19वे तीर्थंकर श्री मल्लिनाथ भगवान का अद्भुत स्तवन “मल्लिजिन! नाथजी व्रत लीजे..” पंचम सुरलोकना वासी रे, नव लोकांतिक सुविलासी रे,करे विनती गुणनी राशि रे, मल्लिजिन!…
22वे तीर्थंकर श्री नेमिनाथ भगवान का अद्भुत स्तवन “परमातम पूरणकला” परमातम पूरणकला, पूरणगुण हो पूरण जन आश,पूरण दृष्टी निहालिए, चित्त धरीयेहो अमची अरदास..परमातम पूरणकला… सर्व देश…
पत्थर जैसी हमारी आत्मा को मक्खन जैसा बनाने का काम यह सज्झाय करती है. 1600 वर्ष पहले का श्री पंचसूत्र नाम का ग्रंथ है, उसमें…
रैवतगिरि समरुं सदा, सोरठ देश मोझार, मानवभव पामी करी, ध्यावुं वारंवार... (1) सोरठदेशमां संचर्यो, न चढ्यो गढ गिरनार, सहसावन फरश्यो नही, एनो एळे गयो अवतार...…
श्री नेमिनाथ प्रभु की आरती जय जय आरती नेमिजिणंदा, समुद्रविजय शिवादेवीको नंदा... (1) पहेली आरती भावथी कीजे, गिरनार भेटीने पुण्य लहीजे... (2) दूसरी आरती जिनो…
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