गुरु की बात क्यों माननी?
प्रस्तुत है आगम ज्ञानी बनो Series के अंतर्गत उपदेशमाला ग्रंथ का Episode 07
आइए अगली गाथा देखते हैं। जह सुरगणाण इंदो,
गहगणतारागणाण जह चंदो।
जह य पयाण नरिंदो,
गणस्सवि गुरु तहा णंदो।। (07) Updeshmala Granth
शिष्य पूछता है कि ‘गुरु में ऐसा तो क्या है, जिस कारण उनके शब्द हमें इतने भावों से, इतनी विधि से सुनने और मानने चाहिए?
तो उसका जवाब इस गाथा में देते हैं कि इंद्र महाराजा देवों के अच्छे नेता है, उन्होंने इंद्र पद पाया हुआ है, इसलिए उनसे सभी देव खुश होते हैं और सभी देव उनकी बात मानते हैं।
चंद्र-ग्रह, नक्षत्र, तारा यह सब ज्योतिष्क देवों का अच्छा नेता है और चंद्र ने भी ज्योतिषेन्द्र पद पाया है इसलिए उनसे सभी ज्योतिष्क देव खुश रहते हैं और उनकी बात मानते हैं।
श्री राम जैसे राजा प्रजा के अच्छे नेता है और श्री राम ने राजा का पद पाया है। इसलिए प्रजा उनसे खुश भी है और उनकी बात मानती भी है।
गुरु भी सभी शिष्यों के अच्छे नेता है और गुरु का पद पाए हुए हैं। इसलिए सभी शिष्यों को उनसे खुशी होती है और सभी शिष्यों को उनके आदेश का पालन भी करना ही चाहिए।
जो हमें खुशी दे उनकी बात हमें माननी चाहिए।
जो एक बड़े पद को पाए हुए हों उनकी बात हमें माननी ही चाहिए।
Current समय में भी अगर हम देखें तो Supreme Court के Judge की बात बाकी सभी Judges को, Advocates को, Government को माननी ही पड़ती है।
Army के Head यानी Chief की बात पूरी Army मानती है। Family के Head की बात पूरी Family मानती है। Society के Head की बात पूरी Society मानती है।
संघ के अध्यक्ष यानी Head की बात पूरा संघ मानता है। तो गुरु भी सभी शिष्यों के Head हैं। उनकी बात तो शिष्यों को खुशी-खुशी माननी ही चाहिए ना?
जब पूज्य हिमांशु सूरीश्वरजी महाराजा ने पूज्य हेमवल्लभ सूरीश्वरजी महाराज साहेब को आजीवन आयम्बिल की प्रतिज्ञा की प्रेरणा की थी तब पूज्य हेमवल्लभ सूरीजी महाराज साहेब ने पहले सीधा स्वीकार किया था।
फिर कहा था कि ‘गुरुदेव मेरी तो ताकत नहीं है लेकिन आप मुझे शक्ति देना, मुझपर कृपा बनाए रखना, तो ही मुझ से हो पाएगा।’
और आज तपोगगन चन्द्रमाँ परम पूज्य आचार्य भगवंत श्रीमद् विजय हेमवल्लभसूरीश्वरजी महाराज साहेब का क्या Level है वह कहने की ज़रूरत नहीं है।