Girnari Shri Neminath Bhagwan’s Duha (Doha)

गिरनार मंडन श्री नेमिनाथ भगवान के 9 दुहा (दोहा)

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By Jain Media 45 Views 1 Min Read

रैवतगिरि समरुं सदा, सोरठ देश मोझार,
मानवभव पामी करी, ध्यावुं वारंवार… (1)

सोरठदेशमां संचर्यो, न चढ्यो गढ गिरनार,
सहसावन फरश्यो नही, एनो एळे गयो अवतार… (2)

दीक्षा केवल सहसावने, पंचमे गढ निर्वाण,
पावन भूमिने फरशता, जनम सफल थयो जाण… (3)

जगमां तीरथ दो वडा, शत्रुंजय गिरनार,
एक गढ ऋषभ समोसर्या, एक गढ नेमकुमार… (4)

कैलास गिरिवरे शिववर्या, तीर्थंकरो अनंत,
आगे अनंता पामशे, तीरथकल्प वदंत… (5)

गजपद कुंडे नाहीने, मुख बांधी मुखकोश,
देव नेमिजिन पूजता, नाशे सघळा दोष… (6)

एकेकु पगलु चढे, स्वर्णगिरिनुं जेह,
हेम वदे भवोभवतणां, पातिक थाये छेह… (7)

उज्जयंत गिरिवर मंडणो, शिवादेवीनो नंद,
यदुकुलवंश उजाळीयो, नमो नमो नेमिजिणंद… (8)

आधि व्याधि उपाधि सौ, जाये तत्काळ दूर,
भावथी नंदभद्र वंदता, पामे शिवसुख नूर… (9)

गिरनार मंडन श्री नेमिनाथ भगवान की कायोत्सर्ग की विधि इस Video के माध्यम से जान सकते हैं 👇

Girnar Neminathji kayotsarg (kausagga) vidhi
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