19वे तीर्थंकर श्री मल्लिनाथ भगवान का अद्भुत स्तवन “मल्लिजिन! नाथजी व्रत लीजे..” पंचम सुरलोकना वासी रे, नव लोकांतिक सुविलासी रे,करे विनती गुणनी राशि रे, मल्लिजिन!…
रैवतगिरि समरुं सदा, सोरठ देश मोझार, मानवभव पामी करी, ध्यावुं वारंवार... (1) सोरठदेशमां संचर्यो, न चढ्यो गढ गिरनार, सहसावन फरश्यो नही, एनो एळे गयो अवतार...…
श्री नेमिनाथ प्रभु की आरती जय जय आरती नेमिजिणंदा, समुद्रविजय शिवादेवीको नंदा... (1) पहेली आरती भावथी कीजे, गिरनार भेटीने पुण्य लहीजे... (2) दूसरी आरती जिनो…
सद्गुरु परमात्मा सद्गुरु परमात्मा, मारो एकज नाथ, तारा शरणमां रहेवुं मने हवे, छोडुना तारो साथ.. तारी कृपाथी मल्यु आ जीवन,तुज चरणोंमां करवुं छे अर्पण, तुज आण काजे…
मंदिर छो मुक्तितणा, मांगल्य क्रीडाना प्रभु!ने इन्द्र नर ने देवता, सेवा करे तारी विभु!सर्वज्ञ छो स्वामी वळी, शिरदार अतिशय सर्वना,घणुं जीव तुं, घणु जीव तुं,…
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