विहार के दौरान हुए शहीद!
तारीख 9 June 2024 का दिन कुछ भयानक घटनाओं से भरा हुआ था. सुबह के समय में श्री केसरसूरीजी समुदाय के 3 महात्मा, 1 मुमुक्षु और 1 Wheelchair वाले भाई ने करनूल-हैदराबाद Highway पर विहार करना शुरू ही किया था और एक Exide Battery के Truck ने आकर इन पाँचों को टक्कर लगा दी.
सबसे पहली टक्कर Wheelchair वाले भाई को लगी और वे On The Spot शहीद हो गए. टक्कर के कारण प.पू. गच्छाधिपति आचार्य भगवंत श्रीमद् विजय विज्ञानप्रभसूरिश्वरजी महाराज साहेब उस Wheelchair से उछले और आगे जाकर Road पर गिर गए. उनके मस्तक पर चोट लगी और वे बेहोश हो गए.
29 वर्ष के दीक्षा पर्यायवाले बालमुनि योगसाधक प.पू. पंन्यास प्रवर श्री पुनीतप्रभविजयजी म.सा. को भी Truck ने टक्कर मारी और वे भी रोड पर उछले और उनके मस्तक पर भी घाव लगा जो जानलेवा निकला और Hospital में उनका कालधर्म यानी देवलोकगमन हो गया.
एक और महात्मा प.पू. मुनिराज श्री प्रियंकरप्रभविजयजी म.सा. और 50 वर्षीय मुमुक्षु हिरेन भाई (हेमल भाई) प्रवीणचंदजी शाह, डोम्बिवली वाले को भी Truck ने टक्कर मारी और वे भी रोड के बाजू में रहे हुए घास-पत्थर की जगह पर उछलकर गिरे.
पीछे से बाकी के 2 महात्मा और मुमुक्षु जब वहां से गुजरे तब उनके ये घटना देखकर होश उड़ गए. उन्होंने तुरंत Ambulance को और 60 KM दूर रहे करनूल जैन संघ में Phone किया. लगभग आधे घंटे में सभी व्यवस्था हो गई और सभी को Hospital ले जाया गया लेकिन मुमुक्षु हिरेन भाई नहीं मिले.
उनकी तलाश करवाई गई तो पता चला कि वे Truck के नीचे आ गए थे और उनकी चिपटी हुई Body को Recover करने में बहुत समय लगा. सभी को Doctors के कहने से और करनूल संघ की उदारता और अनुमति से हैदराबाद लाया गया ताकि होश में नहीं आए हुए गच्छाधिपतिश्री और साधु भगवंत का Treatment ठीक से हो सके और उन्हें Secunderabad के KIMS Hospital में Admit किया गया है.
मुमुक्षु हिरेन भाई के घर पर Phone किया गया और भारी मन से “देह का अग्निदाह कहाँ करना है?” वह पूछा गया. हिरेन भई का परिवार एक तरफ़ आंसू बहा रहा था, अपनी संतान, अपने परिवार के सदस्य को खोने का दुख किसे नहीं होगा, लेकिन दूसरी तरफ़ दिल में शासन था.
हिरेन भाई के माता-पिता-भाई सभी ने कहा ‘पूज्य पंन्यास प्रवर श्री पुनीतप्रभविजयजी म.सा. के साथ ही हैदराबाद में उनका अग्निदाह किया जाए.’ मुमुक्षु हिरेन भाई ने विहार करते हुए अपनी मृत्यु को प्राप्त किया था और इस उपलक्ष्य में हैदराबाद संघ ने तय किया कि उनकी भी पालखी निकाली जाए.
लेकिन हिरेन भाई की Body की अवस्था को देखकर, उनकी दर्दनाक हालत को देखकर, उन्हें बिठाना Possible नहीं होने से सोई हुई अवस्था में ही पालखी बनाई गई और हैदराबाद संघ के युवानों ने Ambulance की व्यवस्था होने के बावजूद महात्मा के साथ उनकी पालखी भी अंत तक उठाई.
जब मुमुक्षु हिरेन भाई के भाई को पूछा गया कि इस पूरी घटना पर उन्हें कैसा Feel हुआ ? तो उन्होंने स्पष्ट कहा कि –
‘अगर हिरेन भाई की घर पर मृत्यु होती तो साधु भगवंतों का संग, विहार, प्रसन्नता जैसी चीजें उन्हें प्राप्त नहीं होती और हिरेन भाई वीर शासन शहीद नहीं बनते, उनकी पालखी नहीं निकलती, श्री संघ का ऐसा उत्साह देखने को नहीं मिलता. मृत्यु होना तो एक दिन तय है लेकिन ऐसी अवस्था में मृत्यु तो बहुत कम लोगों को ही मिलती है ना.. शासन और प्रभु सभी का ध्यान रखते हैं.’
यह एक भाई के ही नहीं प्रभु महावीर के शासन के सच्चे श्रावक के शब्द थे. तारीख 10 June को अग्निदाह का कार्य संपन्न हुआ और अगले दिन पांचम होने से हिरेन भाई के भाई को उपवास था पर एक दिन पहले घटी हुई घटना के कारण उनका मन अस्वस्थ था.
लेकिन अपने भाई की जिनशासन की शहीदी को देखकर उनका मनोबल मजबूत हो गया और उन्होंने गुरु भगवंत के पास 11th June को 11 बजे उपवास का पच्चक्खान लिया. क्या Level की हिम्मत होगी.
कई बार शासन में कोई अनहोनी घटना घटती है तो लोग WhatsApp बाज़ी करके क्या कुछ नहीं लिखते, कई लोगों की आस्था को तोड़ने का भी काम कर देते हैं लेकिन इस भाई की शासन पर श्रद्धा बिलकुल भी कम नहीं हुई, उल्टा इनकी बात से तो ऐसा लगा कि मृत्यु मिले तो ऐसी मिले.
पूज्य गच्छाधिपति श्री विज्ञानप्रभसूरीजी म.सा. और मुनिराज श्री प्रियंकरप्रभविजयजी म.सा. अभी भी ICU में हैं और उनका Treatment चल रहा है. सभी से निवेदन है कि गुरु भगवंतों के स्वास्थ के लिए नमो जिणाणं-जिअभयाणं का जाप करें. अपनी हर क्रिया में उनके स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना ज़रूर कीजिएगा.