Advertisements में Crunchy Food का Sound आपने कई बार सुना होगा. आखिर इस Crunchy Sound का हमारे मन से क्या लेना देना है?
जैन साधु-साध्वीजी भगवंतों की कुछ Special तपस्या में और Specially जो उपधान होते हैं वहां पर आराधकों को उपधान के दौरान जो भोजन दिया जाता है उसमें आवाज करे वैसी खाखरा, ममरे आदि Crunchy चीजें नहीं दी जाती है. Normally हम हमारे घर पर Crunchy चीज़ें खाते ही है, लेकिन Special तपस्या में इसकी Restriction क्यों लगती है?
आज के जमाने के लोगों को इस विषय में 100% प्रश्न उठने जायज है ‘यह Superstition-अंध विश्वास किस लिए? प्रभु ने यह Restriction क्यों डाला? क्या कड़क वस्तु-Cruncy वस्तु खाने से कोई हिंसा होती है क्या? जीव मरता है क्या? यह सब Nonsense है.’
पर क्या सचमुच प्रभु ने बताई हुई यह आवाज वाली वस्तु नहीं खाने की बात Nonsense है? आइए जानते हैं इस बात के कुछ चौंका देनेवाले Facts इस प्रस्तुति के माध्यम से. बने रहिए इस Article के अंत तक.
Charles Spence’s Research on Crunchy Food
2003 में Oxford University के एक Charles Spence नाम के बड़े Professor ने एक ऐसे देखने जाए तो छोटा पर हकीकत में हमारा दिमाग हिला दे, वैसा Research किया था. उस Research की कुछ बातें जानते हैं 7 Points में.
1. Research के अनुसार-व्यक्ति जब कड़क चीजें-Noisy चीजें-Crunchy चीज़ें खाता है, तब उसे ऐसा लगता है की वह चीज Fresh है.
2. Research के अनुसार- व्यक्ति जो कुछ भी कड़क-Crunchy चीज खाता है, उसमें लगभग Fat का प्रमाण ज्यादा होता है.
3. कड़क चीजें व्यक्ति को खुद का ध्यान उन चीजों पर आकर्षित यानी Attract करने के लिए मजबूर करती है और इसलिए उन कड़क चीजों पर व्यक्ति को राग होने की शक्यता यानी Possibility बहुत ही ज्यादा है. Simple है, जितना Crunchy ज्यादा उतना Attraction ज्यादा.
4. कड़क चीज खाने के वक्त हमें होश या विवेक नहीं रहता कि हम कितना खा रहे हैं, क्योंकि हमारे दिमाग को वह Crunchy आवाज एक प्रकार से Secure करती है कि तुम जो कुछ खा रहे हो वह Fresh है और इसलिए Theatre में Popcorn खाते वक्त या फिर Normally Chips खाते वक्त या Wafer Chocolates या Biscuits आदि खाते वक्त हमें पता नहीं चलता कि वह कब पूरी हो गई. इतना ही नहीं, पानी पुरी जैसी चीजें तो 1 Plate-2 Plate-5 Plate-Unlimited भी खाने का Talent कुछ लोगों में होता है.
5. Multinational Companies चीजों को कड़क करने के लिए और कड़क रखने के लिए Research & Development में भारी पैसा खर्च करती है क्योंकि कड़क चीजों की-Sales जबरदस्त होती है. लोगों को कड़क चीज खानी पसंद होती है और उसका World Famous Example Cheetos है.
11 साल तक (1986 to 1997) उन्होंने यह Tagline Use की- ‘The Cheese That Goes Crunch.’ Munch Chocolate तो लगभग हर Chocolate खानेवाले व्यक्ति ने खाई होगी. Munch Cereal पर आता है Get Set & Crunch Your Breakfast, Packet पर लिखा होता है CRUNCHilicious Cereal. Munch Chocolate पर आता है, Xtra Crunchy, Xtra Choco Taste.
Advertisement में भी Crunchy Sound का भरपूर उपयोग किया जाता है. Lays Maxx ने भी अपनी Advertisement में डाला है ‘Experience Maximum Crunch in Every Bite.’ ऐसे तो अनेकों Examples आपको मिलेंगे.
6. उस Research में आगे यह भी बताया है कि कड़क चीजों की आवाज भी अगर हमें सुनाई दे तो हमारे मुंह से लार टपकनी शुरू हो जाती है. इतना ही नहीं, अगर कोई हमें इतना भी कहे कि ‘यह Crispy है, Crunchy है.’ तो भी हमारे मुंह में पानी आ जाता है. हमारी इच्छा उस चीज को खाने की तीव्र हो जाती है. Crispy Crunchy यह शब्द कई Advertisements में देखने को मिलेंगे.
7. Asian Countries में तो वस्तु को आवाज करके खाना, चुस्कियां जोर से लगाना, यह सब चीज Taste में अच्छी है, उसका सूचन और उसकी अनुमोदना गिनी जाती है. इसलिए Soup को-चाय को जोर-जोर से चुस्कियां लेकर पीया जाता है. यानी कि आवाज का मजा ही कुछ और है ऐसा समझा जाता है.
अब इस Research को देखते हुए हमें यह शंका बिल्कुल नहीं होनी चाहिए कि प्रभु ने उपधान में अथवा Special तपस्या में Crunchy-Noisy-Crispy-कड़क चीजों की Restriction क्यों लगाईं. यह अध्यात्मिक बातें जो आत्मा में मानते हैं, Spiritual Upliftment में मानते हैं वही समझ पाएंगे.
Spiritual Angle
Spiritual Upliftment के लिए इन्द्रियों को जीतना Compulsory है. प्रभु ने धर्म बताया क्योंकि उन्हें हर जीव का कल्याण करना था और राग-द्वेष जब कम होंगे तब ही जीव का कल्याण होगा. प्रभु ने द्वेष को तो शत्रु कहा ही है, लेकिन राग को यानी मोह को, Attachment को भी शत्रु कहा है.
पांचों इन्द्रियों को जीतने की साधना प्रभु ने बताई है और जीतने के लिए ऐसा नहीं है कि आधी रात को कोई उठकर बोल दे कि हाँ मैंने अपनी इन्द्रियों पर काबू पाया है, This is not possible. इसके लिए अलग अलग तप-त्याग करने होते हैं, और अलग अलग Technical रास्ते बताए गए हैं.
Tongue की, जीभ की बात करें तो Noisy-कड़क Crunchy वस्तु खाने में तो ज्यादा राग-ज्यादा आसक्ति-ज्यादा Attachment-ज्यादा Taste Buds का पोषण ही होता है. गली हुई-हवाई हुई Chips, Wafers, Moorku यानी चकली, पापड, खिचिया, मठरी-खाजा, भुजिया-नमकीन आदि कोई नहीं खाता.
गला हुआ खाखरा कोई नहीं खाता-Non-Crunchy हवा लगी हुई पानी पुरी को तो हाथ भी नहीं लगाते हैं. लेकिन कड़क-Crispy Chips-खाखरा-Mixture-ममरे सब खाते हैं. गौर करें तो वस्तु वही है सिर्फ Crunchiness कम हुआ है या ख़त्म हुआ है, वस्तु वही है तो Taste भी Same का Same रहने वाला है तो फिर Crunchiness कम होते ही हम क्यों नहीं खाते? Reason क्या है? कारण क्या हो सकता है?
एक ही – आसक्ति, Attachment, राग !
आसक्ति – The Reason !
हमारे दिमाग और मन को आसक्ति की तरफ धकेलना का काम यह कड़क चीजें करती है और जब आसक्ति-राग हम पर हावी होता है, तब हम क्या खा रहे हैं? कितना खा रहे हैं? उसका विवेक-उसकी Sense हमको नहीं होती है.
प्रभु को पता था कि मन को स्वस्थ रखने के लिए, तन को स्वस्थ रखना होगा और तन को स्वस्थ रखने के लिए ही प्रभु ने उणोदरी का तप हमें बताया. उणोदरी यानी कि जितनी भूख हो उससे थोड़ा कम खाने का तप हमें बताया था.
कड़क Crunchy चीजें इस उणोदरी नाम के तप की दुश्मन है क्योंकि Crunchy चीजें तो व्यक्ति को ज्यादा खाने के लिए मजबूर करती है और उस व्यक्ति की Health भी बिगड़ती है. प्रभु धर्म के साथ-साथ हमारी Health की भी चिंता करते थे, क्योंकि Health बचेगी तो धर्म बचेगा.
सफलता के तीन सूत्र World में प्रसिद्ध है-‘कम खाओ, गम खाओ और नम जाओ.’ इस सूत्र के सबसे पहले दो शब्द ही ‘कम खाओ’ है क्योंकि कम खाने में ही हमारी स्वस्थता का राज छुपा हुआ है.
रस त्याग
प्रभु ने हमें और एक प्रकार का तप बताया है और उसका नाम रस-त्याग है यानी कि यदि मोक्ष पाना हो और साथ ही Health को अच्छा रखना हो तो रस वाली यानी आसक्ति वाली-रागवाली चीजों का त्याग करना होगा.
कई लोग अपनी अपनी शक्ति के अनुसार, Capacity के अनुसार करते भी है जिसमें रस यानी Taste का पोषण हो, वैसी चीजों में उणोदरी का तप भी टूट जाता है और इसलिए उपधान की साधना में इन दोनों तप को बहुत महत्व दिया जाता है, जिसकी वजह से व्यक्ति का शरीर Balance होता है और उस कारण से मन भी Balance होता है और इन चीजों की Help से व्यक्ति को आत्म कल्याण करने की भावना होती है.
अगर बाज़ार की चीज़ें देखेंगे तो उसमें Normally Taste ज्यादा ही आनेवाला है, रस ज्यादा ही आनेवाला है. Inshort अगर देखने जाए तो कड़क चीजें Health-Wealth सभी तरह से नुकसानकारी है और इसलिए प्रभु ने उपधान जैसी विशिष्ट तपस्या में कड़क-Crunchy चीजों का त्याग बताया है.
प्रभु हमारे शरीर + आत्मा की कितनी चिंता करते थे वह इस Research से एकदम स्पष्ट हो जाता है. फर्क सिर्फ इतना है कि Companies यह ज्ञान का उपयोग कमाई के लिए करती है और प्रभु ने यही ज्ञान हमारे कल्याण के लिए बताया.
एक बात यहाँ पर Clear कर देते हैं कि यह Article ‘जीने के लिए खानेवालों’ के लिए है, ‘खाने के लिए जीनेवालों’ के लिए नहीं. क्योंकि जो खाने के लिए जीता है, उनके दिमाग में आसक्ति का भूत ऐसा सवार होता है कि Science भी धर्म को उनके दिमाग में घुसा नहीं सकता.
रही बात जैन धर्म की तो विज्ञान को तो आज पता चला कि Crunchy चीज़ से लोगों को आनंद आता है, प्रभु ने तो अपने केवलज्ञान से कबका बता दिया था. है ना गौरव करने जैसी बात?