदाचार के रास्ते पर लाया, उनका जीवन परिवर्तित कर दिया.
2. कुछ School के बच्चे Drugs के Addict बन चुके थे. शिवानी बहन ने यह सब देखा और उन बच्चों का उनके घर तक पीछा किया. उनके माता-पिता को सब कुछ बताया, बच्चों को Rehabilitation Center यानी नशामुक्ति केंद्र में भर्ती करवाकर Addiction से दूर किया और उनका जीवन बर्बाद होने से बचाया.
उन सभी बच्चों का Admission Hostel में भी करवाया और उन्हें अच्छी Education दिलवाई और आज वे सभी बच्चे पढाई में Number One हैं.
3. शिवानी बहन हररोज College के बाद अनाथ आश्रम जाते थे, वहाँ के बच्चों की जरुरत का सामान लेकर जाते थे और बच्चों को Dance, Craft आदि सिखाते थे. शिवानी बहन को उनसे बहुत लगाव हो गया था. एक बार उस अनाथ आश्रम को Government से Order आया कि Government अब उनकी कोई भी जिम्मेदारी नहीं लेगा.
ऐसी Difficult Situation में शिवानी बहन ने Classes लेना आदि Start किया जिससे कुछ Income Generate हुई और फिर उन्होंने अनाथ आश्रम के बच्चों को कर्णाटका के मंड्या शहर में Shift किया और आगे के 10 साल के लिए हर तरह की व्यवस्था उन्हें करके दी ताकि उन बच्चों को पैसे या अन्य किसी भी चीज़ के लिए Tension ना हो.
Approximate 550 बच्चों के जीवन में सुगंध फैलाने का एक अनोखा कार्य कर दिया. जी हाँ, 550 बच्चे.
4. हुबली के Footpath पर रहते 15 लोगों को अपने खर्च से Govt Office में जाकर घर Register कराकर दिया. उन्होंने लगभग 41 लोगों की आँखों का Operation करवाया और 12 लोगों के Heart की Surgery भी करवाई.
5. शिवानी बहन से रोड पर घूमनेवाले भिखारियों की हालत देखकर रहा नहीं जाता था, उन्हें Fruits आदि खरीदकर देती थी. जब भी कोई भूखे भिखारी को देखती थी तो Food Parcel Pack कराकर, किसी Unknown व्यक्ति के द्वारा भेज दिया करती थी.
6. एक बार शिवानी बहन के College के पास एक लड़की का Accident हो गया था. College का हर व्यक्ति वहां पर उपस्थित था लेकिन किसी ने भी उस लड़की की मदद नहीं की. उस लड़की की हालत बहुत ज्यादा ख़राब हो चुकी थी, शरीर के एक अंग का हिस्सा बाहर लटक रहा था, सभी College वालों को अपने Blazers की चिंता थी लेकिन शिवानी बहन को उस लड़की के जान की परवाह थी.
शिवानीजी अपने दोनों हाथों से उस लड़की को उठाकर, Rickshaw में बैठी और उस लड़की का लटकता घायल शरीर का अंग अपनी गोद में लिया, हॉस्पिटल पहुंचकर Admit कराकर उसके माता-पिता को फ़ोन करके सब जानकारी दी और उनके आते ही, चुपचाप शिवानीजी दूसरे दरवाज़े से निकल गई. बाहर जाकर खून आदि को धोकर चुपचाप अपने घर पर चली गई, जैसे कुछ हुआ ही नहीं.
7. जब वे दिक्षार्थी के रूप में Training ले रहे थे तब भी सुबह विहार में Footpath पर रहे बच्चों के पास कुछ खाना खरीदकर चुपचाप रखकर आते थे. विहार में आते हर एक Charity Home में हजारों रुपयें लिखाकर आ जाते थे, जिसमें उनका नाम कहीं पर भी नहीं आता था.
लेकिन शिवानी बहन के इन सभी कार्यों के बारे में उनके परिवारवालों को कुछ भी पता नहीं था. सब कुछ बाद में पता चला. कैसे? तो वो हम कुछ देर में जानेंगे.
Turning Point
परमात्मा का करुणा गुण तो उनमें कूटकूट कर भरा था लेकिन शिवानी बहन को Directly ऐसे परमात्मा से बिलकुल भी Attachment नहीं था. उनके मासीजी ने दीक्षा ली थी और इस कारण से उनके घर में यह नियम था कि अगर खाना चाहिए तो मंदिर जाना ही पड़ेगा और इसलिए घरवालों के Force के कारण वे कभी-कभार मंदिर जाकर परमात्मा के दर्शन करते थे बस.
एक बार हुबली में पूज्य प्रेम-भुवनभानुसूरीजी समुदाय के प.पू. साध्वीजी भगवंत श्री संवेगरत्नाश्रीजी महाराज साहेब का चातुर्मास चल रहा था. उस दौरान शिवानी बहन का महाराज साहेबजी से संपर्क हुआ और उनके जीवन का यह Turning Point बना. उन्होंने सोचा कि मेरे जीवन में सब मौज शौक है लेकिन सुकून कहीं पर भी नहीं है.
इसके बाद शिवानी बहन का गुरु के साथ-साथ परमात्मा से भी Connection हुआ और उनके चारित्र मोहनिय कर्म टूटने से उनके मन में वैराग्य का भाव आया. परिवार से सहर्ष अनुमति मिलने के बाद उनकी दीक्षा परम पूज्य आचार्य भगवंत श्रीमद् विजय जयसुंदर सूरीश्वरजी महाराज साहेब के हाथों से हुई और परम पूज्य साध्वीजी भगवंत श्री विरतीरत्नाश्रीजी महाराज साहेब की शिष्या के रूप में शिवानी बहन से वे बने प.पू. साध्वीजी भगवंत श्री विरतीस्वानुभूतिश्रीजी महाराज साहेब.
परिवार के सामने खुलासा
तो आश्चर्य की बात यह है कि शिवानी बहन के घरवालों को उनके द्वारा किए गए इन अच्छे कार्यों के बारे में उनकी दीक्षा से लगभग एक महीने पहले ही पता चला जब शिवानी बहन के पिता सुरेश भाई को Hospital से Phone आया कि ‘आपकी बेटी ने इस-इस तरह से एक लड़की की जान बचाई थी.’
घर पर Hospital के कुछ Papers मिलने के बाद भी उनके परिवारवालों को यकीन नहीं हुआ कि इतनी मस्तीभरी Life जीनेवाली हमारी तूफानी लड़की शिवानी यह सब भी कुछ कर सकती है.
दरअसल शिवानी बहन अपने इन कार्यों में एक मित्र की मदद लेती थी और उस मित्र के द्वारा यह सभी बातें परिवार को पता चली और फिर परिवारवालों को इन बातों पर विश्वास हुआ. वैसे शिवानी बहन ने अपने इस मित्र को यह सब बातें किसी से भी कहने से Strictly मना किया था लेकिन दीक्षा के कुछ समय पहले उस मित्र ने यह सभी बातें सभी को बता दी ताकि पता तो चले कि कौन व्यक्ति दीक्षा ले रहा है.
अपने पिताजी द्वारा दी गई सीख को शिवानी बहन ने जीवन में पूरी तरह से उतार लिया था.
दीक्षा के बाद का जीवन
वर्त्तमान में प.पू. विरतीस्वानुभूतिश्रीजी म.सा. की दीक्षा को 3 वर्ष पूर्ण हो चुके हैं. कुछ समय पहले पू. साध्वीजी भगवंत की 16वी वर्धमान तप की ओली चल रही थी. साथ में रहे हुए एक साध्वीजी भगवंत को Spine का Operation हुआ था, तब पू. विरतीस्वानुभूतिश्रीजी म.सा. ओली के दौरान Reliance Hospital, Mumbai के 19th Floor में भी साधुत्व के सभी आचार का पालन करते हुए 4 दिन रहे थे और उनकी अद्भुत सेवा-भक्ति भी की थी.
सहवर्ती महात्मा के Hospital से Discharge होने के बाद उस ओली के शिखर पर यह साध्वीजी भगवंत ने अट्ठम किया यानी Non-Stop 3 उपवास किए. लोच करवाया. और फिर आगे अट्ठम से अट्ठाई यानी 8 उपवास और फिर 36 उपवास और इस तरह आगे बढ़ते बढ़ते 52 उपवास चलते फिरते पूर्ण किए. जिसमें इन्होने Operation वाले महात्मा की सेवा सभी 52 दिन की है.
उन सहवर्ती ग्लान महात्मा को Spine का Operation होने से थोडा भी झुकना नहीं था तो उनका पडिलेहन आदि सब सेवा-उत्साह, उमंग और बिना किसी भी प्रकार के आलस से यह साध्वीजी भगवंत करते थे. साथ ही साथ हर रोज़ 8 घंटे स्वाध्याय (8 घंटे पढ़ाई), 50 पक्की माला गिनना, खुद गोचरी जाते थे-इतने उपवास में खुद गोचरी जाना-सोचिए और गुरूजी की भी सेवा करते थे, पूरे दिन बिना किसी Support के बैठते थे.
45 उपवास के बाद श्री संघ में जब सभी को जानकारी मिली कि पूज्य साध्वीजी भगवंत को ऐसी तपस्या चल रही है तब कुछ बहनें उपाश्रय में आकर स्वाध्याय करते हुए यही तपस्वी साध्वीजी भगवंत को पूछ लेते थे कि तपस्वी साध्वीजी भगवंत कौन है? तब यह तपस्वी साध्वीजी हंसकर गुरु महाराज की ओर इशारा कर देते थे.
इतने अच्छे और सहज ढंग से तपस्या करनेवाले इन साध्वीजी भगवंत को अंतर्मन से वंदन करते हैं, जिन्होंने 36वें उपवास में और 50वें उपवास में अपने पैरों से चलकर नवजीवन से पायधुनी के श्री गोडीजी पार्श्वनाथ परमात्मा की जात्रा की थी.
एक उपवास में हमारी क्या हालत हो जाती है और दूसरी तरफ इतने उपवास में सेवा, भक्ति, आचार आदि में कोई भी Compromise नहीं. है ना आश्चर्य. यह कोई चमत्कार से कम नहीं है. इनके तप का दीपक- हमेशा इनके जीवन में प्रकाश फैलाता रहे यही परमपिता परमात्मा से प्रार्थना.
जिनशासन ऐसे एक से एक साधु-साध्वीजी भगवंतों से भरा पड़ा है, ऐसे गुरु भगवंतों को हम अंतर्मन से वंदन करते हैं.