विहार में उपधान – एक अनोखे उपधान की अद्भुत कहानी

Updhan Tap in Vihar - Akshat Porwal's Inspiring Story!

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By Jain Media 247 Views 13 Min Read
Highlights
  • उपधान तप यानी 47 Days तक एक जैन साधु की तरह जीवन जीना जिसके दौरान उपवास, नीवी जैसे तप करने होते हैं और रोजाना विविध क्रियाएँ करनी होती है.
  • अक्षत भाई के मन में एक संकल्प था कि वे अपने गुरु की निश्रा में ही उपधान तप करेंगे और अपने गुरु के हाथों से ही मोक्षमाला पहनेंगे.
  • अक्षत भाई को विहार में उपधान तप करने का Idea आया और उन्होंने सोचा कि ऐसा करने से उन्हें कुछ नया करने का भी अनुभव मिलेगा और गुरु की निश्रा में उपधान तप भी हो जाएगा

विहार में उपधान तप!

जी हाँ, सही सुना आपने. उपधान तप का आयोजन गुरु भगवंत की निश्रा में किसी एक जगह पर कराया जाता है लेकिन आज हम एक अनोखे उपधान तप के बारे में जानेंगे जो कि विहार के दौरान हो रहा है. 

पूरी जानकारी के लिए बने रहिए इस Article के अंत तक. 

उपधान तप यानी क्या?

उपधान तप यानी 47 Days तक एक जैन साधु की तरह जीवन जीना जिसके दौरान एक दिन नीवी और दूसरे दिन उपवास इस तरह 47 Days तक करना होता है, नीवी यानी एक प्रकार का एकाशना समझ लीजिए यानी दिन में सिर्फ एक ही बार भोजन करना, लेकिन नीवी में कुछ और नियम होते हैं जैसे कि Fruits और Vegetables का भी त्याग होता है आदि. 

साथ ही रोज़ 100 खमासमण और 100 लोगस्स सूत्र के काउसग्ग करने होते हैं. पड़ीलेहण-प्रतिक्रमण जैसी क्रियाएँ Daily करनी होती है. Normally कई आराधक एक साथ गुरु भगवंत की निश्रा में कोई बड़े तीर्थ क्षेत्र में या उपाश्रय आदि में यह उपधान तप करते हैं. 

विहार में उपधान का Idea

लेकिन यह उपधान तप विहार के दौरान करने का भाव राजस्थान में दयालपुरा और हाल बागलकोट, कर्णाटका निवासी सुश्रावक गिरीश भाई पोरवाल और उनकी धर्मपत्नी रिंकू बहन के सुपुत्र अक्षत भाई पोरवाल के मन में आया. लेकिन आखिर 18 वर्ष की उम्र में अक्षत भाई के मन में यह Unique भाव आया कहाँ से? 

अक्षत भाई के परिवार में उन्हें बचपन से ही धार्मिक माहौल मिला था. साल 2012 में अक्षत भाई के दादाजी बाबुलालजी सरेमलजी पोरवाल और दादीजी फुलवंतीबाई बाबुलालजी पोरवाल ने वर्षीतप किया था और बागलकोट में सामूहिक वर्षीतप पारणे का आयोजन किया गया था. 

उस प्रसंग में निश्रा प्रदान करने के लिए परम पूज्य आचार्य भगवंत श्रीमद् विजय हीरचंद्रसूरिश्वरजी महाराज साहेब जो उस समय पंन्यास पद पर थे, वे पधारे थे. पूज्यश्री से प्रथम बार मिलने पर उन्होंने एक अलग आकर्षण का अनुभव किया था.

उस समय अक्षत भाई 6 साल के थे और उनके बड़े भाई मोक्ष 8 साल के थे और तब वे पुज्यश्री के साथ विहार में गए थे और विहार के दौरान सूत्र भी याद किए थे. विहार के दौरान थक जाने पर वे परम पूज्य मुनिराज श्री निर्मोहचंद्र विजयजी महाराज साहेब कि जो पूज्य आचार्य श्री के सांसारिक पिताजी हैं उनकी Wheelchair पर आगे बैठ जाते थे और बालपने के अद्भुत दृश्य का सृजन होता था.

कुछ साल पहले श्री प्रेम-भुवनभानुसूरीजी समुदाय के परम पूज्य आचार्य भगवंत श्रीमद् विजय हीरचंद्रसूरिश्वरजी महाराज साहेब को अक्षत भाई ने अपने गुरु के रूप में स्थापित किया था. अक्षत भाई ने Youtube, Instagram आदि के माध्यम से अपने कई Cousins और Friends को उपधान तप पूर्णकर मोक्षमाला पहनते हुए देखा और तब उनके मन में भी उपधान तप करने का भाव आया. 

लेकिन अक्षत भाई के मन में एक संकल्प था कि वे अपने गुरु की निश्रा में ही उपधान तप करेंगे और अपने गुरु के हाथों से ही मोक्षमाला पहनेंगे. साल 2022 में पूज्य आचार्य भगवंत श्री हीरचंद्रसूरिश्वरजी म.सा. की निश्रा में अचलगढ़ तीर्थ में उपधान तप का आयोजन हुआ. तब अक्षत भाई ने इस उपधान तप का Form भर दिया और सोचा कि वे भी इस उपधान तप में जुड़ेंगे और उनका गुरु निश्रा में उपधान करने का संकल्प भी पूर्ण हो जाएगा. 

लेकिन उस समय नियति को शायद कुछ और ही मंज़ूर था. उपधान तप के समय में ही अक्षत भाई के 10th Standard के Board Exams थे जिसकी वजह से वे उपधान तप में नहीं जा पाए लेकिन उनके मन में रहा संकल्प दृढ़ रहा और वे नहीं गए.

साल 2023 में दिवाली के छुट्टियों के दौरान अक्षत भाई अहमदाबाद में परम पूज्य आचार्य भगवंत श्री हीरचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. के प्रथम शिष्य परम पूज्य पंन्यास प्रवर श्री विमलपुण्यविजयजी महाराज साहेब के पास गए और वहां गुरु भगवंत की प्रेरणा से उन्होंने 10 दिन तक पौषध किया. (पौषध यानी एक दिन तक साधु की तरह जीवन जीना.) 

इस तरह से 10 दिन तक पौषध किया और अक्षत भाई ने दिवाली पर छट्ठ तप की आराधना भी की. (छट्ठ यानी 2 उपवास एक साथ.) पूज्य पंन्यास प्रवर ने अक्षत भाई को उनके संकल्प में और दृढ़ता प्रदान की.

इस साल यानी 2024 में अक्षत भाई के 12th की Exams पूर्ण होने के बाद उन्होंने सोचा कि ‘मुझे आगे Further Studies करनी है, जिसमें उपधान तप करने जितना Long Gap मुझे नहीं मिलेगा इसलिए 12th के Vacations के Gap के दौरान ही उपधान करने से अच्छा Chance नहीं मिलेगा.’       

अक्षत भाई ने अपने परिवारवालों से बात की कि उन्हें 12th के Vacation के दौरान ही उपधान तप करना है. परिवारवालों ने उन्हें पूछा ‘पूज्य आचार्य श्री हीरचंद्रसूरीजी म.सा. की निश्रा में कहीं पर उपधान तप का आयोजन हो रहा है क्या?’ तब अक्षत भाई ने बताया कि उपधान का आयोजन तो कहीं नहीं हो रहा है लेकिन उनको उनके गुरु म.सा. के पास रहकर ही उपधान तप करना है.

परिवारवालों ने कहा कि ‘पूज्यश्री तो विहार में हैं, तो क्या विहार के दौरान उपधान तप करोगे?’ अक्षत भाई को विहार में उपधान तप करने का Idea पसंद आ गया और उन्होंने सोचा कि ऐसा करने से कुछ नया करने का भी उन्हें अनुभव मिलेगा लेकिन प्रश्न यह था कि विहार में उपधान की व्यवस्था कैसे हो पाएगी और इससे भी बड़ा प्रश्न यह था कि क्या पूज्यश्री विहार में उपधान करने की आज्ञा देंगे?

उपधान का मुहूर्त प्रदान

यह सोचकर अक्षत भाई और उनका परिवार पूज्य आचार्यश्री से मिलने बीजापुर गए. जब आचार्य श्री को यह बात पता चली कि अक्षत भाई विहार के दौरान उपधान तप करना चाहते हैं तो पहले तो आचार्य श्री को भी Shock लगा लेकिन अक्षत भाई के मन का उल्लास और उनका दृढ़ संकल्प आचार्यश्री ने पहचान लिया और उन्हें अनुमति दे दी और साथ ही परिवारवालों ने भी अक्षत भाई को उपधान करने के लिए अनुमति दी.  

पूज्य आचार्य श्री विहार करते हुए बागलकोट पधारे. उस समय अक्षत भाई Medical Entrance Exam यानी NEET की Exams दे रहे थे और तारीख 5th May 2024 को उनकी Exams Finish होनेवाली थी. पूज्यश्री ने अक्षत भाई को 10th May 2024 यानी अक्षय तृतीया पर उपधान तप में प्रवेश करने का मुहूर्त और मोक्षमाला का मुहूर्त प्रदान किया. 

Exams Finish होते ही अक्षत भाई भी पूज्यश्री के पास चले गए. अक्षय तृतीया यानी 10 May के दिन विजयनगर के HB Halli में अक्षत भाई ने उल्लासपूर्वक उपधान तप में प्रवेश किया. पूज्य आचार्य श्री ने अक्षत भाई को प्रेरणा की थी कि वे हर क्रिया प्रमाद का त्याग करके खड़े खड़े ही करें. 

सत्व की परीक्षा 

प्रथम 2 दिनों में जब अक्षत भाई ने देखा कि उपधान में इतनी क्रियाएँ करनी पड़ती हैं और उन्होंने कभी घर पर इतना सब कुछ एक साथ किया नहीं था इसलिए तीसरे ही दिन उन्हें बुखार आ गया लेकिन गुरु भगवंत की हर आज्ञा का पालन उन्होंने किया. ऐसे करते हुए 4-5 दिन बीत गए. 

असली परीक्षा तो विहार के दौरान शुरू होनेवाली थी. अक्षत भाई को शुरू में लगा था कि उन्होंने पहले कई बार गुरु भगवंतों के विहार में भाग लिया है तो विहार बहुत Easily हो जाएगा लेकिन HB Halli से पहला विहार शाम के समय 8 KM का था. विहार के अंत में उन्हें थोड़ी मुश्किल हुई और जब स्थान पर पहुंचे तब अक्षत भाई को अपने पैरों में कुछ अजीब महसूस हुआ. 

उन्होंने एक साधु भगवंत को बताया तो साधु भगवंत ने देखा कि अक्षत भाई के पैर में Water Retention यानी पानी भर गया था क्योंकि वे कभी भी नंगे पैर इतना नहीं चले थे. आगे और विहार करना था इसलिए उनके पैर में से पानी निकाला गया. उस समय अक्षत भाई के मन Doubt आया कि क्या उनसे यह उपधान तप हो पाएगा? 

लेकिन देव गुरु कृपा से उनका मनोबल बढ़ा और उन्हें विश्वास हो गया कि उपधान पूर्ण हो जाएगा. इतना ही नहीं, एक और कठिन परीक्षा अक्षत भाई की हुई. एक दिन सुबह 13 KM का विहार था और उस दिन उन्हें उपवास भी था. 

अक्षत भाई की वजह से अगले दिन सभी महात्माओं को लंबा विहार ना करना पड़े इसलिए उन्होंने गुरु भगवंत से कहा कि अगर शाम को भी विहार करना है तो उन्हें कोई दिक्कत नहीं है और उस दिन शाम को 15 KM का विहार किया और विहार के बाद भी सभी क्रियाएँ खड़े खड़े ही की, वो भी उत्साह और उल्लास के साथ. 

विहार में नीवी और स्वाध्याय

कितना भी विहार हो अक्षत भाई विहार के बाद 100 खमासमण, 100 लोगस्स के काउसग्ग, ऋषिमंडल स्तोत्र आदि कर पुरिमुुड्ड का पच्चक्खान पूर्ण उल्लास और उत्साह के साथ करते हैं. अगले दिन सुबह 8 KM का विहार किया और स्थान पर पहुँचने के बाद नीवी की. नीवी में भी 25-30 Items से नहीं, Limited Items से ही की वो भी संयोजना का त्याग करते हुए नीवी की. 

संयोजना मतलब जैसे हम दाल और चावल मिलाकर खाते हैं, रोटी सब्जी के साथ Mix करके खाते हैं, उसे संयोजना कहते हैं और उसका त्याग यानी दाल अलग से और चावल अलग से खाना यानी Mix किए बिना खाना, रोटी अलग, सब्जी अलग. 

नीवी में संयोजना का त्याग करने की प्रेरणा अक्षत भाई को पूज्य आचार्य श्री की वांचनाओं द्वारा मिली जिसमें एक बार पूज्यश्री ने बताया था कि उनके मुनि मंडल में प.पू. मुनिराज श्री मेघरथविजयजी म.सा. हैं जिन्होंने उनकी दीक्षा के समय से कई सालों तक संयोजना के त्याग का नियम लिया था.  इस तरह से अक्षत भाई विहार के दौरान उपधान तप की आराधना कर रहे थे. 

अक्षत भाई ने विहार और उपधान की अन्य क्रियाएँ जैसे दिन के 100 खमासमण और 100 लोगस्स सूत्र के काउसग्ग के साथ ही उपधान के प्रथम 18 दिनों में 2 प्रतिक्रमण के सूत्र विधि सहित सीखे और उपधान तप की पूर्ण विधि भी सीखी. अक्षत भाई के मन यह संकल्प भी है कि वे उपधान तप पूर्ण होने तक पंच प्रतिक्रमण सीख लें. 

अक्षत भाई की मोक्षमाला

विहार-क्रिया और स्वाध्याय के त्रिवेणी संगम के साथ अक्षत भाई अपनी उपधान तप की साधना में आगे बढ़ रहे हैं और HB Halli यानी जहाँ पर उनका उपधान तप में प्रवेश हुआ था वहां से Bengaluru यानी Approximately 350 KMs का विहार अक्षत भाई गुरु भगवंत के साथ करके Bengaluru आएँगे जहाँ Akkipet श्री संघ में तारीख 28 June 2024 के दिन वे प.पू. आचार्य भगवंत श्री हीरचंद्रसूरिश्वरजी म.सा. के हाथों से मोक्षमाला पहनेंगे

28th June को उनका सपना पूरा होगा.

धन्य हैं अक्षत भाई के पिता गिरीश भाई और माता रिंकू बहन जिन्होंने अक्षत भाई को गुरु भगवंतों के साथ रहने की और विहार में उपधान तप करने की अनुमति दी. पूज्य गुरु भगवंतों का विहार Safely हो और अक्षत भाई का उपधान सुख शाता पूर्वक पूर्ण हो यही परमात्मा से प्रार्थना.

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