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स्त्री और पुरुष के अंदर Physical Capacity, Mind Capacity और Feelings यह तीनों के आधार पर पूरे World में या भारत में क्या – क्या Difference है, उसका Research हमने किया।
Google और Chat GPT के आधार पर Information प्राप्त की। उसमें थोड़ा ऊपर-नीचे जरूर होगा, फिर भी लगभग हम सत्य के नजदीक पहुंच सकते हैं।
1. प्रधानमंत्री बनने के लिए Physical Capacity अधिक चाहिए, ऐसा नहीं है। वहां तो अपने देश के हित के लिए बुद्धि से सोचकर Decisions लेने होते हैं। महत्व की बात यह है कि पूरे विश्व में पुरुषों की संख्या 4 अरब 16 करोड़ है और स्त्रियों की संख्या 4 अरब 8 करोड़ है।
यानी लगभग 50 – 50% है। फिर भी देखें तो कुल 193 Countries पूरे विश्व में है, उसमें से 183 Countries में पुरुष ही PM है। सिर्फ 10 Countries में ही स्त्री PM है। उसमें भी America, Russia, China, India, France, Britain ऐसे बड़े – बड़े देश में तो पुरुष ही हैं।
2. भारत के अंदर CM कुल 30 है, उसमें स्त्री CM सिर्फ 2 है, पुरुष CM 28 है। ऐसा क्यों? वह आप सोचिए। यहां पर भी Physical Capacity की तो जरूरत नहीं है।
अरे, भारत की आजादी को आज 79 साल हो चुके हैं। लगभग 20 के आसपास PM हो चुके हैं, उसमें से इंदिरा गाँधीजी एक ही स्त्री PM बने। बाकि पुरुष PM ही बने। ऐसा क्यों?
3. Court में Judge बनने के लिए बुद्धि – पढ़ाई की ही जरूरत होती है और पढ़ाई के मामले में तो अक्सर स्त्रियां आगे दिखने में आती है। फिर भी भारत के High Court में Judge स्त्रियां 106 है और Judge पुरुष 1016 है। यानी स्त्री Judge 10% ही है, 90% तो पुरुष Judge है।
ऐसा क्यों? Supreme Court में देखा जाए तो स्त्री Judge सिर्फ 01 है, पुरुष Judge 33 है। यानी कि स्त्री Judge, Supreme Court में सिर्फ 3% है, पुरुष Judge 97% है। ऐसा क्यों?
4. Advocate की संख्या देखें तो स्त्री Lawyers 2 लाख 84 हजार 500 है और पुरुष Lawyers 15 लाख 73 हजार 100 है। यानी कि पुरुष Lawyers, स्त्री Lawyers की Compare में लगभग 5 गुना ज्यादा है।
ऐसा क्यों? उसमें भी अगर Supreme Court के Lawyers की संख्या देखें तो वहां पर Senior स्त्री Lawyers सिर्फ 31 है और Senior पुरुष Lawyers 684 है यानी कि Supreme Court के Senior पुरुष Lawyers, Supreme Court के Senior स्त्री Lawyers की Compare में 22 गुना अधिक है।
सीधा हिसाब यह है कि भारत के कुल Advocates में 20% स्त्री Advocates है और 80% पुरुष Advocates है और Supreme Court के Senior Advocates में स्त्री Advocate लगभग 4% ही है, पुरुष Advocate 96% है।
ऐसा क्यों? यहां पर Physical Capacity की तो इतनी जरूरत नहीं है। फिर भी इतना Difference क्यों दिख रहा है?
5. भारत में National Stock Exchange के अनुसार 2 हजार Listed Companies है। उसमें से भी 500 Companies Fortune India में आती है।
बाकी की 1500 Companies का हिसाब देखें तो उसमें से 75 Companies में स्त्री MD या CFO है, बाकी की 1425 Companies में पुरुष MD या CFO है। यानी कि पुरुष MD, CFO स्त्री MD, CFO से 19 गुना अधिक है। यानी कि स्त्री MD 5% है, पुरुष MD 95% है।
और हां, Fortune India की 500 Companies में देखें तो 8 कंपनियों में स्त्री MD है, बाकी की 492 कंपनियों में पुरुष MD है। यानी कि यह बड़ी कंपनियों में तो पुरुष MD, स्त्री MD के Compare में 61 गुना अधिक है, यानी की स्त्री MD 2% भी नहीं है।
ऐसा क्यों? MD या CFO बनने के लिए Physical Capacity की क्या इतनी जरूरत है? Mind Capacity की जरूरत है तो भी इतना भारी Difference क्यों आ रहा है?
6. भारत में IAS अधिकारी कुल 5542 है, उसमें से स्त्री IAS 1164 है, पुरुष IAS 4378 है। यानी कि पुरुष, स्त्री के Compare में लगभग 04 गुना ज्यादा है। यानी कि स्त्री IAS 31% है, पुरुष IAS 79% है। ऐसा क्यों? यह Post भी पढ़ाई के आधार पर ही तो मिलती है।
7. GST भरनेवाले जितने भी व्यापारी है, उसमें 2 करोड़ 12 लाख 80 हजार स्त्रियां है और 12 करोड़ 97 लाख 60 हजार पुरुष है। यानी कि पुरुष व्यापारी, स्त्री व्यापारी के Compare में लगभग 6 गुना अधिक है। यानी कि पुरुष व्यापारी लगभग 86% है और स्त्री व्यापारी 14% है।
8. भारत में Job करनेवाली स्त्रियां 5 करोड़ 64 लाख है, पुरुष 10 करोड़ 66 लाख है। यानी कि पुरुष, स्त्री की Compare में 02 गुना अधिक है। यानी कि स्त्रियां 33% है, पुरुष 66% है।
यहां पर देखने जैसी बात यह है कि :
- Job में स्त्रियां 33% – पुरुष 66%
- GST Business में स्त्रियां 14% – पुरुष 86%
- Listed Companies में स्त्रियां 5% – पुरुष 95%
- Fortune India में स्त्रियां लगभग 1.7% – पुरुष 98.3%
यानी कि जैसे – जैसे ऊपर ऊपर की Post आती है, वैसे – वैसे पुरुषों की संख्या बढ़ रही है।
9. विश्व में Listed Companies 53800 है, उसमें से 3228 कंपनियों में स्त्री MD है, 50567 में पुरुष MD है। यहां पर पुरुष, स्त्री की Compare में लगभग 16 गुना अधिक है यानी कि स्त्रियां 6% है और पुरुष 94% है।
10. Fortune Global की 500 कंपनियों में 33% कंपनियों में स्त्री MD है, 467 में पुरुष MD है। यहां पर पुरुष, स्त्री के Compare में 15 गुना अधिक है। यहां पर भी स्त्रियां लगभग 6% है और पुरुष लगभग 94%है।
11. भारत में कुल 128600 स्त्री CA है। 296400 पुरुष CA है। यानी कि स्त्री CA लगभग 30% है, पुरुष CA 70% है।
12. भारत में कुल 4 लाख 15 हजार 800 स्त्री Doctor है और 9 लाख 70 हजार 300 पुरुष Doctor है। यानी कि स्त्री Doctor 30% है, पुरुष Doctor 70% है।
13. अगर Specialist Doctor देखे तो, स्त्रियां 63200 है, पुरुष 308600 है। यानी कि स्त्रियां 17% है और पुरुष 83% है।
14. Surgeon Doctor में स्त्रियां 4160 है, पुरुष 27814 है। यानी कि स्त्रियां 12% है और पुरुष 88% है। यह ASI Surgeon Doctor की बात है।
15. College में Professor की संख्या देखें तो स्त्रियां 6 लाख 94 हजार है, पुरुष 9 लाख 4 हजार है (Higher Education Faculty) यानी स्त्रियां 43.4% है और पुरुष 56.6% है।
University में Vice Chancellor की Post पर स्त्रियां है 120, पुरुष है 953। यानी कि स्त्रियां 11% है और पुरुष 89% है।
16. Playgroup + Preschool के Teachers में स्त्री 9 लाख और पुरुष 6 लाख है। स्त्रियां 60% है और पुरुष 40%। 1 से 7 Standard में 30 लख Teachers स्त्रियाँ हैं और 27 लाख पुरुष है यानी कि स्त्रियां 53% और पुरुष 47% है।
8 से 12 Standard के Teachers में स्त्रियां 28 लाख 30 हजार और पुरुष 28 लाख 90 हजार हैं। यहां पर स्त्रियां 49% और पुरुष 51% है।
17. जैन धर्म की बात तो छोड़ो पूरे विश्व में जो भी धर्म है, उसके स्थापक 99% पुरुष ही है। 1% धर्म मुश्किल से ऐसे मिलेंगे कि जिसके स्थापक स्त्री हो।
हिंदू धर्म में राम – शंकर – कृष्ण है, मुस्लिम में मोहम्मद पैगंबर है, Christian में Jesus है, स्वामीनारायण में भी वे खुद हैं, सीख धर्म में गुरु नानकदेव हैं, पारसी धर्म में अहुरा मज़्दा है, बौद्ध धर्म में गौतम बुद्ध है। इसमें Physical Capacity की कोई जरूरत नहीं है।
18. Movie बनानेवालों में यानी कि Directors में स्त्रियां 135, पुरुष 4095 है यानी कि स्त्रियां 3% है पुरुष 97% है। Screen Writers में स्त्रियां 3000, पुरुष 21000 है यानी स्त्रियां 12% और पुरुष 88% है। पूरे विश्व में 25000 स्त्री और 55000 पुरुष है यानी 21% स्त्री और 79% पुरुष है।
18. भारत में किताब लिखनेवालों में स्त्रियां 15 हजार है, पुरुष 45 हजार है यानी स्त्रियां 25% और पुरुष 75% है और Top 1 हजार Books के लेखक देखें तो 200 किताबों के लेखक स्त्रियां हैं, 700 के लेखक पुरुष है यानी 22% स्त्री और 78% पुरुष है।
यह हमने भारत के आधार पर बताया है, विश्व के आधार पर अलग हिसाब हो सकता है।
यह हमने जितने भी Fields देखे, उसमें Physical Capacity की इतनी जरूरत नहीं है। Mind Capacity से ही लगभग काम होता है। फिर भी हर एक Field में पुरुष की संख्या अधिक है, यह दिख रहा है।
अब जिन जिन फील्ड में Physical Capacity की जरूरत पड़ती है, वह Field की बात करें तो :
1. भारत देश में Air Force में 19865 स्त्रियां हैं, 125135 पुरुष है यानी कि स्त्रियां 14% है पुरुष 86% है। Officer स्त्रियां 1660 है, पुरुष 10400 है यानी स्त्रियां 13% है और पुरुष 87% है।
Fighter Pilots में स्त्री 10 है, पुरुष 1690 है यानी कि स्त्रियां 0.5% है और पुरुष 99.5% है।
2. इंडियन आर्मी में स्त्रियां 7000 है, उनका मुख्य काम Medical, Nursing का है। पुरुष 12 लाख 3 हजार है। BSF बीएसएफ में स्त्रियां 11404 है, पुरुष 2 लाख 46600 है।
3. Navy में स्त्री Officer 798 है यानी की 800 है, पुरुष Officer 9379 है यानी स्त्रियां 10% के आसपास है और पुरुष 90% के आसपास है और यह तो Officers की संख्या है, Navy Sailors में तो सिर्फ पुरुष है।
वह करीबन 57000 है और यह Navy – Air Force या Army तीनों जगह पर बड़ी – बड़ी Post पर तो पुरुष ही है।
4. भारत में Car License वाली में स्त्रियां 1 करोड़ 60 लाख है, पुरुष 22 करोड़ है यानी कि स्त्रियां 7% पुरुष 93% है। सिर्फ Two Wheeler License वालों में स्त्रियां 1 करोड 4 लाख और पुरुष 16 करोड़ 50 लाख है यानी कि स्त्रियां 6% है पुरुष 94% है।
5. Heavy Vehicle License वालों में 240000 स्त्रियां और 1 करोड़ 15 लाख 60 हजार पुरुष है यानी कि स्त्रियां 2% है और पुरुष 98% है।
6. International Game कुल 150 से 200 है। उसमें से 6 Game ऐसी है जिसमें अकेली स्त्री और अकेला पुरुष सामने खेलते हैं यानी कि ऐसी Game 3% है और सिर्फ पुरुष या सिर्फ स्त्री खेलें ऐसी गेम 97% है। यह जो 6 गेम है उसमें से 3 गेम में Majority Males जीते हैं।
2 Game में स्त्री – पुरुष की जीत Equal है, 1 Game में भी स्त्री की Majority जीत नहीं है। स्त्री ने Lead की हो, ऐसा 1% भी नहीं है। पुरुष ने Lead की हो ऐसा 57% है। दोनों ने Lead की हो ऐसा 43% है।
सभी बातों का सार यह है कि लगभग तमाम Public Field में पुरुषों की संख्या भी अधिक है, उनकी Post भी मुख्य है।
जहां पर प्रेम आवश्यक है, संवेदनशीलता आवश्यक है, ऐसी Field में जैसे कि Schools में Teachers, Hospitals में Nurse का काम वगैरह वहां पर स्त्री आवश्यक है।
हकीकत यह है कि जो इंसान जिस कार्य में Capable हो वह इंसान उस कार्य को करे तो उसका Growth बहुत अच्छे से होगा। जिसमें उसकी Capacity होती है, उसमे जुड़ने से उसे कम ही लाभ होगा।
PM Border पर रहकर दुश्मनों पर गोलियां नहीं चला सकता, नौजवान देश की रक्षा के Decisions नहीं ले सकते। Police Commissioner CA का काम नहीं कर सकता, CA प्रजा की रक्षा का काम नहीं कर सकता।
स्त्रियों की सबसे अधिक शक्ति है प्रेम देने में। बच्चों को प्रेम देने में, पति को – भाइयों को – सास – ससुरजी को सबको प्रेम देने में स्त्री का मुकाबला दुनिया में कोई नहीं कर सकता।
दुनिया में जितने भी महान लोग हुए उन सबको बचपन में स्त्री ने ही तो संभाला है। स्त्रियां King हो या ना हो King Maker तो 100% बन सकती है। स्त्री के जो अनेक स्वरूप है जैसे की बेटी का स्वरूप, पत्नी का स्वरूप, मां का स्वरूप, बहन का स्वरूप, बहू का स्वरूप, सास का स्वरूप, दादी – नानी का स्वरुप, वह हर एक स्वरूप में स्त्रियों ने क्या – क्या काम किए हैं, समाज को – देश को – धर्म को क्या दिया है? वह सब बताने के लिए 500 Articles भी कम पड़ जाए।
नादान लोग उल्टी – सीधी बातें करके स्त्रियों को भड़काने का काम करते हैं। लेकिन समझदार स्त्रियां ऐसी बेवजूद बातों में न फंसे, ऐसा नम्र निवेदन है। आप दो बातों को ध्यान में लें :
1. जैन धर्म में स्त्रियों का अपमान तनिक भी नहीं है। पूरा का पूरा सम्मान दिया जाता है। जैन धर्म में स्त्रियों का Disrespect बिल्कुल भी नहीं है, उनको व्यवस्थित Respect दिया जाता है।
2. स्त्रियां जिन कार्यों में Capable – योग्य है, जिन कार्यों में स्त्रियों की सुरक्षा है, वह कार्य की उनको अनुमति दी जाती है। जिस कार्य में उनकी सुरक्षा को Problem हो, उस कार्य में मना किया जाता है।
छोटा बच्चा ऐसा कहे कि ‘मम्मी तू चाकू पकडती है, सब्जी सुधारती है, तो मुझे भी करने दे।’ तो वह क्या उचित है? 10 साल का बच्चा पापा को कहे कि ‘आप Car चलाते हो तो मुझे भी चलाने दो।’
तो क्या वह उचित है? वह लड़का ऐसा ही मानता है कि ‘मैं योग्य हूं’ लेकिन माँ – बाप समझदार है। वह बच्चों के भले के लिए उसे मना करते हैं।
वैसे ही स्त्रियां अनेक कार्यों के लिए ऐसा कहे कि ‘हमको भी यह काम करने दीजिए।’
वहां पर उनको भले ऐसा लगे कि वह उस कार्य के लिए योग्य है, लेकिन प्रभु को – गुरु भगवंत को – वडिलों को अगर ऐसा लगे कि ‘नहीं, यह बराबर नहीं है।’ तो उसमें स्त्रियों की सुरक्षा का ही भाव है – वात्सल्य ही है। Disrespect की बात ही नहीं है।
यह मत भूलो कि करोड़ों हिंदू लोग सीता की पूजा करते हैं, उन्हें माता कहते हैं, भगवान राम के साथ उनको भी स्थापित करते हैं। करोड़ों शिव भक्त क्या पार्वतीजी को पूजनीय – वंदनीय नहीं मानते? करोड़ों कृष्ण भक्त लोग कृष्ण के पीछे पागल राधा को पूजनीय – वंदनीय मानते ही है ना?
आप सब यह Positive चीज भी देखें और पूरे विश्व में लगभग तमाम Fields में स्त्री – पुरुषों की संख्या देखें। उसमें भी Top Post पर अधिकतर कौन है? वह देखें।
America, China, Russia, Japan, Britain, France, Germany ऐसे विकसित देशों का भी स्त्री – पुरुषों का Ratio देखें।
आपको ख्याल आएगा ही कि पुरुषों की प्रधानता तो है ही और गर्व के साथ इतना भी कह सकते हैं कि हिंदुस्तान ने – जैन धर्म ने नारी को जितना सम्मान दिया है वह शायद दूसरे लोगों में कम देखने को मिलेगा।
इसमें बहुत सारी विचारणा का अवकाश है। लेकिन अभी इतना पर्याप्त है। सब शांत मन से सोचें, ऐसी नम्र विनती है।


