नवकार महामंत्र से हुआ चमत्कार!

Miraculous Incident Of Navkar Mantra!

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By Jain Media 49 Views 9 Min Read

नवकार महामंत्र में अनंत शक्ति है. ऐसे ही नवकार मंत्र को मंत्राधिराज यानी मंत्रों का भी मंत्र नहीं कहा गया है. नवकार मंत्र का अद्भुत प्रभाव सिर्फ Human Beings ही नहीं, बल्कि एकेंद्रिय से लेकर पंचेंद्रिय तक हर जीव महसूस कर सकता है! नवकार महामंत्र के आलौकिक प्रभाव की एक सत्य घटना आइए जानते हैं.

इस घटना की जानकारी हमें प.पू. पंन्यास प्रवर श्री निर्मोहसुंदरविजयजी महाराज साहेब द्वारा लिखित धर्म प्रेमी संदेश Magazine द्वारा प्राप्त हुई है.

घटना के बारे में जानने के लिए बने रहिए इस Article के अंत तक. 

साल 2023 में सरस्वती लब्धप्रसाद प.पू. आचार्य भगवंत श्रीमद् विजय रत्नसुंदरसुरिश्वरजी महाराज साहेब के शिष्यरत्न प.पू. पंन्यास प्रवर श्री धैर्यसुंदरविजयजी महाराज साहेब, प.पू. पंन्यास प्रवर श्री निर्मोहसुंदरविजयजी महाराज साहेब एवं प.पू. साध्वीजी भगवंत श्री धैर्यनिधिश्रीजी महाराज साहेब का चातुर्मास मुंबई के घाटकोपर संघ में श्री चिंतामणि पार्श्वनाथ भगवान की छत्रछाया में था. 

चातुर्मास के दौरान एक दिन साध्वीजी भगवंत के पास घाटकोपर संघ के एक श्राविका बहन नीतुजी आए और उन्होंने साध्वीजी भगवंत के पास एक कार्य का प्रायश्चित लेने की बात कही. प्रायश्चित यानी कि Confession. उस समय साध्वीजी भगवंत ने उन बहन को प्रायश्चित लेने के लिए पू. धैर्यसुंदरविजयजी महाराज साहेब के पास भेजा. नीतु बहन पूज्यश्री के पास गए और प्रायश्चित लेने के पीछे क्या घटना बनी वह बताया. जानकारी के लिए बता दें कि सामान्य तौर पर चाहते या ना चाहते हुए भी कोई पाप का कार्य हुआ हो तो गुरु भगवंतों के पास प्रायश्चित लिया जाता है.

हुआ यह था कि नीतु बहन के घर की Gallery यानी Balcony के हिस्से में मधुमक्खियों ने एक बड़ा छत्ता बना लिया था यानी Honey Bees ने Honeycomb बना लिया था. नीतु बहन एवं उनके घर के सदस्यों का उस Gallery में रोज का आना जाना रहता था और छत्ते के कारण उनका Daily का काम भी अटक रहा था, इसलिए वे उस छत्ते को वहां से हटवाना चाहते थे और इसलिए उन्होंने उन मधुमक्खियों को वहां से मार भगाने के लिए Professional आदमियों की Booking कर ली थी. 

मधुमक्खियों के मारे जाने का जो पाप नीतु बहन के घर में होनेवाला था उस पाप का प्रायश्चित लेने वे साध्वीजी भगवंत के पास गए थे. नीतु बहन ने पूज्यश्री से कहा कि ‘हमारा Daily का काम अटकने की वजह से अब हम इस पाप को करने से पीछे नहीं हट सकते, इसलिए इस भविष्यकालीन पाप का जो भी प्रायश्चित आता हो वह आप मुझे दे दीजिए साहेबजी.’ 

पूज्यश्री नीतु बहन द्वारा बताए गए किस्से को सुनकर सोच में पड़ गए लेकिन देव-गुरु-धर्म की असीम कृपा एवं स्वयं की अनुभूति के माध्यम से गुरु भगवंत ने नीतु बहन से कहा कि ‘बहन. आप थोड़ा धैर्य रखिए. आपने जिन लोगों को छत्ता हटवाने के लिए बुलाया है, उन्हें अभी आप मना कर दीजिए. जो पाप अभी तक हुआ ही नहीं है, उसका Advance में प्रायश्चित किस बात का? हम कुछ ऐसा करते हैं कि आपको मधुमक्खियों को मारने का पाप ही ना करना पड़े.’

गुरु भगवंत ने कुछ सोचकर नीतु बहन से कहा कि ‘आप कल से प्रतिदिन शाम को सूर्यास्त यानी Sunset के तुरंत बाद संध्याकाल यानी Dusk के समय में  108 नवकार महामंत्र का जाप कीजिए. ऐसा सिर्फ 21 दिन के लिए आपको करना है. मुझे भरोसा है कि चमत्कार होगा, परंतु नवकार गिनने से पहले आपको उन मधुमक्खियों के पास नम्रता से प्रार्थना करनी होगी कि ‘हे मधुमक्खियों. आपकी उपस्तिथि यानी Presence के कारण हमारा काम अटक रहा है. हम पर कृपा करके आप अन्य स्थान पर अपना घर बना लीजिए, हमारी इतनी सी विनंती को आप स्वीकार कीजिए.’

Technically देखें तो इसे संकल्प करना कहते हैं और संकल्प में बहुत शक्ति होती है. नीतु बहन ने पूर्ण समर्पण एवं विश्वास के साथ पूज्यश्री की बात को स्वीकार किया और मधुमक्खियों को मार भगाने के लिए बुलाए गए लोगों को मना कर दिया. अगले ही दिन से नीतु बहन ने भावपूर्वक जैसे जैसे गुरु भगवंत ने कहा था वैसे वैसे नवकार महामंत्र का जाप करना और मधुमक्खियों को नम्र प्रार्थना करना शुरू कर दिया. 

नवकार महामंत्र के प्रति प.पू. पंन्यास प्रवर श्री धैर्यसुंदरविजयजी म.सा. की अद्भुत आस्था एवं प्रकृष्ट साधना से एक चमत्कारिक घटना यहाँ घटित हो गई. जाप शुरू करने के 11वे दिन नीतु बहन ने उपाश्रय में आकर अत्यंत प्रसन्नता के साथ सभी को आश्चर्यचकित कर दे एवं नवकार महामंत्र के प्रभाव के आगे नतमस्तक कर दे, ऐसी बात गुरु भगवंत को बताई. 

नीतू बहन ने कहा कि ‘महाराज साहेब. 21 दिन का इंतेजार ही नहीं करना पड़ा. आपके द्वारा बताए गए इस उपाय से 10 दिन में ही चमत्कार हो गया! हमारी Gallery से मधुमक्खियाँ चली गई हैं! इतना ही नहीं, मधुमक्खियाँ अपना छत्ता भी साथ में लेकर चली गई हैं!’

जी हाँ. मधुमक्खियाँ तो गई ही, साथ में अपना छत्ता भी लेकर गई! आप तस्वीरों में हक़ीक़त देख सकते हैं. 

मधुमक्खियाँ चली जाए, यह भी एक बड़ा चमत्कार था, उसमें भी अपना छत्ता लेकर चली जाए, वह चमत्कार का शिखर और शिखर पर ध्वजारोहण जैसा था. क्या आज भी हमारे मंत्र में इतनी शक्ति है कि संपूर्ण जीव सृष्टि उनकी आज्ञा मानने के लिए बाध्य हो जाए? सिर्फ मंत्र की ही बात नहीं है, हमारी मैत्री यानी Companionship में भी इतनी अपूर्व-अद्भुत और असीम शक्ति है कि दुश्मन भी पिघल जाए.     

नीतू बहन के मन में Time की Punctuality, संकल्प पर श्रद्धा और प्रार्थना का बल इतना मजबूत था कि संकल्प के 21 दिन के दौरान नीतू बहन एक दिन Movie देखने Theatre गए थे और वहां उन्हें जैसे ही पता चला कि सूर्यास्त यानी Sunset का समय हो गया है तो उन्होंने वहां पर ही आंखें बंद करके तुरंत नवकार मंत्र गिनना शुरू कर दिया था. अर्थात् संकल्प सिर्फ मन में होना काफी नहीं, क्रिया में भी उन्होंने कोई कमी नहीं रखी जिसका परिणाम उन्हें मिला.

आज के नास्तिकता एवं पुण्य की कमी से भरे युग में ऐसी घटनाएँ कहाँ देखने को मिल पाती है? श्रद्धा का ही जहाँ अकाल हो ऐसे युग में हम आज जी रहे हैं, तब ऐसी घटना हमारी श्रद्धा के लिए संजीवनी बनकर आती है और हमारी निष्प्राण साधना में जान फूंक देती है. हमारे लाश जैसे मन में उल्लास भर देती है. 

धन्य हैं वे गुरु भगवंत जिन्होंने श्राविका बहन को मधुमक्खियों की हत्या के महापाप से बचा लिया. धन्य हैं वे साध्वीजी भगवंत जिन्होंने श्राविका बहन को सही मंजिल तक पहुंचाया और धन्य हैं वे श्राविका बहन जिन्होंने गुरु आज्ञा को पूर्ण समर्पण एवं विश्वास के साथ Accept किया और अपने जीवन में एक अद्भुत चमत्कारिक घटना का सर्जन किया.  

अब कभी भी हमारे मंत्र या मैत्री के बारे में किसी को उंगली उठाने का मन हो तब इस घटना को आप उनके साथ Share कर सकते हैं. वैसे इनकी श्रद्धा तो नवकार मंत्र पर दृढ़ थी पर हमारा क्या? ख़ुद से पूछ सकते हैं!

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