The Jhansi ki Rani of Jinshasan – Trupti Ben’s Inspiring Story

जिनशासन की झांसी की रानी - तृप्ति बेन की अद्भुत शासन सेवा.

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By Jain Media 206 Views 10 Min Read
Highlights
  • तृप्ति बहन द्वारा संगठित श्रमणी विहार ग्रुप में आज 350+ बहनें जुडी हैं.
  • श्रमणी विहार सेवा ग्रुप की नवसारी में शुरुवात हो चुकी है और अब अहमदाबाद के 2 Areas में भी शुरू होने जा रहा है.
  • विहार सेवा के अलावा Medical Field, वैयावच्च आदि में तृप्ति बहन अद्भुत कार्य कर रहे हैं.

जिनशासन की झांसी की रानी यानी सूरत के तृप्ति बहन. 

झांसी की रानी लक्ष्मीबाई देश के लिए लड़कर शहीद हुई थीं. हम इस Article में यह जानेंगे कि सूरत के तृप्ति बहन शासन के लिए किस तरह अपना पूरा जीवन दे रहे हैं? वे शहीद नहीं हुए हैं, वे लड़ रहे हैं और जीत रहे हैं. 

हमारे शासन की बहने हमारे शासन के लिए क्या कुछ कर सकते हैं? वह हमें इस Article में जानने को मिलेगा तो अंत तक इस प्रस्तुति को अवश्य पढिएगा. 

बहनों का विहार सेवा Group

शासन सम्राट श्री नेमीसूरीजी म.सा. के समुदाय के परम पूज्य आचार्य भगवंत श्रीमद् विजय प्रबोधचंद्रसूरीश्वरजी महाराज साहेब (चकाचक म.सा.) अत्यंत ही पुण्यशाली और वात्सल्यमय आचार्य भगवंत है. आज उनकी उम्र 92 वर्ष की है. 

आज से 1 साल पहले उन्होंने सूरत के निवासी धर्मनिष्ठ श्रावक पियूष भाई की धर्मपत्नी तृप्ति बहन को प्रेरणा की

‘जैसे भाइयों का विहार सेवा ग्रुप चल रहा है, 
वैसे ही बहनों का भी विहार सेवा ग्रुप बनाना चाहिए. 
बहनें अगर शहर के बाहर के विहार में ना जा पाए 
तो भी सूरत के अंदर जो भी विहार होते हैं, 
उनमें तो जा ही सकते हैं.’

सूरत यानी गुजरात राज्य की प्रसिद्ध Diamond City. सम्पूर्ण सूरत में 365 दिन में कभी भी 800 से 1000 साधु साध्वीजी भगवंत होते ही हैं. वेसु-पाल आदि Areas Develop होने के कारण से सूरत बहुत बड़ा बन चुका है. 

तृप्ति बहन की Age उस वक्त 57 थी और करोड़पति घराने की पुत्रवधू तृप्ति बहन को जीवन में कोई भी वस्तु की कमी नहीं थी. उनको आचार्य श्री की बात मन में बैठ गई और उन्होंने बहनों को एकत्रित करके बहनों का विहार सेवा ग्रुप का संगठन किया. 

इस साल दशहरा के दिन यानी तारीख 12th October 2024 को बहनों के इस विहार Group का 1 साल पूरा होगा. खुशी और आश्चर्य की बात यह है कि आज उस Group में सिर्फ 1 साल में 350 बहने जुड़ गई है, जिसमें Young Generation ही सबसे ज्यादा है. 

तृप्ति बहन के मार्गदर्शन अनुसार यह बहने पूज्य साध्वीजी भगवंतों के साथ विहार में जाती है. सूरत में साध्वीजी भगवंतों को Hospital आदि जाना हो, कभी दूर आचार्य भगवंतों को वंदन करने जाना हो आदि जाना हो इन सभी विहार में यह बहनें साध्वीजी के साथ रहते हैं. 

रोज के Average 10 जितने विहार सूरत के अंदर होते हैं. साध्वीजी भगवंतों ने रास्ता ना देखा हो, जगह ना देखी हो तो किसी को पूछने की कोई जरूरत नहीं रहती है क्योंकि साथ में रहे हुए विहार Group की बहने सब कुछ संभाल लेते हैं. 

वैयावच्च प्रेमी तृप्ति बहन 

तृप्ति बहन सिर्फ यह बाहर के काम करके सत्ता भुगत रहे हैं, ऐसा बिल्कुल नहीं मानना है. आज की तारीख में भी वे सुबह 5 से 8 बजे तक जिनालय में सेवा-पूजा-भक्ति में ही लीन रहते हैं, उन्होंने अपनी आत्मा का हित नहीं छोड़ा है. 

सूरत के पिपलोद Area में रहनेवाले तृप्ति बहन ने जब उनके बेटे की शादी हुई, उस दिन से संपूर्ण ब्रह्मचर्य व्रत का स्वीकार किया था. आज घर में वे और उनके श्रावक अलग-अलग Room में ही सोते हैं. जब से उन्होंने ब्रह्मचर्य व्रत लिया तब से ही यह व्यवस्था शुरू कर दी है. 

उनके श्रावक पीयूष भाई का भी धर्म के लिए पूरा Support है. वे खुद सुबह 4 बजे उठते हैं और खुद प्रभु पूजा के लिए फूल लेने जाते हैं और खुद ही सूरत के 40 मंदिरों में फूल देने भी जाते हैं. यह उनकी सुबह की प्रभु भक्ति है. परम पूज्य पंन्यास प्रवर श्री जिनप्रेमविजयजी महाराज साहेब उनके गुरु भगवंत हैं. 

तृप्ति बहन के लिए सबसे महत्वपूर्ण कार्य है साधु साध्वीजी की वैयावच्च. आज उनके Age 58 है और आज से 23 साल पहले यानी की 35 साल की उम्र से उन्होंने साधु साध्वीजी भगवंतों की वैयावच्च का काम शुरू किया था. उनके ससुरजी श्री माणकलालजी नानचंदजी श्री अटवागेट संघ के President भी थे और समाज में भी वडील थे तो उनके घर में धर्म का माहौल तो था ही. 

23 साल से सतत वैयावच्च करने के कारण से आज की Condition एसी है कि सूरत के बड़े-बड़े 150 Doctors के साथ उनके इतने अच्छे Relations है कि सूरत में कोई भी जगह पर साधु साध्वीजी की सेवा के लिए कोई भी Doctors जाने के लिए तैयार हो जाते हैं, कभी मना नहीं करते. 

तृप्ति बहन का स्वभाव ऐसा है कि वे सिर्फ Mobile से बात करके, Setting करवाकर शांत बैठ नहीं जाते हैं, बल्कि वे खुद भी Doctors के साथ पहुंच जाएंगे और जो भी Treatment होगी, वह अपनी निगरानी में करवाएंगे. 

अगर Operation हो तो 3-4-5 घंटों तक, जब तक Operation चलता है तब तक वे वहां पर ही रहेंगे अस्पताल में और कहीं पर नहीं जाएंगे. In Short कोई भी साधु साध्वीजी की वैयावच्च के कार्य में शुरू से लेकर अंत तक वे ध्यान रखेंगे ही. 

तृप्ति बहन की Lifestyle

‘इतना Time अगर तृप्ति बहन बाहर रहतें हैं तो बाहर ही खा लेते होंगे ना?’ ऐसी हमको शंका हो सकती है और आज के जमाने में बाहर का खाना कोई बड़ी बात नहीं मानी जाती. बड़े-बड़े धार्मिक लोग भी Sunday को Hotel जाना नहीं छोड़ पाते हैं. लेकिन तृप्ति बहन का Case कुछ अलग है-Different है. 

पिछले 25 साल से तृप्ति बहन ने Hotel का, Street Food आदि बाहर का कुछ भी खाया पिया नहीं है. पिछले 25 साल से उन्होंने Theatre में Movie नहीं देखी है. पिछले 25 साल से TV भी नहीं देखा है और आज तो उनके घर में TV है ही नहीं. 

जी हां, जो TV, Kitchen की तरह झोपड़ियों में भी Common होता है, आवश्यक बन गया है, वह TV करोड़पति इस बहन के घर पर नहीं है. 

जब 3-4-5 घंटे Hospital में बैठना हो तो तृप्ति बहन पहले से ही खाने पीने का Set कर लेते हैं. अगर कारणवष Late हो जाए तो भूखे रहकर चौविहार कर लेंगे लेकिन बाहर का नहीं खाएंगे, अपने पेट में अभक्ष्य डालकर उसे असंख्या जीवों का कब्रिस्तान नहीं बनाएंगे. 

उन्होंने ‘तृप्ति बहन पीयूष भाई Charitable Trust’ भी बनाया है और वे इस Trust के माध्यम से भी अनेक धार्मिक प्रवृत्ति करते हैं. उनके स्वभाव की मुख्य खासियत है – Determination. एक बार वे जो ठान लेते हैं, फिर वे उस काम को पूरा करके ही रहते हैं. 

शासन सेवा के अन्य कार्य 

कभी-कभी बहनों की ऐसी फरियाद होती है ‘हमको शासन के कार्यों में आगे नहीं आने दिया जाता है, हम कुछ करना चाहते हैं लेकिन मौका नहीं मिलता आदी.’ उन सभी बहनों के लिए तृप्ती बहन एक आदर्श हैं. अगर इंसान चाहे तो वह खुद ही अपने योग्य कार्य को ढूंढ निकालेगा. 

जरूरी नहीं है कि सबको सब काम दिए जाए लेकिन जिनशासन में हजारों काम ऐसे है अगर हकीकत में शासन की सेवा करने की चाहत हो तो सद्गुरु का मार्गदर्शन लेकर, तृप्ति बहन जैसों का संपर्क करके उनसे मार्गदर्शन लेकर आगे बढ़ सकते हैं.

यह Article जो भी बहने पढ़ रही हैं, वे सभी निर्णय करें कि हमको भी शासन की छोटी सी भी सही लेकिन सेवा करनी है. तृप्ति बहन की तरह बड़ी शासन सेवा करने की ताकत ना हो तो कोई बात नहीं लेकिन मंदिर उपाश्रय की सफाई करना, शुद्धिकरण करना, वह भी शासन सेवा है. 

ज्ञान भंडारों में किताबों को Cover चढ़ाना, Numbering करना आदि वह भी शासन सेवा है. धार्मिक भोजन समारोह आदि में जयणा पालन के लिए अनाज आदि की सफाई करना वह भी शासन सेवा है. आयंबिल खाते आदि में तपस्वियों को पुरस्कारी करना भी शासन सेवा है. 

ऐसे धार्मिक Motivational Articles को Share करना और दूसरों तक पहुंचाना, वह भी शासन सेवा है. तृप्ति बहन की अनुमोदना करने के लिए सच्चे भावों से उन्हें Messages भेजना, वह भी शासन सेवा है. 

पूज्य साध्वीजी भगवंतों को शहर में ही एक स्थान से दूसरे स्थान जाना हो, तो उनके साथ चलना, वह भी शासन सेवा है. पूज्य साध्वीजी भगवंतों को अलग अलग घर दिखाकर गोचरी के लिए उनको अनुकूल व्यवस्था खड़ी करना, वह भी शासन सेवा है.

और सबसे Last बात, पूज्य गुरु भगवंत कहते हैं कि शासन सेवा के नाम से आत्मा की सेवा को भूलना नहीं है. सबसे पहले तो अपने आप को सुंदर आचारों से सुरक्षित करना और अपने विचित्र दोषों को Control करना है. 

पहले खुद को जीतना है, फिर तो शासन सेवा अपने आप ही होगी…

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