विहार में उमड़ा जनसैलाब
12 June 2024 को अनेकानेक ग्रामोद्धारक परम पूज्य आचार्य भगवंत श्री नररत्न सूरीश्वरजी महाराज साहेब आदि गुरु भगवंत की निश्रा में मांडल गाँव में एक बहन की दीक्षा हुई. यह गाँव श्री शंखेश्वर तीर्थ से लगभग 35-40 Km की दूरी पर है, और इसी गाँव में दीक्षा का महोत्सव था.
दिक्षार्थी परिवार द्वारा गाँव के 18 कौम के लगभग 15000 से भी ज्यादा लोगों को सम्मानपूर्वक बिठाकर भोजन करवाया गया. यहाँ लगभग 150 घर जैन परिवारों के हैं, और इस कारण से भाइयों के लिए रात्री प्रवचन रखा गया था, जिसमें रात के समय में भी 450-500 जैन अजैन भाई सब प्रवचन सुनने आते थे.
जी हाँ, रात्रि प्रवचन में 500 लोग!
पूज्य गुरु भगवंत ने रामायण, महाभारत और संस्कार-संस्कृति एवं सदाचार पर Focus किया. इन प्रवचनों का ऐसा अद्भुत असर हुआ कि सैंकड़ों की संख्या में भाइयों ने अनेक प्रकार व्यसन आदि बुरी आदतों का त्याग करने की प्रतिज्ञा ली.
एक व्यक्ति को व्यसन में से बाहर निकालने में हजारों लाखों रुपयें लग जाते हैं, परिवार को खून-पसीना एक करना पड़ता है, परिवार के परिवार बर्बाद हो जाते है, ऐसे कई किस्से हमारे आसपास हमने देखे ही होंगे और यहाँ पर गुरु भगवंतों ने अपने प्रवचनों से ना जाने कितने ही घरों की समस्याओं का समाधान कर दिया, यह होते हैं जैन साधु.
इस कारण से भी अनेकों परिवार श्रद्धा से, सदाचार से जुड़ गए. सिर्फ अपनी आत्मा का नहीं बल्कि समाज का कल्याण भी साधु भगवंत करते हैं, देखने के लिए दृष्टी चाहिए.
इस गाँव की एक अद्भुत बात जानने को मिली, पिछले 8 वर्ष से यहाँ विहार ग्रुप चल रहा है जिसमें 35 व्यक्ति जुड़े हुए हैं, और इन 35 में से 15 ऐसे हैं जो जन्म से जैन है और 20 युवान ऐसे जो जन्म से जैन नहीं. इस ग्रुप के उपाध्यक्ष भी जन्म से जैन नहीं है.
व्यक्ति जन्म से जैन है या नहीं यह इतना महत्वपूर्ण नहीं है लेकिन बताने का कारण सिर्फ इतना है कि जिन्हें जन्म से जैन धर्म नहीं मिला वे भी कितना आगे बढ़ गए हैं, उनकी अनुमोदना करने जैसी है.
यह मांडल गाँव श्री शंखेश्वर तीर्थ से नज़दीक होने के कारण पूज्य गुरु भगवंतों का आवागमन अधिक संख्या में होने के कारण विहार का अद्भुत लाभ मिलता है और यह विहार सेवक सुबह 4-4 बजे उठकर भी विहार सेवा का अद्भुत कार्य कर रहे हैं. यह दीक्षा महोत्सव में जैन अजैन सबने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और निस्वार्थ भाव से सेवा दी.
एक बात जानकर हमारे रोंगटे खड़े हो जाएंगे कि यह दीक्षा महोत्सव पूरा होने के बाद जब पूज्य गुरु भगवंत वहां से विहार कर रहे थे तब उनकी विदाई में पूरा का पूरा गाँव उमड़ पड़ा, गिनना तो संभव नहीं था लेकिन ऐसा कह सकते हैं कि लगभग 5000 लोग विहार में पूज्य गुरु भगवंत के साथ थे और अगले स्थान पर जहाँ तक गुरु भगवंत का विहार था वहां End तक 400-500 लोग आए थे.
जी हाँ, विहार में 500 लोग!
जिनशासन को अनेकों रत्न इसी तरह से गाँव गाँव में पूज्य गुरु भगवंतों के विचरण के कारण प्राप्त हुए हैं और ऐसी ही भूमिका यहाँ पर देखने को मिली. विहार में जनसैलाब देखने को मिले, लोगों की आँखों में गुरु भगवंतों की विदाई के कारण आंसू हो, इससे अद्भुत माहौल क्या हो सकता है.
पूज्य आचार्य भगवंत की यह एक अद्भुत बात है कि वे इसी तरह कई गाँव में विहार कर विचरण करते हैं और वहां पर बड़ी संख्या में लोग धर्म से जुड़ रहे हैं.
Short में कहे तो इसे कहते हैं शासन प्रभावना…