वीर विहार सेवक धर्मेश भाई सहलोत
प.पू. आचार्य भगवंत श्री हीरचंद्रसूरीश्वरजी महाराज साहेब आदि ठाणा का विहार बेंगलुरु से दावणगेरे की तरफ चल रहा था.
तारीख 08th January 2025 के दिन सुबह 6 बजे सभी पूज्य गुरु भगवंतों का विहार शुरू हो गया था और साथ में विहार सेवा देने के लिए दावणगेरे के विहार सेवक भी मौजूद थे जिनमें राजस्थान में बूसी और हाल दावणगेरे निवासी स्व. श्री रूपचंदजी सहलोत के सुपुत्र सुश्रावक श्री धर्मेश भाई सहलोत भी शामिल थे.
Highway पर विहार के दौरान सभी महात्मा और विहार सेवक आगे पीछे चल रहे थे. धर्मेश भाई पूज्य आचार्य भगवंत से लगभग 200-300 Meter पीछे अन्य महात्मा के साथ चल रहे थे.
लगभग 6 बजकर 11 Minutes पर एक Tempo ने पीछे से धर्मेश भाई को टक्कर मारी और Balance जाने से वे नीचे गिर गए जिससे उनके सर के पीछे गहरी चोट आई और वे बेहोश हो गए.
धर्मेश भाई को तुरंत दावणगेरे के Hospital में ले जाया गया लेकिन Critical Condition होने से वहां के Doctors ने उन्हें Treatment बेंगलुरु ले जाने के लिए कहा और धर्मेश भाई को Bengaluru के Aster CMI Hospital में Admit करवाया गया.
Doctors ने जब Starting में धर्मेश भाई को Check किया था तब बताया था कि सर पर Major चोट लगने से उन्हें बचाना बहुत मुश्किल है. इस समय तक धर्मेश भाई Coma में जा चुके थे. Doctors ने धर्मेश भाई को जो Treatment Recommend किया था वह चल रहा था.
परिवार आदि सभी को यही लग रहा था कि धर्मेश भाई कुछ दिन में ठीक हो जायेंगे क्योंकि सभी को किसी चमत्कार की उम्मीद थी और कई लोगों ने इनके स्वास्थ्य के लिए जाप आदि भी किए. जानकारी के लिए बता दें कि धर्मेश भाई के 3 बड़े भाई और 1 छोटे भाई हैं और धर्मेश भाई के 2 बच्चे हैं जिनकी उम्र मात्र 15 और 09 साल की है.
कुछ दिन Treatment आदि के बाद जब धर्मेश भाई का MRI Test किया गया तब उसकी Reports में पता चला कि उनकी Body में किसी भी तरह का Improvement नहीं हो रहा था.
और इतने दिनों तक कोमा में रहने के बाद तारीख 30th January 2025 के दिन सुबह लगभग साढ़े 8 बजे धर्मेश भाई का निधन हो गया.
हम वीर विहार सैनिक श्री धर्मेश भाई की अंतर्मन से अनुमोदना करते हैं कि उन्होंने विहार में सेवा देकर साधु भगवंतों का रक्षण किया. अगर धर्मेश भाई महाराज साहेब के पास नहीं होते तो शायद धर्मेश भाई की जगह वह Tempo किसी महात्मा को भी टक्कर मार सकता था.
हम ऐसे कई विहार सेवकों की अंतर्मन से अनुमोदना करते हैं जो Daily Risk उठाकर जिनशासन के अनमोल रत्न ऐसे पूज्य साधु-साध्वीजी भगवंतों की रक्षा के उद्देश्य से विहार के दौरान सेवा देते हैं.
इस विषय पर गहरे चिंतन की आवश्यकता लगती है क्योंकि इस तरह से एक विहार सेवक अथवा पूज्य गुरु भगवंत को खोना जिनशासन के लिए बहुत बड़ा नुकसान है.
परमात्मा वीर विहार सेवक धर्मेश भाई की आत्मा को जल्द से जल्द मोक्ष सुख प्रदान करें और उनके परिवार को यह दुःख की घडी सहन करने की शक्ति प्रदान करें, यही प्रार्थना.