Aagam Vigyan – An Introductory Book of 45 Aagams of Jain Religion.

आगम विज्ञान - जिनागमों की पहचान करानेवाली अद्भुत पुस्तक.

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By Jain Media 491 Views 7 Min Read
Highlights
  • गणधर भगवंतों द्वारा रचे गए सूत्र एवं सर्वज्ञ द्वारा बताई गई बातों का अर्थ इन दोनों को खुद में सामाकर जीने वाले ग्रन्थ यानी आगम सूत्र.
  • ज्ञान-विज्ञान की सभी Branches, Sub-Branches का विकास आगम विज्ञान से ही होता है जैसे Biology, Physics, Chemistry, Astrology, Astronomy, Ayurveda, Politics etc.
  • गुरु भगवंत की आज्ञा से योगद्वहन की क्रिया करनेवाले साधु भगवंत आगम सूत्र पढ़ने के अधिकारी है. श्रावकों को Directly आगम पढ़ने की अनुमति नहीं है.

जैन आगमों के रहस्य क्या है?
आखिर जैन आगमों में क्या लिखा गया है?

आज हम 45 आगमों में से 1 आगम का रहस्य जानेंगे, बने रहिए इस Article के अंत तक. 

आगम यानी क्या?

विश्व के Visible, Invisible, Living, Non-Living चीज़ों का उनकी अवस्थाओं का एवं पर्यायों का Knowledge सर्वज्ञ यानी केवली भगवंतों को होता है, वही ज्ञान को श्रुतज्ञान के माध्यम से सर्वज्ञ भगवंत विश्व के सामने खुद की देशना के द्वारा प्रस्तुत करते हैं.

तीर्थंकर परमात्मा के द्वारा त्रिपदी पाकर यानी सभी चीज़ों का ज्ञान पाकर, यही ज्ञान को सूत्र के माध्यम से गूंथने का काम गणधर भगवंत करते हैं यानी गणधर भगवंतों द्वारा रचे गए सूत्र एवं सर्वज्ञ द्वारा बताई गई बातों का अर्थ इन दोनों को खुद में सामाकर जीने वाले ग्रन्थ यानी आगम सूत्र.

आगम विज्ञान क्या है?

सर्वज्ञ के वचन को पहचानना यानी आगम विज्ञान, 
जीवन के प्रश्नों का समाधान यानी आगम विज्ञान, 
आत्म उन्नति का सहारा यानी आगम विज्ञान, 
सच्ची सुख-शांति-समृद्धि का Guidance यानी आगम विज्ञान.

ज्ञान-विज्ञान की सभी Branches, Sub-Branches का विकास आगम विज्ञान से ही होता है जैसे Biology, Physics, Chemistry, Astrology, Astronomy, Ayurveda, Politics etc., अनेक शाखाओं का ज्ञान सर्वज्ञ द्वारा उपदिष्ट आगम ग्रंथों में हैं. लेकिन आत्मा का Actual Upliftment यानी आत्मीय सुख की प्राप्ति वैराग्य एवं अध्यात्म से ही होने के कारण आगमों में ज़्यादातर पदार्थों का विवेचन वैराग्य एवं अध्यात्म की दृष्टी से ही किया गया है. इसी कारण से ही अधिकारी साधक आत्मा को वैराग्य एवं अध्यात्मिक दृष्टी से, गीतार्थ गुरु की आज्ञा से इसका पठन-पाठन करना चाहिए.

आगम विज्ञान पुस्तक

इसका उत्तर भी हम आगे जानेंगे. श्री प्रेम भुवनभानु सूरीजी समुदाय के ह्रदयस्पर्शी प्रवचनकार परम पूज्य आचार्य भगवंत श्रीमद् विजय संयमबोधि सूरीश्वरजी महाराज साहेब के शिष्यरत्न परम पूज्य पंन्यास श्री कृपाबोधि विजयजी महाराज साहेब ने प्रभु शासन की प्राचीन एवं वर्तमान में उपयोगी ऐसी ज्ञान परंपरा को समझाती हुई एक अद्भुत पुस्तक “आगम विज्ञान” तैयार की है. 

इस पुस्तक के Graphics भी एक दम Simple और Easy to understand है, जिससे छोटा बच्चा हो या बुज़ुर्ग या युवा हर कोई आसानी से समझ पाएगा कि हमारे आगमों में क्या रहस्य बताएं गए हैं. इस आगम विज्ञान पुस्तक की Detailing और प्रयत्न की सराहना गच्छाधिपति आचार्य भगवंत श्री राजेन्द्रसूरीश्वरजी महाराज साहेब एवं राजप्रतिबोधक आचार्य भगवंत श्री रत्नसुंदर सूरीश्वरजी महाराज साहेब ने भी की है. 

यह पूरी पुस्तक का चिंतन, मनन, प्रकाशन, Graphics जो भी तैयार किए गए हैं, वह केवल 4 महीने के समय के अंदर गुरु भगवंत के कठिन परिश्रम के कारण तैयार हुए हैं. इसी पुस्तक में से आज हम श्री ठाणांग सूत्र में बताई गई कुछ अद्भुत बातें जानेंगे, लेकिन उससे पहले क्या आप जानते हैं – आगम सूत्र पढ़ने के अधिकारी कौन है?

क्या Normal लोग आगम पढ़ सकते हैं?

तो आपको बता दें गीतार्थ गुरु भगवंत की आज्ञा से योगद्वहन की क्रिया करनेवाले साधु भगवंत आगम सूत्र पढ़ने के अधिकारी है. श्रावकों को Directly आगम पढ़ने की अनुमति नहीं है लेकिन हाँ, श्रावक केवल गुरु निश्रा में इसके अर्थ ज़रूर सुन सकते हैं. बाकी आगम ग्रंथों का सामैया, बहुमान, भक्ति, गौरव ऐसे सभी कार्य करना भी श्रावकों का कर्त्तव्य है. 

इसके साथ साथ अच्छे Long-Lasting कागज़ पर आगम लेखन मुद्रण करवाना चाहिए, आगम ग्रन्थ को संभालने वाले ज्ञान भंडार का निर्माण, सुरक्षा, जीर्णोद्धार, संवर्धन आदि भी कर सकते हैं, इन सभी में खुद के समय, श्रम संपत्ति का योगदान दे सकते हैं. अब आइए 45 में से एक आगम श्री ठाणांग सूत्र में क्या बताया गया है, उसको समझने का एक छोटासा प्रयास करते हैं. 

श्री ठाणांग सूत्र की कुछ बातें

इस Graphics के 4 Parts में 4 प्रकार के मनुष्य बताएं हैं 👇

1. शरीर उजला – मन मैला
2. शरील मैला – मन उजला
3. शरीर उजला – मन उजला
4. शरीर मैला – मन मैला 

यदि शरीर हमारे बाहर की दुनिया को Represent करता है तो मन हमारे अंदर की दुनिया को Represent करता है, बाह्य जगत में शरीर का उजला होना यानी रूपवान होने का अथवा अत्यधिक संपत्ति, सफलता का सूचक है और आभ्यंतर जगत में मन का उजला होना यानी मन की पवित्रता, प्रेम भाव, परोपकार भाव, सफलता आदि का सूचक है.

संबंध कैसे लोगों के साथ बांधना? मालिक या नौकर को Choose करते समय क्या सोचना? इन सभी का Clue हमें इससे मिलता है. शरीर उजला हो या ना हो, मन की उज्ज्वलता बहुत ज़रूरी है यानी पवित्रता, प्रेम भाव, परोपकार भाव, इमानदारी भाव आदि देखकर संबंध बाँधने चाहिए.

Social Relation का आधार – मन की परोपकार भावना,
Family Relation का आधार – मन की प्रेम भावना,
Financial Relation का आधार – मन की वफादारी की भावना,
Religious Relation का आधार – मन की पवित्रता की भावना,

इस तरह से प्रभु ने पूरी Psychology और इंसान से संबंध की परीक्षा के Methods इसमें दिखा दिए हैं. प्रभु द्वारा बताएं गए सभी पदार्थ के सूत्र छोटे होते हुए भी अर्थ से बहुत गंभीर एवं उपयोगी होते हैं, ज्ञानी महात्मा इन पर प्रवचन देने लग जाए तो चातुर्मास के चातुर्मास कम पड़ जाते हैं. श्री ठाणांग सूत्र के बारे में हमने जाना, यदि आप बाकी आगमों की जानकारी इस तरह संक्षेप में जानना चाहते हैं तो ज़रूर हमें Comment करके Feedback दीजिएगा.

तो बहुत संक्षेप में हमने श्री ठाणांग सूत्र का रहस्य जाना, अधिक जानकारी आप ज्ञानी गुरु भगवंत से प्राप्त कर सकते हैं. इस पुस्तक आगम विज्ञान में इसी तरह 45 आगमों की संक्षेप में एवं सरलता से Graphics के साथ आंशिक झलक दिखाई गई है. इस पुस्तक को प्राप्त कर ज़रूर पढ़ सकते हैं ताकि कल कोई पूछे कि ‘आगमों में क्या बताया गया है?’ तो यह पुस्तक से रहस्य जानकर हम थोडा बहुत बता पाएंगे.

इस पुस्तक को आप निचे दिए गए Contact Information पर संपर्क कर प्राप्त कर सकते हैं 👇

Jainam (Malad-Mumbai) – +91 97692 89943
Jainam Parivar (Ahmedabad) +91 89801 21712
Utsav (Surat) – +91 80000 78495

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