श्री नेमिनाथ प्रभु की आरती
जय जय आरती नेमिजिणंदा,
समुद्रविजय शिवादेवीको नंदा… (1)
पहेली आरती भावथी कीजे,
गिरनार भेटीने पुण्य लहीजे… (2)
दूसरी आरती जिनो अनंता,
दीक्षा केवल शिवसुख धरंता… (3)
तीसरी आरती नेमिजिणंदा,
सहसावने व्रत नाण वरंता… (4)
चोथी आरती भवपार थावे,
पांचमी टूंके परम पद पावे… (5)
पंचमी आरती चिंतामणि पाया,
गिरनार नेमिगुण हेमने गाया… (6)
जय जय आरती नेमिजिणंदा,
समुद्रविजय शिवादेवीको नंदा…
जय जय आरती नेमिजिणंदा,
समुद्रविजय शिवादेवीको नंदा…
श्री नेमिनाथ प्रभु का मंगल दीवा
दीवो रे दीवो रे, प्रभु मंगलिक दीवो रे,
आरती उतारण रे गढ गिरनारनी रे…
दीवो रे सोहामणो अे, गढ गिरनार,
भविजननो अे, तारणहार… (1)
दीवो रे दीवो रे, प्रभु मंगलिक दीवो रे,
आरती उतारण रे गढ गिरनारनी रे…
नित्य ध्यावे तस, भव अजवाले,
भवचोथे अे, शिवपुर निहाळे… (2)
दीवो रे दीवो रे, प्रभु मंगलिक दीवो रे,
आरती उतारण रे गढ गिरनारनी रे…
सुरनरदेवा, करे गिरि सेवा,
आरती उतारी, पामे शिव मेवा… (3)
दीवो रे दीवो रे, प्रभु मंगलिक दीवो रे,
आरती उतारण रे गढ गिरनारनी रे…
आ भव मंगलिक, परभव मंगलिक,
मंगलिक भवोभव, सौनुं होजो… (4)
दीवो रे दीवो रे, प्रभु मंगलिक दीवो रे,
आरती उतारण रे गढ गिरनारनी रे…
दीवो रे दीवो रे, प्रभु मंगलिक दीवो रे,
आरती उतारण रे गढ गिरनारनी रे…
दीवो रे दीवो रे, प्रभु मंगलिक दीवो रे,
आरती उतारण रे गढ गिरनारनी रे…
गिरनारी नेमिनाथ भगवान की आरती और मंगल दीवा करने की पूरी विधि कुछ इस प्रकार है 👇
1. घर पर यदि नेमिनाथ दादा की तस्वीर हो या गिरनार जी तीर्थ की तस्वीर या चित्रपट आदि हो तो उसके समक्ष कर सकते हैं.
2. घर पर ही गिरनार जी तीर्थ की दिशा में खड़े रहकर भक्ति भाव से कर सकते हैं.
3. पहले गिरनार जी की आरती, उसके पश्चात गिरनार जी का मंगल दीवा, उसके बाद 9 दोहे, हर एक दोहे के साथ साथ 1 खमासमणा यानी कुल 9 दोहे और 9 खमासमणे और अंत में 9 लोगस्स का काउसग्ग करना है. (गिरनारी नेमिनाथ प्रभु के दोहे – इस पर Touch करके पढ़ सकते हैं.)
4. दोनों समय यानी सुबह में और संध्या (शाम) में भी कर सकते हैं.