Confusion : पारणे में क्या खाना चाहिए? आयंबिल की ओली हो या उपवासों की लम्बी तपस्या हो, पारणा कैसे करना चाहिए?
Solution जानने के लिए बने रहिए इस Article के अंत तक. इस Confusion का Solution हमें मिला परम पूज्य पंन्यास श्री निर्मोहसुंदर विजयजी महाराज साहेब द्वारा लिखित धर्मप्रेमी संदेश मैगज़ीन में से.
मान लो किसी ने 30 उपवास किए, अब यह तपस्या पूर्ण करने के बाद 31st Day जो वह व्यक्ति खाता है, वापरता है उसे पारणा करना कहते हैं. ये बहुत ही Important Topic इसलिए है क्योंकि अगर इस Confusion का उचित Solution नहीं किया जाए तो तपस्वियों के प्राणों का भी Risk हो सकता है. इस विषय की गंभीरता कितनी है वह समझने के लिए पहले कुछ प्रसंग जानेंगे.
कुछ साल पहले हैदराबाद की एक जैन बेटी की, दीर्घ उपवास के पारणे के बाद मौत हो गई थी. तपस्या अच्छे से की लेकिन पारणा कैसे करना, वह जानकारी जब नहीं होती तब कई तपस्वी बाद में बीमार पड़ जाते हैं, कुछ Hospital में Admit होते हैं. कई बड़े तपस्वी भविष्य में तप नहीं कर पाए ऐसी भी हालत हो जाती है और सारा ठीकरा फूटता है तपस्या पर, तप धर्म पर! बदमान होते हैं तपस्या, तप धर्म, प्रभु का शासन एवं तीर्थंकर परमात्मा.
गाड़ी का जब Accident होता है तब कोई ये नहीं कहता कि गाड़ी की गलती है या गाडी के Manufacturer की गलती है, या गाड़ी की Company जिसने बने उसकी गलती है बल्कि ये कहा जाता है कि गाडी चलाने वाले ने ठीक से गाड़ी नहीं चलाई, उसने गलती की इसलिए Accident हुआ, उसने Precautions नहीं लिए, Safety नहीं रखी इसलिए Accident हुआ है.
लेकिन पता नहीं क्यों तपस्या के मामले में लोग तपस्वी द्वारा तपस्या के दौरान या पारणा में हुई गड़बड़ पर ध्यान नहीं देते और सीधा – सीधा धर्म को बदनाम करने की कोशिश करते हैं. कई साल पहले, सूरत शहर में, एक बहन ने बहुत बड़ी तपश्चर्या की और पारणे के अंदर किसी परिवारजन ने उस बहन को मुंग के पानी में कच्चा घी डालकर दे दिया था.
रिश्तेदार ने सोचा होगा कि, बहन की कमजोरी दूर हो जायेगी. बहन को जल्दी से शक्तिशाली बनाने की सोच कितनी खतरनाक बन गई, हम सोच भी नही सकते. कुछ समाज में सभी चीज़ों में ऊपर से घी डालने का रिवाज है और कई सारे लोग मुंग – मुंग के पानी इत्यादि में ऊपर से कच्चा घी डाल देते हैं.
कई लोगों की सोच ऐसी है कि, यदि इस प्रकार घी डालकर खाया – पीया जाए तो पेट जल्दी से साफ हो जाता है, लेकिन उन लोगों को पता नहीं है कि, पेट के बजाय कई बार इंसान ही साफ हो जाता है. दस्त यानी Loose motions लग जाते हैं तो शक्ति आने के बजाय और ज्यादा कमजोरी आ जाती है.
कच्चा घी हजम करने के लिए पेट के पास वैसे भी शक्ति कम होती है, उसमें भी पारणे में तो क्या कहें. पारणे में तो पेट छोटे बच्चे जैसा बन जाता है. गाढा घी पेट में जाते ही वह तपस्वी बहन हालत पतली हो गई और वो मरने की कगार पर पहुँच गई. तुरंत सूरत में रही महावीर Hospital में उन्हें भर्ती किया गया.
पूज्य भुवनभानु सूरीश्वरजी महाराज साहेब को जब यह समाचार मिले तब पूज्यश्री उस बहन को जहाँ रखा गया था, वहाँ डण्डा, कामली लेकर पहुँच गये. पूज्यश्री ने वहाँ देखा कि बहन को Glucose की बोतल चढ़ाई गई है, तो पूज्यश्री ने Doctor को फटकारा, डांटा.
“इतनी बड़ी तपश्चर्या में वैसे भी होजरी (पेट की स्थिति) ठण्डी होती है, उसे गर्म करने की जरूरत होती है, बजाय उसके आपने उसे Glucose की बोतल चढ़ा दी है जिससे और ज्यादा ठण्डा हो जायेगा. Body को ऐसी Situation में ठण्डा करने पर वो Dead Body बन जायेगी”
Doctor ने कहा ‘हमारी Theory में तो हमें यही सिखाया गया है. हमें पता नहीं है कि तपस्या के पारणे में क्या Treatment देते हैं?’ Doctors को इतना ही पता था कि कमजोरी लगे तो Glucose की बोतल चढ़ा देनी चाहिए, लेकिन Doctors को यह नहीं पता है कि रोग से आयी कमजोरी और तप से आई कमजोरी में जमीन – आसमान का अंतर होता है.
दोनों की Treatment भी अलग – अलग होती है. दोनों कमजोरी को Recovery भी अलग – अलग तरीके से, अलग – अलग समय पर होती है. आखिर, Doctors ने पूज्य श्री को कह दिया कि ‘हम इस Patient को आपको सौंपते है, आप जैसा भी चाहे उसे खाना – पीना करवा सकते हो, लेकिन फिर इस बहन के जीवन – मृत्यु की जिम्मेदारी आपकी रहेगी.’
इतनी जोखिम भरी स्थिति में पूज्य श्री ने जिम्मेदारी स्वीकार कर ली और पारणे में जो देने लायक चीजें थी, वो देने की सूचना दी, एवं Strictly Follow करने की आज्ञा उनके निकट के परिजनों को दी. Glucose की बोतलें हटाई और सौंठ – पीपरामूल – देशी गुड़ की उकाली शुरू करवाई.
चमत्कार मानों तो चमत्कार, पूज्य श्री के दिशा निर्देश के अनुसार सब कुछ Follow करने पर वो श्राविका बहन मृत्यु के मुख से वापिस लौटे. वैसे भी Doctors ने भरोसा छोड़ ही दिया था. बहन का BP इतना Low हो गया था कि Pulse हाथों में ही नहीं आ रही थी.
बात सिर्फ इतनी सी है कि, तप छोटा हो या बड़ा, यदि गड़बड़ करेंगे तो छोटा या बड़ा नुकसान अवश्य झेलना पड़ सकता है. गुरुदेव श्री ने उस वक्त तो एक तपस्वी बहन को बचा कर धर्म की निंदा की परिस्थिति को पूरी तरह से मोड़ दिया था.
कुछ समय पहले गुजरात के ही एक शहर में एक तपस्वी को बचा नहीं पाये थे. एक तपस्वी ने 56 उपवास किए थे, तब किसी रिश्तेदार के फोर्स से या शायद अपनी इच्छा से, जो भी हो लेकिन पारणे में Cold Drink पी ली थी. वो तपस्वी शांत हो गये. तप के पारणे में Thumbs Up या Coca Cola पीने वाले/पिलाने वाले को हम क्या कहें?
इतनी भी यदि हम में Common Sense ना हो तो हमें पारणा करवाने से कम से कम 10 – 20 KM दूर रहना चाहिए. एक दो दिन की छोटी मोटी तपस्या में ध्यान तो रखना ही चाहिए लेकिन अगर थोडा बहुत ध्यान नहीं भी रखो तो बड़ा नुकसान नहीं होता है लेकिन 3 उपवास एवं 3 से उपर, अट्ठाई यानी 8 दिन उपवास, 16 उपवास, 30 उपवास (मासक्षमण), सिद्धि तप, इस तरह से बड़े बड़े तप, बड़ी बड़ी ओलियाँ आदि में पारणे का बहुत ध्यान रखना होता है.
इसलिए आपकी कोई बड़ी तपस्या हो, या फिर आपके परिवारजन में किसी की तपस्या हो आपके किसी रिश्तेदार या मित्रजन में किसी की बड़ी तपस्या हो तो उन सभी के लिए यह Article है. अब इस Confusion की Seriousness सब समझ गए होंगे तो अब हम देखते हैं Solution.
तो चलो शुरू करते है पारणे में क्या लेना, क्या नहीं लेना उसका A to Z Formula.
ABCD of पारणा.
A – Apple etc Fruits – Avoid
Apple, Orange, Guava, Banana, सीताफल, Chicco, Grapes, Pomegranate, Pineapple इत्यादि फलों को पारणे में छोड़ना चाहिए. फल पाचन में सरल होते हैं, लेकिन फलों की प्रकृति ठण्डी होने के कारण फल पेट को, शरीर को ठण्डा करते हैं. फलों से पारणा बिगड़ने की संभावना है. पेट की क्षमता बढ़ाने के लिए गर्म चीजें, गर्म पदार्थ सौंठ – पीपरामूल इत्यादि लेना अच्छा रहेगा.
B – Besan Items, Basi Items – Avoid
Bread, Sandwich वैसे भी अभक्ष्य चीज हैं. एक दिन पहले की रोटी, चावल इत्यादि भी पारणे में खतरनाक है, वैसे तो सब ताजी चीज़ें ही खाते है, इसलिए कहने की जरूरत नहीं है पर बासी चीज वो है, जिसमें पानी का अंश हो और जिस पदार्थ में रात बीत गई हो. बेसन की सेव, गाँठिये, बेसन की सब्जी या बेसन से बनी Items पारणे में नहीं खानी चाहिए. Loose Motions हो सकते हैं.
C – Curd, Cold Items And Harmful Chemicals – Avoid
दही और दही का अंश जिसमें आता हो, ऐसी चीजें पारणे में नहीं लेनी चाहिए. ठण्डी चीजों से भी वायु हो सकता है और जिसमें अलग – अलग हानिकारक Chemicals आते हो, ऐसी चीजें छोड़नी चाहिए. Cold Drinks तो वैसे भी अभक्षय है, Poison है, वो कैसे पी सकते हैं? ठण्डा दूध नहीं लेना चाहिए. खट्टा दही नहीं खाना चाहिए. दही की छाछ भी नहीं पीनी चाहिए.
D – Dead Items – Avoid
Dead यानि मरी हुई चीजें. चावल सुबह बनाए हो तो दोपहर में नहीं लेने चाहिए क्योंकि 4 – 6 घण्टे के बाद चावल Dead होने लगते है. सुबह 10 बजे बने चावल की खिचड़ी शाम 6 बजे खाने पर Gas हो सकता है और पारणा बिगड़ सकता है. जो चीज उतर गई हो, जिसमें से प्राण तत्व चला गया है, उसे हो सके तो Avoid कीजिए. आपका पेट Dumping Yard नहीं है, कि कैसा भी कचरा डाल दें.
E – Eat Less And Be Fit
अच्छा, Digest हो वैसा, आपके Body को Comfortable हो ऐसा भोजन भी यदि ज्यादा खाते हैं तो हालत ख़राब हो सकती है. अधिक कुछ भी हो, वह तपस्वी के लिए अच्छा नहीं है, ज़हर साबित हो सकता है. पारणे में जो हल्की – फुल्की चीजें है, वो ले सकते है, लेकिन रुचि हो तब तक ही.
अच्छी Health के 2 Best Formulas है.
1. भूख ना लगें तब तक खाना नहीं चाहिए.
2. जितनी भूख है, उतना पूरा भी खाना नहीं चाहिए.
कुलमिलकर कम खाना है.
F – Fried Items, Fermented Food Products and Items Containing Food Colour – Avoid
तली हुई मुंगफली, तली हुई बेसन की चीजें स्वाद के चक्कर में खा लेनेवाला पेट के रोगों को सामने से Invitation देता है ऐसा कह सकते हैं. Fermented खमीरवाली चीजें यानि खमन, इडली, डोसा जैसी चीजें, या तो एक दम कम अथवा नहीं खायेंगे तो पारणा अच्छा रहेगा.
कई सारे सामूहिक पारणों में रसोईए महाराज Food Colour का इस्तेमाल करते हैं, जो आगे जाकर सेहत को नुकसान पहुँचाता है. Food Poison भी हो सकता है. तप में पेट बिल्कुल खाली हो जाता है, पारणे में First Intake जो करते हो, वो बहुत ही मायने रखता है. इसलिए तली हुई + खमीरवाली Fermented चीजें + Food Colour वाली चीजें छोड़नी चाहिए.
G – Gas And Gap Management
पारणे में अक्सर वायु के Problem की शिकायत अधिकांश तपस्वियों को रहती है, क्योंकि खाली पेट में जब अन्न प्रवेश करता है, तो वायु का उछलना तय है. यदि तपस्वियों को पारणे में अपनी सेहत बिगाड़नी ना हो, तो वायु को उछालने वाले, बढ़ानेवाले द्रव्यों को खास दूर रखें.
कई बार लोगों को यह जानकारी भी नहीं रहती कि पारणे के वक्त नाश्ते में क्या बनाना चाहिए? क्या खाना चाहिए? पोहे बनाते है, तो उसमें मटर भर भरकर डालते है. मटर की प्रकृति ही वायु की है, फिर पेट में वो वायु ना करें तो ही आश्चर्य है.
काबुली चना – मटर, चौला – तुअर की दाल – वाल की सब्जी इत्यादि पारणे में बिल्कुल भी नहीं लेना है. वायु संतुलन अनिवार्य है. मूंग भी यदि कड़क है तो Gas करता है.
G for Gap जरूरी है. जिस व्यक्ति ने लगातार 50/100 जितने आयंबिल किए है, वो आयंबिल में एक Time ही खाता था. एक Time खाने से पेट इसी प्रकार सेट हुआ था और ज्यादा Quantity में आये तो भी हजम हो जाता था. पारणे में तीन Time – चार Time वापरने की छूट हो जाती है लेकिन इंसान अपनी पुरानी आदत छोड़ नहीं पाता है.
एक Time में ही Heavy पारणा करने में भी Risk है, इसलिए दो – तीन Time में लेना ठीक रहेगा, लेकिन Gap रखते हुए. 2 – 3 Time में भी हर बार अधिक मात्रा में नहीं खाना है. हर Time थोड़ा – थोड़ा लेना है, चार – चार घंटे का Gap जरूरी है.
हर एक – एक घंटे में खाना भी उचित नहीं है और पूरे दिन में एक ही Time खाना लेकर पेट में ठूंसना भी उचित नहीं हैं. थोड़े – थोड़े Gap में थोड़ा – थोड़ा डालने से पेट Set हो जायेगा. जो Gas Balance और Gap Maintain कर पाता है वो सेहत बचा पाता है.
H – Heavy Items – Avoid
पारणे में भारी चीजें बिलकुल भी नहीं खानी है. मिठाई – मलाई जैसी Heavy चीजों से पारना बिगड़ता है. ज़्यादातर सामूहिक पारणे में घी का हलवा, मिठाईयों में भी भारी मिठाईयाँ बनती है और तपस्वी खाते भी है.
कई बार कम उम्र होती है, पुण्य होता है, कभी – कभी कोई Problem नहीं भी होती है, हो भी जाए तो भी किसी किसी का शरीर Damage Control कर लेता है, लेकिन सबका शरीर एक जैसा नहीं होता है. यह बहुत बड़ी Risk हो सकती है. कभी – कभी भारी चीजें बहुत ही भारी साबित हो जाती है.
यह Formula अपनाने जैसा है – जितने लम्बे उपवास किए हो, उसके आधे दिन भारी चीजें छोडनी पड़ेगी. 30 उपवास हो तो 15 दिन कोई भी भारी मिठाई खानी नहीं है. हाँ, दूध फाडे हुए पनीर से बनी मिठाई हल्की रहती है, तो वो 1 दिन के बाद ले सकते है लेकिन एक न के बराबर एक दम कम, आवले के Size की जितनी, लेकिन To be on a safer side 3 दिन तक कोई मिठाई ना ही ले तो Best.
लम्बी आयंबिल की ओली के पारणे में भी सबको तीन दिन के Protocol का पालन बताते है, जिसमें मिठाई का त्याग अनिवार्य है. उत्तर पारणा और पारणे में बड़ा अंतर होता है. उत्तर पारणा यानी तपस्या शुरू करने से एक दिन पहले जो खाते हैं वो और पारणे यानी तपस्या के बाद जो खाते है वह.
उत्तर पारणा – उपवास – आयंबिल के पहले किया जाता है, और उसमें शक्ति का संग्रह करना होता है, Energy Collect करनी होती है. पारणा तप के बाद आता है और उसमें शुद्धि को सुरक्षित रखना होता है. तप करने से शरीर में जो शुद्धि हुई है उसे सुरक्षित रखना भी हमारी जिम्मेदारी है.
इसीलिए पूज्य गुरु भगवंत कहते हैं कि तप तो तप है ही लेकिन पारणा ही असली तप है, क्योंकि भूख भयंकर लगी हो, चीज़ें सामने से आए, कोई रोके नहीं, सामने से खिलाए तब मनपसंद चीजें छोड़नी, बड़ा पराक्रम है.
I – Imli Ban
कभी भी पारणे में ईमली का उपयोग नहीं करना चाहिए. मूंग में ईमली डालते है, इडली सांभर में भी कभी – कभी ईमली डाल देते है. ईमली से आरोग्य की भयानक हानि हो सकती है. कोई सामूहिक पारणे में पारणा करना हो तो, ऐसे मुंग – सांभर को छोड़ देना सही है, या पूछकर ही लेना चाहिए कि इसमें ईमली तो नहीं है ना?
J – Juice & Traffic Jam – Avoid
फलों का Juice, फलों से भी ज्यादा Dangerous होता है, खास तौर पर पारणे में. फलों के Juice को पारणे में नहीं लेंगे तो सेहत अच्छी रहेगी. वैसे भी दूध के साथ Juice की दुश्मनी है. सबसे महत्वपूर्ण बात है, Traffic Jam यानि पेट का Traffic Jam.
वो Clear ना हो, तब तक आगे कुछ ना डाले. पेट का जाम होने पर भी जो सुबह – दोपहर – शाम दबा दबाकर खाता है, वह बाद में पछताता है. लम्बी ओलियों के पारणे में रेचक औषधि लेनी जरूरी होती है.
कई बार रेचक औषधि नहीं लेने पर Major Health Issues आ सकते है. रेचक औषधि में गरमाला का गुड़ (हिन्दी भाषी प्रदेशों में इसे अमलतास कहते हैं) सुप्रसिद्ध है, जो दो साल के बच्चों को भी दिया जा सकता है.
गरमाला के गुड़ को कैसे लेना चाहिए? कितनी Quantity में लेना चाहिए? कब लेना चाहिए? वो अलग – अलग लोगों के हिसाब से अलग – अलग हो सकता है, लेकिन एक बात जरूर है, उपवास करने के बाद यदि लेते हो तो पूरा फायदा मिलता है.
आवुर्वेद का सूत्र है (Golden Quote of Ayurveda) जिसका पेट – साफ, उसका सब गुनाहमाफ. गरमाला की पत्तियों को लेने से हमारी आँतों को भी नुकसान नहीं होता, बाकी कुछ भारी रेचक पदार्थ ले लेने से आँतों में मरोड़ उठने की संभावना है. हलके रेचक पदार्थ जिसमें हरड, त्रिफला आदि हलके होते हैं. भारी रेचक Avoid करने चाहिए.
K – Khatta & Kachi Vigai – Avoid
खट्टा छोड़ना है. ईमली के अलावा खट्टा दही, खट्टाई वाली चीजें, खट्टा आम, आमचुर, नींबू के सत (गुजराती में नींबू फूल कहते हैं) यह जिसमें आता हो, वो पारणे में छोड़ना है. खासतौर से दूध के साथ ऐसी खट्टी चीज कभी नहीं लेनी चाहिए.
हल्का – फुल्का नींबू रस यदि पोहे इत्यादि में डाला हो तो ज्यादा नुकसान नहीं है लेकिन अधिक खट्टाई किसी में भी नहीं होनी चाहिए. कच्ची विगई – कच्चा दूध – दही – घी – तेल इत्यादि पारणे में Avoid करना है. गुड़ भी कच्चा नहीं लेना है.
L – Learn From the Past And Learn From Other People.
सब तपस्वी अपने अपने Past Experiences के आधार पर ही एक Diet Plan बना सकते है. आप की प्रकृति को क्या अच्छा रहता है, क्या ख़राब है, वो खुद के Past Experiences से याद कर सकते हैं. आप भूतकाल के प्रसंगों से जान सकते हो.
आपके पास अनुभव ना हो तो आप दूसरों से भी मार्गदर्शन ले सकते है. अच्छे बड़े तपस्वियों से मार्गदर्शन ले सकते हैं, तपस्वी महात्माओं से मार्गदर्शन ले सकते हैं. कुछ भी समझ में ना आए तो आप Helpline No. 9166568636 पर पूछ सकते है.
M – Mirchi – Avoid
मिर्ची कई लोगों को बहुत ही प्यारी होती है, लेकिन पारणे में मिर्ची बहुत ही भारी होती है. हलवाईयों को निर्देश देना खास जरूरी है कि वे पारणे की Items में मिर्ची का प्रयोग एक दम कम करें. कई लोगों को पारणे के बाद गले इत्यादि में छाले हो जाते है.
अधिकांश सामूहिक पारणों में Taste के लिए मिर्ची बिंदास डाली जाती है, हरेक चीजों में. सामान्य भोज अलग होता है और तपस्वियों के पारणे का भोज अलग. पारणे मे मुख्य उद्देश्य तपस्वियों को Tasty खाना खिलाना नहीं होना चाहिए, Healthy खाना खिलाना ही होना चाहिए.
दो – चार लोगों को यदि ज्यादा मिर्ची चाहिए तो वे लोग अपने घर पर खा लेंगे, दो – चार लोगों के चक्कर में सभी की सेहत के साथ खिलवाड़ नहीं कर सकते हैं.
N – Namkeen Avoid.
नमकीन – Fried Items नहीं लेनी है, पहले ही बता दिया गया है लेकिन फिर से बता देते है. समोसा, कचौड़ी, पोहे पर सेव – भुजिया, पकौड़े या रसमवड़ा, आज के जमाने में, पारणे के अंदर यह एकदम Common Menu हो गया है. मेदू वडा इत्यादि तली हुई चीजों में आम आदमी के लिए भी खतरनाक तत्त्व छिपे हुए है, तो तपस्वियों की तो क्या ही बात करें?
O – Oil Ban
आज के तकरीबन सारे तेल Poison है, जहरीले हैं और उसमें भी स्वामिवात्सल्य इत्यादि सामूहिक भोजन समारोह में ज़्यादातर रसोइए के आलस ने सब कुछ बँटाधार कर रखा है. एक सब्जी भी वो सीधी नहीं बनाते है.
टिंडे हो या भिन्डी, वे लोग सब्जियों को पहले तेल में तलते है, फिर अलग से उसमें मसाले डालकर तेल का छोंका लगाकर बनाते हैं जिसके चलते Healthy सब्जियां भी तेल की दोगुनी मात्रा से भरी होती है और Health की दुश्मन बन जाती है. कभी – कभी तो सब्जी निचोड़ने से तेल के Drops गिरते हैं. पारणे में तेल का उपयोग कम से कम करें तो ज्यादा Better होगा.
P – Preservatives Ban
Preservatives – आज बाहरी Food (Junk & Fast Food) में सबसे ज्यादा भारी मात्रा में Use हो रहे है. कई लोग पारणे में अपनी जीभ की आसक्ति को Control नहीं कर पाते और Chocolate, Cadbury इत्यादि अनेक बाजार की चीजें खा लेते है, जो Preservatives से भरे होते हैं.
Preservatives Cancer कारक होते है और पारणे में तो और ज्यादा खतरनाक बन सकते है. ऐसी बेकार चीज़ें खाकर Life को Risk में नहीं डालना चाहिए.
Q – Quantity & Quality Management.
Food की Quantity और Quality दोनों Check करनी ज़रूरी है. Quality तो Best होनी चाहिए लेकिन Quantity अपने अपने शरीर के हिसाब से थोड़ा – थोड़ा Intake करके Set कर सकते हैं. तप के पारणे लम्बे नहीं होते हैं, तप लम्बे समय के करने होते है, तब पारणे के Protocol को Follow करना अनिवार्य हो जाता है, ताकि फिर से तप में चढ़ सके.
जो तपस्वी जल्दी – जल्दी तप में चढ़ने के चक्कर में, पारणे में Quantity और Quality का ध्यान नहीं रखते हैं, उन्हें रोग आ जाने पर Next तप और ज्यादा Delay करना पड़ता है, इसलिए तपस्वियों को नम्र निवेदन है कि आप दो – चार दिन धैर्य रखकर पारणा आराम से कीजिए.
अति लोभ में पारणा भी बिगड़ता है, नए तप के अंतराय भी बनते हैं. Quality Food में दूध – घी जो भी Use करें, गाय इत्यादि का हो तो Best, शुद्ध होना अति जरूरी है. सौंठ इत्यादि भी शुद्ध होनी जरूरी है. हल्दी इत्यादि में अब मिलावट चरम पर है, जो पारणे को बिगाड़ सकती है. आयोजक सावधान! सस्ती चीज़ों के चक्कर में तपस्वी के 12 बज सकते हैं.
R – Restricted Area Avoid (Prohibited)
कुछ VIP लोगों के लिए कुछ स्थानों पर जाने की Strictly पाबंदी होती है. Hotels, Restaurants तपस्वियों के लिए Restricted Area है. वहाँ पर जाने से तपस्वियों की इज्जत दांव पर लगती है. पारणे में वहाँ जाकर खाने से अभक्ष्य भक्षण का तो पाप लगता ही है, बीमारी को भी निमंत्रण मिलता है वह अलग लेकिन धर्म की निंदा का भयानक कारण बन जाता है.
लोगों को बोलने का मौका मिल जाता है कि ओह हो हो बड़ा तपस्वी बन रहा था अब देखो Hotel में पारणा कर रहा है. होटल में पारणा यानी पूरी साधना मिट्टी में मिलाने वाली बात है.
S – Sleeping Time Management
पारना करने के बाद कुछ उचित मात्रा में नींद लेनी भी जरूरी है. रात को सोने के लिए भी आज मार्गदर्शन देना पड़ रहा है. पारणे में रात की नींद नहीं लेनेवाले तपस्वियों के पारणे बिगड़ सकते हैं. नींद भोजन के पाचन के लिए एक जरूरी तत्त्व है.
सीमित मात्रा में नींद लेकर पारणा में लिए द्रव्यों को हजम करना होता है. ज्यादा सोना भी जोखिम मय है, बिल्कुल ही ना सोना भी जोखिम भरा है. पारणे के दिन रात को जगना नहीं है. Mobile को आराम देंगे तो नींद ज़रूर आएगी.
T – Time Bound (रात्रि भोजन त्याग)
तपस्या के बाद तो रात्रि भोजन जीवनभर के लिए ही त्याग देना चाहिए. लेकिन कोई नहीं करता हो तो बता दें तपस्वियों को रात के समय खाना, पारणे के बाद खतरनाक बन सकता है. कम से कम पारणे के तीन – चार दिन तो रात्रि भोजन छोड़ना ही चाहिए, नहीं ही करना चाहिए.
हमारे शरीर का System ही ऐसी है कि रात को खानेवाले को रोग ना हो तो भी पैदा होते है. Healthy Food भी रात्री में Unhealthy बन जाता है. प्रभु ने तो कबका कह दिया था, आज तो Science भी कह रहा है.
U – Useful Items To Be Taken (Ukali etc.,) and Urad Dal Prohibited..
यदि आयंबिल की ओली का पारणा हो तो पारणे में सौंठ – पीपरामूल – घी – गुड़ की उकाली और यदि उपवास का पारणा हो तो सौंठ – पीपरामूल – घी – मिश्री और गाय का दूध की उकाली लेना अच्छा रहेगा. सौंठ पीपरामूल शुद्ध होना चाहिए.
सौंठ – पीपरामूल की उकाली बनाने के लिए उसे अत्यंत कम घी में सेकना होगा, फिर उसमें गुड़ और पानी डालकर (1 से डेढ़ Glass) 400 ml का Glass जितनी Quantity में बनाना होगा. वो यदि पहले पी लिया तो पारणा अच्छा रहेगा.
सबसे पहले कब्ज की दिक्कतवालों को गरमाला का गुड़, फिर 10 मिनट के बाद उकाली और फिर 10 मिनट के बाद पोहे इत्यादि हल्का – फुल्का नाश्ता, दूध पीना हो तो उसमें भी आधा चम्मच पीपरामूल डालकर लेना चाहिए, ये सारे Useful Items है.
उड़द की दाल से बनी इडली – डोसा 2 – 3 दिन छोड़ना चाहिए, नहीं ही लेना है. सूजी से बना ले सकते है. चावल से बनी चीजें ले सकते है लेकिन उड़द की Item तभी लेनी होती है, जब विशेष श्रम हो या दूसरे दिन उपवास हो. आयुर्वेद में भी उड़द दाल को भारी माना है.
V – Virudha Dravya Tyag, Vyasan Tyag.
दूध लेते हो तो मूंग का पानी छोड़ देना चाहिए. मूंग लेना हो तो दूध छोड़ देना चाहिए. अधिकांश तपस्वी मूंग और दूध दोनों ले लेते है, फिर शरीर में गड़बड़ होती है, तब पछताते है, लेकिन उन्हें पता नहीं चलता कि गड़बड़ का कारण क्या था?
कई लोग ऐसे होते हैं जो जीवन में पहली बार तप करते हैं, कई लोग ऐसे होते हैं जिन्होंने पूर्व में व्यसनों का सेवन किया होता है जैसे सिगरेट, दारु, बीड़ी, गुटका आदि ऐसे लोगों को पारणा में या पारणे के बाद जीवनभर के लिए व्यसन अपने जीवन में नहीं लाना है और व्यसनी दोस्तों को भी दूर रखना है.
W – White Poison (Maida, Sugar etc) & Wheat Avoid
मैदे से बनी चीजें पेट में चीपक जाती है. मैदे के Noodles (अधिकांश बाहर की Noodles, सैवेया, मैदे से ही बनती देखी है) अतः छोड़नी चाहिए. (मिश्री) शक्कर में जो धागेवाली शक्कर आती हैं, वो ज्यादा नुकसान नहीं करती है, लेकिन गुजराती में जिसे खांड बोलते है और हिन्दी में जिसे शक्कर बोलते है, वो Chemical Process बनती है इसलिए Dangerous है, सफेद जहर है.
ऊपर से नहीं डालनी चाहिए और भोजन की चीज़ों में भी नहीं डाले तो सबसे Best. कई बार छोटी दानेदार शक्कर आने पर गले में Infection हो जाता है. मैदा – शक्कर – सफेद ज़हर है, अत: इसे छोड़ देना चाहिए. पारणे में दो – तीन दिन गेहूँ भी छोड़ने जैसे हैं. चावल – खीचड़ी चलेगा. ज्यादा ऊपर से नमक और शक्कर नहीं डालनी है वह ध्यान रखना है.
X – X Ray Avoid
पारणे में X Ray ना करवाएं.
Y – Yuva
युवा उम्र में, पारणे में ज्यादा ख्याल नहीं रखा तो भी पता नहीं चलता है, लेकिन ये आदत कभी उलटी पड़ सकती है. बुढ़ापे में या प्रौढ़ वय (यानी 40 – 60 वाले) इनको ख़ास ध्यान रखना है कि पारणे में थोड़ी सी भी चूक भारी पड़ सकती है. युवावय है, इसलिए नियमों को Lightly भी नहीं लेना है.
Z – Zeal Last Result.
पारणे के बाद स्फूर्ति बढ़ती है तो पारणा सफल है, सुस्ती बढ़ती है तो पारणा निष्फल है. पारणे के बाद भूख बढ़ती है, तो पारणा सफल है, भूख कम होती है, अरुचि बढ़ती है तो पारणा निष्फल है. पारणे के बाद शाता बढ़ती है, तो पारणा सफल है, अशाता बढ़ती है, तो पारणा निष्फल है.
अब खुद खुद के हाथों में है, तप एवं पारणा को सफल बनाना या निष्फल बनाना. पूज्य आचार्य श्री भुवनभानु सूरीश्वरजी महाराज साहेब, पूज्य उपाध्याय श्री विमलसेन विजयजी महाराज साहेब, एवं आचार्य श्री पद्मसुंदर सूरीश्वरजी महाराज साहेब इत्यादि के अनुभव के आधार पर यह जानकारी पूज्य निर्मोहसुंदर विजयजी महाराज साहेब ने दी है.
कई तपस्वियों को ऐसा लगेगा कि Do’s से ज्यादा Don’ts की List लंबी है. तो आप तपस्वी VIPs है तो Do’s से ज्यादा Don’ts की List लंबी होगी यह स्वाभाविक है. 8 उपवास एवं उससे ऊपरवाले तपस्वियों को पारणा में 1 – 2 दिन सिर्फ Liquid ही लेना होता है, 2 – 3 दिन बहुत सावधान रहना है.
लंबी ओली के पारणा वालों के लिए 2 – 3 दिन चावल, मूंग की दाल, शाम को खिचड़ी ले तो कड़ी नहीं, लौकी का Soup, लौकी की सब्जी, सूजी से बनी चीज़ें, मुरमुरे से बनी चीज़ें, एक आद खाखरा ले सकते हैं, मूंग का केर का पानी ले सकते हैं. सौंठ और पीपरामूल की गोली ले सकते हैं.
शाम को पानी चुकाने से पहले पीपरामूल (आधी छोटी चम्मच) और चुटकी जितना नमक Mix करके चबा लेना चाहिए. 5 – 10 मिनट के बाद पानी पी सकते हैं तुरंत पानी नहीं पीना. इससे वायु का शरीर में रुकाव नहीं होगा.
यह तो हमने सामान्य जानकारी देखी है बाकी आप गीतार्थ गुरु भगवंत से अधिक मार्गदर्शन ले सकते हैं.
कई Non – Jains को और Jains को भी प्रश्न है कि इस तरह से लगातार उपवास करके खुद के शरीर को कष्ट क्यों देना, यह Jainism में क्यों बताया गया है? इस तरह से तपस्या क्यों करना, इसका उत्तर एक अलग Article में ज़रूर देखेंगे.
पारणे के बारे में अधिक जानकारी हेतु इस Contact Information पर संपर्क कर सकते हैं :
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जिस तरह जैन साधु – साध्वीजी धर्म के Representatives है, उसी तरह तपस्वी भी धर्म को Represent करते हैं इसलिए छोटी बड़ी गलती होने पर, Health Issues होंगे और धर्म की निंदा होगी. लोगों की नज़र में धर्म की निंदा नहीं करवानी हो तो सावधानी रखनी आवश्यक ही नहीं अनिवार्य भी है.
और एक बात कह देते हैं किसी भी तपस्वी को देखकर उसकी निंदा नहीं करनी है. यह कर्म जब उदय में आएंगे तो नानी याद आ जाएगी! सभी तपस्वियों का तप दुःख शाता पूर्वक चले, और पारणा सुख शाता पूर्वक पूर्ण हो यही परमपिता परमात्मा से प्रार्थना.