आखिर क्या होती है जैन दीक्षा? आखिर जैन दीक्षा लेने वालों को भौतिक दुनिया की Luxury छोड़कर जैन साधु साध्वीजी बनने के बाद क्या करना पड़ता है? और ये सब या क्या करते हैं? आखिर कौन है वो लोग जो जैन दीक्षा ग्रहण करते हैं?
What Is Jain Diksha?
ऐसे तो जैन दीक्षा को समझने में अनेक जन्म लग जाएंगे लेकिन संक्षेप में कहे तो एक व्यक्ति जब जैन दीक्षा ग्रहण करता है तब उसे ज़िन्दगी भर 5 महाव्रतों का पालन करना होता है. पांच महाव्रत इस प्रकार हैं:
1. अहिंसा (Non – Violence) – यानी मन वचन और काया से पूर्ण रूप से अहिंसा का पालन यानी हिंसा का त्याग.
2. सत्य (Truthfulness) – जीवनभर सत्य कहना यानी झूठ नहीं बोलना.
3. अचौर्य (Non – Stealing) – कभी भी चोरी नहीं करना.
4. ब्रह्मचर्य (Chastity) – विजातीय के साथ यानी Opposite Gender के साथ संबंध नहीं रखना, संबंध तो बहुत दूर की बात, स्पर्श भी Allowed नहीं है.
5. अपरिग्रह (Non – Possessiveness) – खुद का कुछ नहीं, पैसों को स्पर्श नहीं करना, खुद का घर नहीं, बंगला नहीं कुछ भी नहीं.
सुनने में ये सिद्धांत ये व्रत बहुत आसान और सरल लग रहे होंगे लेकिन इन सिद्धांतों को जब पालन करने में आता है तब वास्तविकता पता चलती है. उदहारण के लिए पूरे दिन Electricity का उपयोग नहीं Mobile, Fan, AC, Cooler तो बहुत दूर की बात Cell से चलने वाली घड़ी भी नहीं.
जिन्होंने जैन धर्म को करीब से जाना नहीं है, जो जैन धर्म से परिचित नहीं है, उनके मन में अब ये सवाल उठ रहा होगा कि बाप रे बाप ऐसी स्थिति में कोई कैसे जी सकता है? पक्का या तो ये दीक्षा लेने वाले लोग पागल है या फिर इन्हें बहला फुसलाकर दीक्षा दिलाई जा रही है. कई लोगों को यह Brain Washing वाला मामला लग रहा है, वरना पढ़ा लिखा व्यक्ति तो कभी ऐसी चीज़ों में नहीं पड़ेगा! Right?
आश्चर्य की बात ये है कि दीक्षा लेने वाले ये सब लोग अनपढ़ है, ऐसा नहीं है बल्कि CA, MBA, Engineers, Doctors भी हैं. Foreign में रहकर Graduation करनेवाले 3 – 4 Degree Holders भी दीक्षा लेते हैं. दीक्षा लेने वाले यह लोग गरीब है, भूखे-प्यासे है, ज़िन्दगी में कुछ हासिल नहीं किया इसलिए दीक्षा ले ली, ऐसा नहीं है क्योंकि करोड़ों अरबों के मालिक भी सब कुछ छोड़कर दीक्षा ले चुके हैं और ले रहे हैं. दीक्षा लेने वाले यह लोग अनाथ है बेकार है कोई Status नहीं है, ऐसा नहीं है क्योंकि रूपवान, विशाल परिवार वाले, बड़ी जॉब वाले, बड़े बड़े Business करने वाले भी दीक्षा ले चुके हैं.
अब ये सवाल उठ रहा होगा कि जब सब कुछ था तो फिर उन्होंने यह रास्ता क्यों अपनाया? सुखवाली ज़िन्दगी, मौज वाली ज़िन्दगी, Worldly Pleasures वाली ज़िन्दगी को जानबूझकर ठुकराकर दुःखवाली ज़िन्दगी को गले क्यों लगाया? और ऐसा करने से दुनिया को या हमें क्या फायदा होता है?
Contribution Of Jain Sadhu Sadhvijis Toward Society
जैन साधु साध्वीजी भगवंतों से दुनिया को क्या फायदें होते हैं आइए जानते हैं!
हमारा सभी से निवेदन है कि इस Article को उन लोगों के साथ Share अवश्य कीजियेगा जो जैन धर्म से परिचित नहीं है या जिन्होंने जैन धर्म को करीब से नहीं जाना है क्योंकि जैन दीक्षा के Videos देखकर, खबरें सुनकर कई लोग Confuse हो जाते हैं कि ये सब हो क्या रहा है और इससे बाकी की दुनिया को क्या फायदा होनेवाला है? तो इस Article के माध्यम से इस विषय को थोडा करीब से, अच्छे ढंग से सरल भाषा में जानने का एक छोटा सा प्रयास करते हैं.
हम सभी ने वो पुराने गीत की पंक्ति तो सुनी ही होगी ‘जीना उसका जीना है, जो औरों को जीवन देता है’ बस तो ऐसा समझ सकते हैं कि जैन साधु सध्विजियों ने इस कड़ी को अपने जीवन जीने के तरीके से सच्ची साबित की है. ऐसे गिनने जाए तो दिन कम पड़ जाए इतनी लंबी लिस्ट है लेकिन हम संक्षेप में 10 Points में समझने का प्रयास करेंगे.
1. पूरब और पश्चिम मूवी में महेंद्र कपूर द्वारा गाया हुआ और मनोज कुमार ने Acting की, उस गीत में एक लाइन आती है जहाँ राम अभी तक है नर में, नारी में अभी तक सीता है लेकिन आज के हालत से हम में से कोई भी अनजान नहीं है. अनेक हवसखोर पुरुषों ने छोटी छोटी बच्चियों को भी नहीं छोड़ा है. निर्भया जैसे केस भारत में हुए, नारियों को सम्मान मिलना वक्त के साथ साथ कम होने लगा. ऐसी परिस्थिति में जैन साधु-साध्वीजी भगवंतों ने युवानों को ब्रह्मचर्य की महिमा बताई नारियों को सम्मान देना सिखाया, अपनी पत्नी के साथ भी मर्यादा के साथ व्यवहार करना सिखाया.
भले ऐसे युवान सैंकड़ों या हज़ारों की संख्या में ही हो, लेकिन ऐसे युवानों से नारियों को किसी भी तरह का भय नहीं रहा. स्त्रियों के साथ छेड़खानी करना तो दूर की बात, उन युवानों ने उनकी तरफ गलत नज़र से देखना भी बंद किया. परस्त्री यानि अपनी पत्नी के अलावा सभी स्त्रियों को सिर्फ माँ, बहन या बेटी के रूप में ही माना उन युवानों ने जिसकी प्रतिज्ञा हमें हर रोज़ स्कूल में PLEDGE के नाम से दिलाई जाती थी. यह एक ऐसी समाजसेवा है जो लोगों के आँखों में तो नहीं आती लेकिन इस सेवा से अनेक महिलाओं का सम्मान बचा रहता है. यह ऐसा क्षेत्र है जिस पर शायद ही कभी किसी का ध्यान गया होगा लेकिन जैन साधु साध्वीजी भगवंतों ने अपना योगदान इस क्षेत्र में दिया है.
2. जैन समाज कम है, लेकिन जैन साधु-साध्वीजी भगवंतों ने जन जन को ये सिखाया कि गरीबों को खाना दो, अनाथाश्रम में बच्चों को सहय करो, प्रजा पर जब भी सुनामी, भूकंप, बाढ़, कोरोना आदि आफत आई तो उनके लिए दान की गंगा बहाओ और जैन संतों की प्रेरणा से अनेक जैन व्यक्ति हर वर्ष करोड़ों करोड़ों रुपयों का खर्च गरीबों की सेवा वगैरह में सहजता से कर देते हैं, बस उसकी इतनी Marketing नहीं करते.
गुजरात में, मुंबई में, अनेक जगह पर गरीबों को दोपहर का भोजन हर रोज़ या हर रविवार को निशुल्क मुफ्त में दिया जाता है. जैन संतों ने इस तरह से भी राष्ट्र की, समाज की, प्रजा की सेवा की है.
3. आज पूरे विश्व में वाहनों के धुए से होने वाला प्रदूषण यानी Pollution एक बहुत बड़ा प्रॉब्लम बन चुका है लेकिन विश्व की इस सबसे बड़ी प्रॉब्लम में जैन साधु साध्वीजी भगवंत निमित्त नहीं बनते यानी वो इस समस्या का कारण कभी नहीं बनते, क्योंकि वो पूरे हिन्दुस्तान में कहीं पर भी जाए तो चलकर ही जाते हैं.
4. पेट्रोल Crude आदि हमें गल्फ देशों के पास से मंगवाना पड़ता है, उसके Against में भारत देश को अपना पशुधन Export करना पड़ता है. इस में जैन साधु साध्वीजी भगवंत निमित्त नहीं बनते, क्योंकि उन्होंने अपने जीवन में पट्रोल डीजल आदि का Use ही छोड़ दिया है.
5. गाय भैंस आदि पशु जब तक दूध दें तब तक ही पाले जाते हैं, उसके बाद उनका क्या होता है वो हम सब जानते हैं, लेकिन जैन Community सैंकड़ों जगह पर ऐसे Organizations, गौशालाओं को संभाल रही है. जो पशु दूध नहीं देते हैं, जो रोगी है, जो बूढ़े हैं, बिना किसी स्वार्थ के ऐसे हजारों लाखों पशुओं को संभालते हैं. वो पशुओं में गाय, भैंस, बैल, बकरी आदि सब आ गए ऐसा समझ लीजिये. हर साल इसके पीछे अरबों रुपयों का खर्च होता है.
इसके पीछे जैन संतों द्वारा की गई जीवदया की प्रेरणा ही सबसे बड़ा योगदान है. अरे, जैनसंत जीवित हो, तब तो जीवदया का काम करते ही है लेकिन कालधर्म यानी मृत्यु के बाद भी वो निर्दोष पशुओं के काम आते हैं क्योंकि जैन संतों की देवलोकगमन के बाद उनके शरीर को अग्नि दाह देने के लिए बोलियाँ बोली जाती है (चढ़ावे बोले जाते हैं) जो कि लाखों करोड़ों रुपयों में होते हैं और वो धन या निश्चित किया हुआ उसका हिस्सा पशुओं की सेवा-रक्षा आदि में Use होता है.
6. जैन संतों ने सबको अहिंसा का सन्देश दिया है, इंसानों को तो दूर की बात चीटी, मकोड़े, मच्छर आदि को भी नहीं मारने का, किसी भी जीव को तकलीफ नहीं देने की बात सिखाते हैं. इसी कारण से जैन लोग दंगा फसाद से, मारामारी से, खून खराबे से बहुत दूर रहते हैं, यह भी Crime के खिलाफ समाज के हित के लिए एक बहुत बड़ी सेवा है. ऐसा नहीं है कि जैनों में Crime Rate एक दम से 0% है, लेकिन यहाँ पर हम विशेषकर उन लोगों की बातें कर रहे हैं जो लोग अच्छे और सच्चे जैन संतों के संपर्क में रहते हैं.
7. Personal Level पर देखें तो जैन साधु साध्वीजी भगवंतों के पास जो कोई भी जाता है उनकी वे निस्वार्थ भाव से मदद करते हैं. मान लेते हैं कि कोई भक्त अपनी तकलीफ लेकर गए हो तो अपनी मर्यादा के अनुसार उस भक्त की मदद करने का प्रयास करेंगे. जो व्यक्ति Regularly जैन साधु साध्वीजी भगवंतों के संपर्क में रहते हैं उन्हें लगभग Mental Stress, Depression जैसी प्रोब्लेम्स नहीं होती, और अगर होती भी है तो उसका इलाज भी गुरु भगवंत बता देते हैं और ऐसी परिस्थितिओं में से बाहर भी निकाल देते हैं.
आज की तारिख में हर रोज़, हजारों लोग जैन संतों के पास जाते हैं, अपने दुखों को हल्का करते हैं, उनके पास आकर रोते हैं, अपनी गलतियाँ बताकर पश्चाताप करते हैं, Depression से मुक्त होते हैं, जो बातें वो किसी को नहीं बोल पाए वो बातें जैन संतों को बेझिझक बोलते हैं और अपना मन हल्का कर प्रसन्न हो जाते हैं.
8. एक जैन साधु भगवंत अपने संपूर्ण जीवन में करोड़ों लोगों के संपर्क में आते हैं और उनकी प्रेरणा से हजारों लाखों की संख्या में लोग शराब, जुआ, Cigarette, गुटका आदि व्यसन हमेशा हमेशा के लिए छोड़ देते हैं. एक व्यक्ति जब इस तरह की बुरी आदतें छोड़ता है तो पूरा परिवार सुखी होता है. अब कल्पना कर सकते हैं कि जैन साधु साध्वीजी भगवंत कितने ही परिवारों को उजड़ने से बचाते हैं.
9. जैन साध्वीजी भगवंतों के पास जब बहनें जाती है, शिविर आदि कार्यक्रमों में जब बहनों को प्रेरणा दी जाती है तब हजारों की संख्या में बहनें कभी भी Abortion नहीं करने की प्रतिज्ञा लेती है. अब सोच सकते हैं कि कितनी ही माताओं को Abortion जैसे महापाप से बचाया और कितने ही आनेवाले निर्दोष बच्चों को कटने से बचाया.
10. जैनसंतों ने हजारों लाखों युवानों को ये सिखाया है कि माँ – बाप घर के भगवान है उनकी सेवा करो, उनको दुखी मत करो, आज जैन संतों के उपदेश के प्रभाव से वो हजारों युवान माता पिता के भक्त बने सेवक बने, उससे अनेक माता – पिता को परम शांति मिली है. कई लोग समझते हैं कि दीक्षा लेना यानी माँ – बाप, परिवार, समाज, राष्ट्र के तरफ की जिम्मेदारियों से दूर भागना लेकिन ये सोच जैन संतों का जीवन देखकर गलत साबित होती दिखती है.
एक सैनिक अपने माँ बाप को छोड़ता है, देश की रक्षा के लिए जाता है, तो क्या उसने गलत किया? नहीं ना. वो हजारों माँ – बाप की रक्षा का काम करता है. उसे महान ही तो कहते हैं हम. Soldier देखते ही सलाम करते हैं. तो एक जैन साधु ने यही तो काम किया है, भले ही घर का त्याग किया हो, माँ – बाप को छोड़ा हो लेकिन दीक्षा लेकर समाज के लिए, अपनी शक्ति अनुसार वो जैन साधु साध्वीजी भगवंत अनेक माता पिता की सुरक्षा करवाते हैं.
ऐसी तो अनेक बातें हैं जो जैन संत जहाँ जहाँ जाते हैं पूरे समाज को सिखाते हैं. इसलिए पहले के ज़माने में संतशाही और राजशाही दोनों साथ में चलती थी. कुलमिलाकर जैन साधु साध्वीजी भगवंत खुद ही ऐसा जीवन जीते हैं कि उन्हें देखकर लाखों करोड़ों लोग Inspire होते हैं.
इस तरह से देखने जाएंगे तो इतनी लंबी List बनेगी. जैन साधु साध्वीजी भगवंतों ने समाज को, देश को जो दिया है, वो अमूल्य है, सिर्फ देखने की दृष्टी चाहिए. इसलिए सही कहा जाता है कि :
“जब तक संत है, तब तक समाज का अंत नहीं
जब तक संत है, तब तक देश का अंत नहीं
जब तक संत है, तब तक इंसानियत का अंत नहीं”
जो जैन धर्म से परिचित नहीं है उन्हें यह सब बातें पता चले इस उद्देश्य से उनके साथ यह Article ज़रूर Share कीजिएगा. यदि आप में से किसी भाई या बहन का जैन साधु या साध्वीजी भगवंतों से मिलना हुआ हो तो अपने Experience Comments में ज़रूर Share कीजिएगा.
धन धन मुनिवरा 🙏🏻🙏🏻
जिनशासन की आन -बान और शान हैं जिनशासन के अणगार 🙏🏻🙏🏻